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Climate Change की वजह से चीन के हालात सबसे खराब, भारत का हाल भी कम बुरा नहीं

Climate Change News: क्लाइमेट चेंज से सबसे अधिक प्रभावित देशो में चौथे स्थान पर भारत है और स्थिति लगातार खराब हो रही है. हरीश झा की रिपोर्ट.

Climate Change की वजह से चीन के हालात सबसे खराब, भारत का हाल भी कम बुरा नहीं

सांकेतिक चित्र

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डीएनए हिंदी: सेन्टर फ़ॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट ( CSE) और डाउन टू अर्थ (DTE) की मैगज़ीन The State of India’s Environment 2022: In Figures गुरुवार को लॉन्च की गई है. भारत के पर्यावरण को लेकर इसमें चौंका देने वाले आंकड़े सामने आए हैं. इस मैगज़ीन में भारत मे विभिन्न सेक्टरो पर पड़ रहे प्रभावों को आकड़ो की मदद से दिखाने की कोशिश की गई है.

China में क्लाइमेट चेंज का सबसे खतरनाक असर
रिपोर्ट में क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) को लेकर एक बड़ा आंकड़ा जारी किया गया है. रिपोर्ट में जारी आकड़ों के अनुसार, क्लाइमेट चेंज को लेकर सबसे खराब हालातों वाले देश मे भारत चौथे स्थान पर है. भारत से पहले चीन, फिलीपींस और बांग्लादेश हैं. सॉलिड वेस्ट भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभर रही है. 

रिपोर्ट के अनुसार, साल 2019-20 में भारत मे कुल 3.5 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न हुआ है. इसमें से केवल 12% कचरे को रीसाइकल किया गया था. 20% को जला दिया गया था. बाकी बचे 68% कचरे का कोई प्रबंधन नही किया गया था. यानी कि बचा हुआ प्लास्टिक का कचरा अभी भी पर्यावरण में मौजूद है. 

 

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खतरनाक कचरे में भी बड़ी वृद्धि
खतरनाक कचरे में साल 2019-20 से साल 2020-21 में 5% की बढ़ोतरी हुई है. भारत मे E-Waste भी बहुत तेज़ी से उत्पन्न किया जा रहा है. साल 2018-19 से 2019-20 में 32% की वृद्धि देखने को मिली है.

रिपोर्ट के अनुसार, अगर भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु प्रदूषण को लेकर तय मानकों पर पहुंच जाता है तो भारत मे आयु दर 5.9 साल तक बढ़ जाएगी. इस साल मार्च का महीना भारत के लिये सबसे गर्म रहा था. 

इस साल गर्मी ने तोड़ा रिकॉर्ड
रिपोर्ट के अनुसार, इस साल 11 मार्च से लेकर 18 मई  के दौरान गर्मी ने पिछले 10 सालो का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. इस तरह के कई आंकड़े इस मैगज़ीन में दिए हुए है जिनकी मदद से भारत मे पर्यावरण को लेकर मौजूदा स्थिति को समझा जा सकता है.

रिचर्ड महापात्रा, मैनेजिंग एडिटर डाउन टू अर्थ, 'इस मैगज़ीन में इस्तेमाल अधिकतर आंकड़े भारत सरकार के द्वारा जारी किए गए हैं और ये पब्लिक डोमेन में मौजूद भी है. हमने इन आकड़ो का सिर्फ विश्लेषण किया है. और उसे एक जर्नलिस्टिक इनसाइट के साथ पेश किया है.'

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