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छोटे बच्चों में ये लक्षण हो सकते हैं Cancer के संकेत, ना करें नजरअंदाज

बड़ों के मुकाबले बच्चों में कैंसर के लक्षण जल्दी दिखने लगते हैं. जरूरत है कि आप सचेत रहें और बच्चे के शरीर पर होते बदलावों पर पैनी नजर रखें.

छोटे बच्चों में ये लक्षण हो सकते हैं Cancer के संकेत, ना करें नजरअंदाज
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डीएनए हिंदी: कैंसर एक गंभीर बीमारी है. इसका नाम सुनते ही हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं. हालांकि अगर समय रहते इसके लक्षणों का पता लगा लिया जाए तो मरीज की जान बचाई जा सकती है. वहीं बात अगर बच्चों की करें तो बड़ों के मुकाबले बच्चों में कैंसर के लक्षण जल्दी दिखने लगते हैं. बस जरूरत है कि आप सचेत रहें और बच्चे के शरीर, मानसिक स्तर पर होते बदलावों पर पैनी नजर रखें.

बच्चों में होने वाले कैंसर के नाम
बच्चों में सबसे आम ब्लड कैंसर होता है जिसे ल्यूकेमिया के नाम से जाना जाता है. इसके बाद लिम्फोमा भी काफी आम है. इस कैंसर से पीडित बच्चों के गले और पेट में गांठ बढ़ जाती है. इसके अलावा ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड ट्यूमर, हड्डियों का कैंसर, न्यूरोब्लास्टोमा, नेफ्रोब्लास्टोमा या विल्म ट्यूमर, रैब्डोमायोसार्कोमा, रेटिनोब्लास्टोमा भी बच्चों को अपनी चपेट में ले सकते हैं. हालांकि सबसे अधिक मामले ब्लड कैंसर के ही देखने को मिलते हैं. 

जानकारों के मुताबिक,  अगर बच्चे को लगातार बुखार आ रहा है और दवाएं देने के बाबजूद भी यह दो से तीन सप्ताह तक बना हुआ है तो ऐसे हालात में उनका ब्लड टेस्ट जरूर कराएं. 

बच्चों में कैंसर के लक्षण  

  • पीलापन और रक्तस्राव (जैसे चकत्ते, बेवजह चोट के निशान या मुंह या नाक से खून)
  • हड्डियों में दर्द
  • बच्चा जो अचानक लंगड़ाने लगे या वजन उठाने में परेशानी हो या अचानक चलना छोड़ दे
  • पीठ दर्द
  • कांख/पेट व जांघ के बीच के हिस्से, गर्दन पर दो सेमी व्यास से बड़ी, बिना किसी क्रम वाली सख्त गांठों को लेकर हमेशा सतर्क रहें. अगर एंटीबायोटिक देने पर भी दो हफ्ते में इनका आकार कम नहीं हो तो बचाव जरूरी है.
  • टीबी से संबंधित ऐसी गांठें जो इलाज के छह हफ्ते बाद भी बेअसर रहें.
  • सुप्राक्लेविकुलर (कंधे की हड्डी के ऊपर की ओर) हिस्से में होने वाली गांठ.
  • अचानक उभरने वाले न्यूरो संबंधी लक्षण
  • दो हफ्ते से ज्यादा समय से सिरदर्द
  • सुबह-सुबह उल्टी होना
  • चलने में लड़खड़ाहट (एटेक्सिया)
  • सिर की नसों में लकवा
  • अचानक चर्बी चढ़ना. विशेषरूप से पेट, वृषण, सिर, गर्दन और हाथ-पैर पर.
  • अकारण लगातार बुखार, उदासी और वजन गिरना.
  • किसी बात पर ध्यान नहीं लगना और एंटीबायोटिक्स से असर नहीं पड़ना.
  • आंखों में बदलाव, सफेद परछाई दिखना, भेंगापन के शुरूआती लक्षण, आंखों में अचानक उभार (प्रोप्टोसिस), अचानक नजर कमजोर होने लगना.

 

(यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.)

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