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PM Modi Birthday: नरेंद्र मोदी के राजनीतिक करियर के लिए क्या टर्निंग प्वाइंट साबित हुए गुजरात दंगे?

Gujarat Riots 2022 के बाद राज्य के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि एक हिंदुत्ववादी नेता की बन गई थी और जो कि उनके करियर का टर्निंग पॉइंट बना.

PM Modi Birthday: नरेंद्र मोदी के राजनीतिक करियर के लिए क्या टर्निंग प्वाइंट साबित हुए गुजरात दंगे?
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डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) का 17 सितंबर को जन्मदिन है. उनके बर्थडे को लेकर बीजेपी (BJP) बड़े स्तर पर जश्न मनाने की तैयारी कर रही है. नरेंद्र मोदी पहले नेता है जिनके नेतृत्व में बीजेपी ने पहली बार साल 2014 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी. उनके नेतृत्व मे बीजेपी देश और दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है.
  
नरेंद्र मोदी 90 के दशक में ही बीजेपी के एक बड़े नेता के रूप में उभरे थे. उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) की रथयात्रा  में अहम भूमिका निभाई थी. वहीं कश्मीर के लाल चौक में तिरंगा फहराने पहुंचे मुरली मनोहर जोशी (Murli Manohar Joshi) के साथ नरेंद्र मोदी ही मौजूद थे. इसके बाद उन्हें बीजेपी ने 2001 में गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया था और फिर साल 2022 में उनका नाम गुजरात दंगों (Gujarat Riots) के चलते विवादों से जुड़ गया.

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गुजरात दंगों से बदली छवि

दरअसल, कारसेवकों से सवार एक रेलगाड़ी की बोगी में गोधरा में आग लगने के बाद गुजरात मे दंगे हुए थे. पहले हिंदू कारसेवकों की मौत हुई और फिर राज्य सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई. ऐसे में मुस्लिम समुदाय का आरोप रहा कि गुजरात की तत्कालीन सरकार ने दंगाईयों समर्थन किया और बीजेपी नेता भी इसके लपेटे में  आ गए थे. वहीं इस एक दंगे के बाद मोदी की छवि एक हिंदुत्ववादी नेता की बन गई. 

इस्तीफे का किया ऐलान 

गुजरात दंगों के चलते तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी (Atal Bihari Vajpayee) मोदी से काफी खफा थे. ऐसे में यह साफ मांग उठी थी कि वे नरेंद्र मोदी इस्तीफा दें. दंगों के बाद हुई बीजेपी की कार्यकारिणी में मोदी ने इस्तीफे का ऐलान किया था. यह अटल की मांग के अनुरूप था लेकिन अहम बात यह थी कि बीजेपी के कार्यकर्ता और हिंदुत्ववादी नेताओं ने इसका विरोध किया था.

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आडवाणी ने बचाया था राजनीतिक करियर

इतना ही नहीं, उस दौरान अटल बिहारी वाजपयी जब मोदी के खिलाफ खड़े थे तो उनका समर्थन लालकृष्ण आडवाणी ने किया था. लालकृष्ण आडवाणी की शह पर ही इस बात पर सहमति बनी थी कि मोदी अपना इस्तीफा वापस लेंगे. इसके बाद बीजेपी साल 2004 के लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हारी थी और यह दावा किया गया था कि बीजेपी गुजरात दंगों के कारण ही हारी थी. हालांकि बीजेपी के हिंदुत्ववादी गुट ने इस बात को हमेशा नकारा था. 

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गोवा कार्यकारिणी का संयोग

ऐसे में गुजरात दंगों के बाद मोदी गुजरात में तीन बार चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बने. इसके उनकी छवि राष्ट्रीय स्तर पर चमकने लगी तो वे साल 2014 के चुनावों में पीएम पद के उम्मीदवार बने. जिन लालकृष्ण आडवाणी ने मोदी का इस्तीफा 2002 में वापस करवा कर उनका राजनीतिक करियर बचाया था. उन्हीं लालकृष्ण आडवाणी को मोदी ने पार्टी के अंदर लोकप्रियता में पछाड़ दिया. जिस गोवा कार्यकारिणी में उन्होंने अपने इस्तीफे की पेशकश की थी उसी गोवा की कार्यकारिणी मे उन्हें बीजेपी ने अपना सर्वोच्च नेता स्वीकार किया था.

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