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खतौली में जीत के बाद जयंत चौधरी ने किया कलाकंद खिलाने का वादा, चंद्रशेखर आजाद ने दिए भविष्य के संकेत

Khatauli Bypolls Result: पश्चिमी यूपी की खतौली सीट पर जीत के बाद जयंत चौधरी और चंद्रशेखर आजाद के बीच अलग ही केमेस्ट्री देखने को मिल रही है.

खतौली में जीत के बाद जयंत चौधरी ने किया कलाकंद खिलाने का वादा, चंद्रशेखर आजाद ने दिए भविष्य के संकेत

साथ लड़े थे जयंत चौधरी और चंद्रशेखर आजाद

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डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश की खतौली विधानसभा सीट के उपचुनाव (Khatauli Bypolls) में सपा-आरएलडी गठबंधन की जीत हुई है. इस जीत में एक छुपा रुस्तम भी था. उस छुपे रुस्तम का नाम है आजाद समाज पार्टी (Azad Samaj Party) के मुखिया चंद्रशेखर आजाद. भीम आर्मी के मुखिया रहे चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) ने आरएलडी उम्मीदवार मदन भैया को न सिर्फ़ समर्थन दिया था बल्कि उनके लिए प्रचार भी किया था. उपचुनाव में जब गठबंधन की जीत हुई तो आरएलडी चीफ जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद की कलाकंद बकाया है. इस ट्वीट पर चंद्रशेखर आजाद ने अपने जवाब से भविष्य की राजनीति के संकेत दे दिए. चंद्रशेखर आजाद ने लिखा कि मिठाई खाएगें तो ज़रूर लेकिन अब साथ मिलकर ही खाएंगे.

साल 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले चंद्रशेखर आजाद ने सपा चीफ अखिलेश यादव से मुलाकात की थी. उम्मीद जताई जा रही थी कि सपा गठबंधन में चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी भी शामिल हो जाएगी. बाद में अखिलेश ने कहा कि वह एक सीट देने के तैयार थे लेकिन चंद्रशेखर ज़्यादा सीटें चाहते थे. चंद्रशेखर ने भी कहा था कि अखिलेश यादव ने बड़ा दिल नहीं दिखाया. हालांकि, अब ऐसा लग रहा है कि जयंत चौधरी के ज़रिए यह गठबंधन पूरा हो सकता है.

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Twitter पर दिखी जयंत-चंद्रशेखर की जुगलबंदी
जयंत चौधरी के लिए खतौली का चुनाव बेहद अहम था. सपा ने यह सीट आरएलडी को दे दी थी. चंद्रशेखर आजाद ने भी जयंत चौधरी का खूब साथ दिया. नतीजे आए तो जयंत चौधरी ने ट्विटर पर लिखा, 'चंद्रशेखर आजाद को उत्तर प्रदेश में गठबंधन की जीत के लिए मेरे तरफ़ से कलाकंद बकाया है!' इस पर चंद्रशेखर आजाद ने भी जवाब दिया. आजाद ने अपने जवाब में लिखा, 'भाई, कलाकंद तो बक़ाया है लेकिन अब साथ मिलकर ही खाएंगे.' आजाद के इस ट्वीट से अंदाजा लगाया जा रहा है कि आगे भी दोनों पार्टियां साथ चुनाव लड़ सकती हैं.

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सपा गठबंधन को मजबूत करेंगे आजाद?
जयंत चौधरी और चंद्रशेखर के साथ आने से खतौली में दलित और जाट साथ आए. नतीजा रहा कि बीजेपी हार गई. इसने गठबंधन के नेताओं को एक सीख भी दी है. चंद्रशेखर भी रामपुर और मैनपुरी में भी प्रचार करने गए. इन सीटों के उपचुनाव प्रचार में चंद्रशेखर आजाद ने अखिलेश यादव के साथ मंच साझा किया जो कि विधानसभा के चुनाव में नहीं हो पाया था. दूसरी तरफ, अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल भी अब सपा में लौट आए हैं और परिवार एकजुट हो गया है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि सपा का गठबंधन भी मजबूत होगा और शिवपाल के साथ-साथ चंद्रशेखर आजाद के भी साथ आ जाने से समाजवादी पार्टी को और मजबूती मिलेगी.

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