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भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोपी Gautam Navlakha की हुई रिहाई, घर में 24 घंटे रहेगा नजरबंद

गौतम नवलखा पर यूएपीए के तहत हिंसा भड़काने का मामला दर्ज किया गया था और उस पर माओवादियों के साथ संबंध होने का भी आरोप था.

भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोपी Gautam Navlakha की हुई रिहाई, घर में 24 घंटे रहेगा नजरबंद
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डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के एक सप्ताह से अधिक समय बाद भीमा कोरेगांव (Bhima Koregaon) मामले के आरोपी गौतम नवलखा को तलोजा जेल से रिहा कर दिया गया. अब उन्हें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के स्वामित्व वाले नवी मुंबई में एक सामुदायिक हॉल में नजरबंद रखा जाएगा. नवलखा की रिहाई शीर्ष अदालत द्वारा राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा अपने 10 नवंबर के फैसले को रद्द करने की याचिका को खारिज करने के एक दिन हुई जिसमें हाउस अरेस्ट की अनुमति दी गई थी और इसके आदेश को 24 घंटे के भीतर प्रभावी करने का निर्देश दिया था. 

समाचार एजेंसी PTI ने बताया कि इस बीच मुंबई में एक विशेष अदालत ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी से संबंधित मामलों की सुनवाई करते हुए नवलखा की महीने भर की नजरबंदी की सुविधा के लिए रिलीज मेमो जारी किया था. जांच एजेंसी ने आज विशेष अदालत को कार्यकर्ता की रिहाई की औपचारिकताओं को पूरा करने के बारे में अनुपालन रिपोर्ट सौंपी है. जिसके बाद अदालत ने रिलीज मेमो जारी किया है. 

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शीर्ष अदालत ने नवलखा को उनके बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण नजरबंद करने की अनुमति दी थी. अदालत ने सीसीटीवी निगरानी ​​फोन के उपयोग पर प्रतिबंध और इंटरनेट तक पहुंच न होने सहित कुछ शर्तें भी लगाईं है. कोर्ट ने नवलखा की पार्टनर सहबा हुसैन को उनकी बहन की जगह उनके साथ रहने की इजाजत दे दी है.

NIA ने चुने गए परिसरों पर सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए हाउस अरेस्ट पर आपत्ति जताई थी. एनआईए की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने अदालत को बताया कि यह इमारत कम्युनिस्ट पार्टी की है और यह फ्लैट नहीं बल्कि एक सार्वजनिक पुस्तकालय का हिस्सा है.

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नवलखा भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में यूएपीए के आरोपों का सामना कर रहे हैं. यह मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है. पुलिस का दावा है कि इन भाषणों ने अगले दिन कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़काई थी. पुणे पुलिस ने दावा किया था कि कॉन्क्लेव का आयोजन माओवादियों से जुड़े लोगों ने किया था। एनआईए ने बाद में जांच अपने हाथ में ली. 

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