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कौन है मसरत आलम, जिसका संगठन भारत में आतंक फैलाने के आरोप में हुआ बैन

Who is Masarat Alam: मसरत आलम दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है. मसरत को 2010 में कश्मीर में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था.

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कौन है मसरत आलम, जिसका संगठन भारत में आतंक फैलाने के आरोप में हुआ बैन

Masarat Alam Bhat

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डीएनए हिंदी: जम्मू-कश्मीर में राष्ट्र विरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल और आतंकी गतिविधियों का समर्थन करने वाले मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर-MLJK (मसर्रत आलम गुट) को बुधवार को एक प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया गया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत एमएलजेके-एमए पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का संदेश बिल्कुल स्पष्ट है कि देश की एकता, संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा.

अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसर्रत आलम गुट) को यूएपीए के तहत एक गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया है. इस संगठन और इसके सदस्य जम्मू-कश्मीर में राष्ट्र विरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल हैं. यह संगठन आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करता है और लोगों को जम्मू-कश्मीर में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए उकसाता है.

यह भी पढ़ें- बंगाल में अमित शाह का ऐलान, 'CAA लागू करने से कोई नहीं रोक सकता'

कौन हैं मसरत आलम?
मसरत आलम भट दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है. मसरत को 2010 में कश्मीर में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था. अलगाववादी नेता सैयद अली शाह जिलानी की मौत के बाद 2021 में हुर्रियत के अलगाववादी दलों के गठबंधन ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (APHC) मसरत आलम को नया अध्यक्ष चुना था. रिपोर्ट के मुताबिक मसरत के खिलाफ 27 एफआईआर दर्ज हैं. उनके खिलाफ 36 बार PSA के तहत मामला दर्ज किया गया है.

मसरत आलम को मार्च 2015 में रिहा कर दिया गया था. लेकिन रिहा होते ही उसने तत्कालीन पीपुल्स डेमोक्रिटिक पार्टी (PDP) और बीजेपी गठबंधन सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. उस दौरान श्रीनगर में सैयद अली शाह गिलानी के स्वागत में रैली का आयोजन किया गया था. जिसमें पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाए गए थे. तब तत्कालीन मुफ्ती मोहम्मद सईद सरकार ने मसरत आलम को देशद्रोह और राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में फिर से गिरफ्तार कर लिया था.

आरोप है कि मसरत आलम ने 2010 के दौरान जम्मू कश्मीर में विरोध प्रदर्शन आयोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. जिसकी वजह से सुरक्षाबलों की कार्रवाई में 120 से ज्यादा कश्मीरी युवा मारे गए.

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