Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

BJP-Shiv Sena Relations: कभी दी जाती थीं दोस्ती की मिसालें, आज कट्टर दुश्मन बन गए दोनों दल, जानिए पूरा इतिहास

BJP Shivsena Relations: तीन दशकों तक सियासत में एकसाथ चलने के बाद भाजपा और शिवसेना ने ढाई साल पहले पूरी तरह से अलग-अलग हो गए. बालासाहेब और अटल-आडवाणी के जमाने में इन दोनों दलों की दोस्ती की मिसालें दी जाती थीं.

BJP-Shiv Sena Relations: कभी दी जाती थीं दोस्ती की मिसालें, आज कट्टर दुश्मन बन गए दोनों दल, जानिए पूरा इतिहास

बीजेपी शिवसेना कभी पक्के दोस्त थे!

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

TRENDING NOW

Uddhav Thackeray Resigns: महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई है. उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को होने वाले फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे दिया. उद्धव ठाकरे शिव सेना के प्रमुख हैं. उनकी सरकार गिराने में सबसे ज्यादा भूमिका भारतीय जनता पार्टी की बताई जा रही है. आज भले ही भाजपा और शिवसेना कट्टर दुश्मन बन गए हों लेकिन कभी ये दोनों पार्टियां बेस्ट फ्रेंड हुआ करती थीं. पूरे देश में इन दोनों सियासी दलों की दोस्ती की मिसालें दी जाती थीं लेकिन पिछले ढाई साल में सबकुछ बदल गया और भाजपा ने शिवसेना में ही बहुत बड़ी सेंध लगा दी.

कैसे शुरू हुई भाजपा और शिवसेना की दोस्ती?
भाजपा और शिवसेना की दोस्ती 80 के दशक में हुई. शिवसेना भले ही मराठी हितों को लेकर साल 1966 लेकर अस्तित्व में आई हो लेकिन भाजपा के साथ उसने राष्ट्रीय मुद्दों और हिदुत्व को लेकर हमेशा सहमति जताई. दोनों ही पार्टियां बाला साहेब ठाकरे और अटल-आडवाणी के जमाने में नजदीक आईं.साल 1984 में भाजपा और शिवसेना की बीच गठबंधन हुआ. इसी दौरान बाला साहेब की सलाह पर भाजपा के दिग्गज नेता प्रमोद महाजन शिवसेना के सिंबल पर चुनाव लड़े.

पढ़ें- Uddhav Thackeray Resigns: इस्तीफे के बाद उद्धव ठाकरे ने कही यह बड़ी बात

1989 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया
1989 के लोकसभा चुनावों से पहले, शिवसेना और भाजपा ने हिंदुत्व के मुद्दे पर चुनाव से पहले गठबंधन किया. इसमें सबसी बड़ी भूमिका निभाई भाजपा के प्रमोद महाजन ने, जिनके शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के साथ अच्छे संबंध थे. उस समय महाराष्ट्र में भाजपा की उपस्थिति नहीं थी जबकि शिवसेना को उम्मीद थी कि हिंदुत्व के मुद्दे पर कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाने में सफल रहेगी.

पढ़ें- फोटोग्राफर से लेकर सीएम की कुर्सी तक... जानिए कैसे Uddhav Thackeray की सियासत में हुई एंट्र

राष्ट्रीय दल के रूप में भाजपा ने 1989 लोकसभा चुनावों में अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा और अगले वर्ष विधानसभा चुनावों में शिवसेना के लिए बड़ा हिस्सा छोड़ने पर सहमत हुई. शिवसेना ने जिन 183 सीटों पर चुनाव लड़ा, उनमें से 52 पर जीत मिली; भाजपा ने अपने 104 में से 42 में जीत हासिल की. मनोहर जोशी विपक्ष के नेता बने, लेकिन जल्द ही उनकी ही पार्टी के छगन भुजबल ने उन्हें चुनौती दी. 1991 में छगन भुजबल कांग्रेस में शामिल हो गए, और यह पद भाजपा में चला गया. इसके बाद साल 1995 के विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों ने मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाई, हालांकि साल 1999 में यह गठबंधन सत्ता से बाहर हो गया.

2014 में बढ़ गया तनाव, 2019 में टूट गई दोस्ती

इन दोनों दलों के बीच नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद दूरियां बढ़ने लगीं. 2014 के विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे पर बात नहीं बनी इसके बाद दोनों दलों ने अकेले चुनाव लड़ा. भाजपा राज्य में सबसे बड़ा दल बनकरी उभरी और फिर बाद में दोनों दलों ने एकबार फिर से मिलकर सरकार बनाई. राज्य की कमान भाजपा ने देवेंद्र फडणवीस के हाथों में थी. देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में भाजपा-शिवसेना ने 2019 विधानसभा का चुनाव में लड़ा और जीता भी लेकिन अंत में शिवसेना सीएम पद को लेकर अड़ गई और अंत में एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली. इस सरकार का आज उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के साथ अंत हो गया.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए  हिंदी गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर. 

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement