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Abdullah Azam Khan की 3 साल में दूसरी बार गई विधायकी, दोबारा चुनाव के लिए अधिसूचना जारी

Azam Khan News: इस कदम के बाद सपा के दिग्गज नेता आजम खान का परिवार 25 साल में पहली बार विधानसभा में नजर नहीं आएगा.

Abdullah Azam Khan की 3 साल में दूसरी बार गई विधायकी, दोबारा चुनाव के लिए अधिसूचना जारी

Abdulla Azam Khan News

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डीएनए हिंदी: Uttar Pradesh News- रामपुर के दिग्गज नेता आजम खान (Azam Khan) को एक और बड़ा झटका लगा है. उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान (Abdulla Azam Khan) को कोर्ट से दो साल की सजा मिलने के बाद बुधवार को उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द घोषित कर दी गई है. यह 3 साल में दूसरा मौका है, जब अब्दुल्ला आजम खान को अपनी विधायकी खोनी पड़ी है. विधानसभा सचिवालय ने उनकी विधायकी रद्द करने की अधिसूचना जारी कर दी है, जिसमें स्वार टांडा सीट (Swar Tanda Vidhansabha Seat) को खाली घोषित कर दिया गया है. अब इस सीट पर उपचुनाव आयोजित किया जाएगा.

25 साल में पहली बार विधानसभा में नहीं होगा आजम परिवार

इस कदम के साथ ही 25 साल में यह पहला मौका होगा, जब उत्तर प्रदेश विधानसभा (Uttar Pradesh Vidhan Sabha) में आजम परिवार का कोई भी सदस्य देखने को नहीं मिलेगा. इस परिवार से सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान के अलावा उनकी पत्नी तंजीन भी विधायक रह चुकी हैं. रामपुर सदर सीट से विधायक रहे आजम खान की विधायकी पिछले साल ही एक मामले में 3 साल की सजा घोषित होने पर रद्द हो चुकी है.

साल 2008 में कार से हूटर हटाने पर भड़कना पड़ा भारी

अब्दुल्ला आजम और आजम खान को सोमवार को एमपी/एमएलए कोर्ट ने 25 साल पुराने मामले में 2-2 साल की सजा सुनाई थी. दरअसल 29 जनवरी, 2008 को छजलैट पुलिस ने आजम खान की कार को चेकिंग के लिए रोका था. उनकी कार पर हूटर लगा हुआ था, जिसे पुलिस ने हटा दिया था. इस पर उनके समर्थक भड़क गए थे और तोड़फोड़ कर दी थी. इस मामले में आजम खान, अब्दुल्ला समेत 9 लोग आरोपी बनाए गए थे. इसी मामले में अब फैसला सुनाया गया है.

तीन साल पहले फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट में छिनी थी विधायकी

तीन साल पहले भी अब्दुल्ला आजम को विधायकी खोनी पड़ी थी. तब उन्हें दो बर्थ सर्टिफिकेट रखने के मामले में दोषी माना गया था. तब भी दिसंबर 2019 में हाई कोर्ट ने उनकी विधायकी यह कहते हुए रद्द कर दी थी कि उनकी आयु साल 2017 में चुनाव लड़ने के लिए वैध नहीं थी. इसके बाद उन्हें विधानसभा सदस्यता खोनी पड़ी थी. हालांकि उन्होंने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली थी. 

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