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Mayawati को सपा की क्षमता पर शक, क्या अखिलेश बदलेंगे अपनी चुनावी रणनीति?

बसपा प्रमुख मायावती ने प्रमुख विपक्षी दल के रूप में सपा की क्षमता पर सवाल उठाए हैं. ममता बनर्जी ने कहा है कि संख्या बल होने के बाद भी सपा कमजोर है.

Mayawati को सपा की क्षमता पर शक, क्या अखिलेश बदलेंगे अपनी चुनावी रणनीति?

बसपा चीफ मायावती. (फोटो-PTI)

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डीएनए हिंदी: बहुजन समाज पार्टी (BSP) अध्यक्ष मायावती (Mayawati) ने विपक्षी पार्टियों को धरना प्रदर्शन करने से रोकने पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) की आलोचना करने के बाद एक बार फिर डैमेज कंट्रोल किया है. उन्होंने बुधवार को प्रमुख विपक्षी दल के तौर पर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की क्षमता पर सवाल उठाए. मायावती ने एक के बाद एक कई सिलसिलेवार ट्वीट कर समाजवादी पार्टी को घेरने की कोशिश की है.

मयावती ने कहा, 'BJP की घोर जातिवादी, साम्प्रदायिक और जनहित-विरोधी नीतियों के विरुद्ध उत्तर प्रदेश की सेक्युलर शक्तियों ने सपा को वोट देकर यहां प्रमुख विपक्षी पार्टी तो बना दिया, किन्तु यह पार्टी भाजपा को कड़ी टक्कर देने में विफल साबित होती हुई साफ दिख रही है, क्यों?'

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'सपा काफी लाचार और कमजोर'

मायावती ने यह भी कहा, 'यही वजह है कि भाजपा सरकार को यूपी की करोड़ों जनता के हित व कल्याण के विरुद्ध पूरी तरह से निरंकुश व जनविरोधी सोच व कार्यशैली के साथ काम करने की छूट मिली हुई है. विधानसभा में भी भारी संख्या बल होने के बावजूद सरकार के विरुद्ध सपा काफी लाचार व कमजोर दिखती है, अति-चिन्तनीय.'

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'तानाशाह हो गई बीजेपी'

मायावती ने मंगलवार को किसी का नाम लिए बगैर एक ट्वीट में कहा था कि विपक्षी पार्टियों को सरकार की जनविरोधी नीतियों व उसकी निरंकुशता तथा जुल्म-ज्यादती को लेकर धरना-प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं देना भाजपा सरकार की नई तानाशाही प्रवृति हो गई है. मयावती ने कहा है कि बात-बात पर मुकदमे व लोगों की गिरफ्तारी एवं विरोध को कुचलने की बनी सरकारी धारणा अति-घातक है.

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किसके साथ हैं मायावती?

मायावती ने यह ट्वीट उत्तर प्रदेश विधान मंडल के मानसून सत्र की कार्यवाही में हिस्सा लेने पैदल जा रहे सपा विधायकों और विधान परिषद सदस्यों को पुलिस द्वारा रास्ते में रोके जाने को लेकर हुए हंगामे के बाद किया था. इसे सपा की हिमायत भरे ट्वीट के रूप में देखा जा रहा था. हालांकि अगले ही दिन आज मायावती ने ट्वीट कर सपा पर सीधे तौर पर निशाना साधा है. दूसरे दिन सपा को घेरकर एक बार फिर मायावती ने डैमेज कंट्रोल कर लिया है.

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क्या सपा बदलेगी रणनीति?

यह सच है कि विधानसभा चुनाव 2022 में समाजवादी पार्टी प्रमुख विपक्षी पार्टी तो बन गई लेकिन पार्टी के नेता चुनाव हारने के बाद से ही ग्राउंड पर नहीं नजर आ रहे हैं. जहां भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में जुटी है, वहीं सपा से लगातार चूक हो रही है. जहां विपक्ष के तौर पर बीजेपी अति सक्रिय होती है, वहीं सपा कई मुद्दों पर चुप्पी साधे रहती है. अगर सपा इसी रणनीति पर काम करेगी आने वाले चुनाव में मुश्किलें पैदा हो सकती है.

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