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Health Tips: आंखों की जांच से पकड़ में आ सकती हैं ये 4 गंभीर बीमारियां, 40 की उम्र वाले ध्यान दें

Eye Care Alert: आपकी आंखें चार गंभीर बीमारियों का राज खोल सकती हैं अगर आप नियमित जांच कराएं. खास कर 40 की उम्र के बाद.

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Health Tips: आंखों की जांच से पकड़ में आ सकती हैं ये 4 गंभीर बीमारियां, 40 की उम्र वाले ध्यान दें

आंखों की जांच से पकड़ में आ सकती हैं ये 4 गंभीर बीमारियां

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डीएनए हिंदीः अगर आपके चश्मे का नंबर बढ़ रहा और आपको नए ग्लासेस की जरूरत पड़ रही तो आपको कुछ जांच एतिहातन अपनी करानी चाहिए. क्योंकि यहंा आपको चार ऐसी जानलेवा बीमारियों के बारे में बताएंगे जिनके लक्षणों में आंखों से कम दिखना या अन्य आंख की परेशानी भी शामिल है. 

अगर आपके चश्मे का नंबर छह से साल भर में बढ़ गया है तो आपके लिए ये खतरे का संकेत भी हो सकता है. कई बीमारियों के कारण आंखों से धुंधला दिखना, ड्राइनेस या दर्द जैसी समस्याएं होती हैं. इसलिए अगर आपकी उम्र 40 से ज्यादा है तो आपको हर छह से साल भर में अपनी आंखों की जांच के साथ कुछ टेस्ट भी जरूर कराते रहने चाहिए. चलिए जानें कि आंखों से किन संभावित बीमारियों का पता लगाया जा सकता है.  

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हाई ब्लड प्रेशर
हर्टफोर्डशायर विश्वविद्यालय के अनुसार एक नेत्र परीक्षण के दौरान ऑप्टिशियन आपकी आंखों की ब्लड वेसेल्स के व्यास को माप सकता है ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि आपको उच्च रक्तचाप होने की संभावना है या नहीं. हाई ब्लड प्रेशर में अंदरूनी आंखों की नसें फूली होती हैं और बाहरी तौर पर आंखें लाल नजर आ सकती है. कई बार हाई ब्लड प्रेशर के कारण ही आंखों से खून भी आ सकता है. यदि उच्च रक्तचाप का इलाज नहीं किया जाता है तो इससे कई और दिक्कते हो सकती हैं, जैसे रेटिना नष्ट हो सकती है और खून के आंसू निकल सकते हैं. 

ग्लूकोमा
70 और 80 के दशक में लोगों में ग्लूकोमा सबसे आम बीमारी है. इसमें आंखों में तरल पदार्थ जमा हो जाता है और आंखों पर दबाव बढ़ जाता है. यह दबाव मस्तिष्क और आंखों को जोड़ने वाली नसों को धीरे-धीरे मारने लगता है इससे मस्तिष्क को आंख से जोड़ने वाली नसें बाधित होती हैं. अगर आंखों की जाचं होती रहे और शुरुआती विकास में दबाव को पहचान लिया जाए तो आंखों की रौशनी जाने रोका जा सकता है. क्योंकि शुरुआती दौर में ये दर्द रहित होता है इसलिए इसका पता केवल आंखों की जांच से ही चल सकता है. ग्लूकोमा बढ़ने पर आंखों में तेज दर्द, आंखों का लाल होना, मिचली या उल्टी आना और तेज रौशनी में परेशानी महसूस होना जैसी कई दिक्क्ते होने लगती हैं. अगर इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाता है तो यह अंततः अंधापन का कारण बन सकता है.

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मस्कुलर डिजेनरेशनः वेट और ड्राई आई
आंखों की ये गंभीर बीमारी होती है और इसका पता भी नियमित जांच से आसानी से लगाया जा सकता है और उपचार से इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है. उम्र के साथ आंखों में धब्बे नजर आना या रौशनी कम होना एक सामान्य लक्षण है लेकिन धुंधलापन तेजी से बढ़ रहा तो ये सही संकेत नहीं. मस्कुलर डिजेनरेशन वेट आई या ड्राई आई सिंड्रोम में से कोई भी हो सकता है. वेट यानी गीला मस्कुलर डिजेनरेशन का इलाज है लेकिन तभी जब ये शुरुआती दौर पर पकड़ में आ जाए. मस्कुलर डिजेनरेशन का कोई भी लक्षण शुरुआत में पकड़ तभी आएगा जब नियमित जांच होगी और उसका इलाज किया जा सकेगा लेकिन बढ़ने पर इसे कंट्रोल करना बेहद मुश्किल होता है.

ब्रेन ट्यूमर
ब्रेन ट्यूमर ऑप्टिक डिस्क का कारण बन सकता हैए जो आपके मस्तिष्क और आंख को जोड़ता है. जब इसमें सूजन आती है या आंखों में तरल पदार्थ के प्रवाह बाधित होता है तो इससे आपके मस्तिष्क के आसपास दबाव बढ़ सकता है. ब्रेन ट्यूमर रिसर्च के अनुसार नेत्र परीक्षण से इन दोनों प्रक्रियाओं का पता लगा सकते हैं. 
ब्रेन ट्यूमर रिसर्च के अनुसार कभी-कभी इस क्षेत्र में ट्यूमर होने पर ऑप्टिक तंत्रिका पर सीधा दबाव पड़ता है. जैसे-जैसे यह आगे बढ़ता है ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ने लगता है. ब्रेन ट्यूमर के लक्षणों में एक या दोनों आंखों में पुतली का असामान्य फैलाव शामिल होता है. 

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)

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