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MP Local Body Election: न शिवराज ने बनाया काम, न सिंधिया का दिखा दबदबा, BJP के लिए खराब क्यों हैं चुनावी नतीजे?

MP Local Body Election Results: मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के दूसरे दौर की मतगणना के बाद भारतीय जनता पार्टी ने देवास और रतलाम जबकि कांग्रेस ने रीवा और मुरैना में महापौर सीट पर विजय हासिल की. चुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए किसी झटके से कम नहीं हैं. आखिर ऐसा क्यों है, समझें वजह.

MP Local Body Election: न शिवराज ने बनाया काम, न सिंधिया का दिखा दबदबा, BJP के लिए खराब क्यों हैं चुनावी नतीजे?

शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया (फाइल फोटो)

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डीएनए हिंदी: किसी राज्य में हुए निकाय चुनाव वहां की बदलती सियासत की तस्वीर जाहिर कर रहे होते हैं. मध्य प्रदेश की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए चुनाव के नतीजे परेशान करने वाले हैं. साल 2017 में हुए नगर निकाय चुनावों में जहां बीजेपी को सभी 16 नगर निगमों को बंपर जीत मिली थी, वहीं बीजेपी ने एक के बाद एक 7 सीटें जीत ली हैं. बीजेपी महज 9 सीटों पर जीत दर्ज की है. 

दूसरे चरण में 7 शहरों में मेयर का चुनाव जीता था. दूसरे चरण में 2 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस ने कुल 5 सीटों पर चुनाव जीत लिया. एक निर्दलीय उम्मीदवार भी जीता है. आम आदमी पार्टी के लिए अच्छी खबर यह है कि एक सीट उनके खाते में भी है. गुजरात, पंजाब और अब मध्य प्रदेश, आम आदमी पार्टी लगातार पैठ बनाती जा रही है. 

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क्यों बीजेपी के लिए अच्छे नहीं हैं नतीजे?

कटनी में भारतीय जनता पार्टी के लिए नतीजे बेहद खराब रहे हैं. प्रीती सूरी यहां से चुनाव जीतने में कामयाब हो गई हैं. बीजेपी ने उनका समर्थन नहीं किया तो उन्होंने बगावती रुख अख्तियार कर लिया. उन्हें जीत भी मिल गई. जिस इलाके से वह जीती हैं वहां शिवराज का बड़ा प्रभाव माना जाता है.

ग्वालियर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ है. ग्वालियार का किला बीजेपी गंवा चुकी है. बीजेपी के प्रत्याशी यहां चुनाव हार गए हैं. बीजेपी प्रत्याशी अपनी सीट नहीं बचा सकी. नरेंद्र सिंह तोमर के प्रभुत्व वाले क्षेत्र मुरैना में बीजेपी की हार हुई.

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कटनी सिर्फ शिवराज का ही गढ़ नहीं है बल्कि इस सीट पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का भी दबदबा है. प्रीति सूरी तमाम चुनौतियों के बाद भी सीट जीतने में कामयाब हो गईं.

बीजेपी को एक के बाद एक कई झटके

मध्य प्रदेश में नगर निकाय चुनाव के पहले चरण की मतगणना में ग्वालियर नगर निगम चुनाव में मेयर पद की हार के बाद ग्वालियर-चंबल संभाग में सत्तारूढ़ बीजेपी को एक और झटका लगा है. बीजेपी ने दूसरे चरण में मुरैना नगर निगम में मेयर पद गंवा दिया, जो पार्टी के दिग्गज और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का गृह क्षेत्र है. 

रीवा में भी बीजेपी का बुरा हाल

बीजेपी ने रीवा नगर निगम में महापौर पद भी 25 साल बाद अपने मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के खिलाफ गंवा दिया. रीवा के मेयर पद पर कांग्रेस प्रत्याशी अजय मिश्रा ने बीजेपी के प्रबोध व्यास को हराकर जीत हासिल की. इसी तरह, मुरैना में मेयर पद के लिए कांग्रेस प्रत्याशी शारदा सोलकी ने बीजेपी की मीना जाटव को हराया.

बुधवार को दूसरे चरण की मतगणना में घोषित पांच नगर निगम परिणामों में से बीजेपी और कांग्रेस दोनों में से प्रत्येक में दो-दो मेयर पद हैं. बीजेपी ने रतलाम और देवास नगर निगमों में मेयर पदों को बरकरार रखा, जबकि एक निर्दलीय उम्मीदवार ने कटिनिया मेयर पद पर जीत हासिल की. 

कैसे रहे बीजेपी के लिए नतीजे?

 मध्य प्रदेश के 16 नगर निगमों में बीजेपी ने 9, पहले चरण में सात और दूसरे चरण में 2, महापौर पदों पर कब्जा जमाया है. कांग्रेस के लिए अच्छी बात यह है कि पिछले चुनाव में कोई भी महापौर नहीं था, इस बार 5 सीटें जीत चुकी है. मध्य प्रदेश में महापौर पदों के लिए सीधे चुनाव की शुरूआत के बाद 1999 के बाद से यह पहली बार है जब कांग्रेस के पास पांच महापौर होंगे.

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ग्वालियर के मेयर पद पर कांग्रेस की जीत और अब रीवा और मुरैना से पार्टी कैडर का विश्वास बढ़ेगा. ग्वालियर-चंबल संभाग को बीजेपी के दो दिग्गज केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर का गृह क्षेत्र माना जाता है. रीवा में कुल आठ विधानसभा सीटें हैं और 2018 में सभी 8 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी. रीवा से सांसद भी बीजेपी से ही हैं.

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