Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

Pendency in Indian courts: कोर्ट में 4.8 करोड़ पेंडिंग केस, हाईकोर्ट में 35 फीसदी जजों की कमी, क्या हैं राज्यवार आंकड़े? जानें सबकुछ

Pendency in Indian courts: कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. ज्यादातर अदालतें जजों की कमी से जूझ रही हैं. स्थानीय स्तर पर मामलों को खींचा जा रहा है. फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह मामलों के त्वरित निपटारे की जरूरत है. पढ़ें अभिषेक सांख्यान की रिपोर्ट.

Latest News
Pendency in Indian courts: कोर्ट में 4.8 करोड़ पेंडिंग केस, हाईकोर्ट में 35 फीसदी जजों की कमी, क्या हैं राज्यवार आंकड़े? जानें सबकुछ

अदालतों के सामने 4 करोड़ से ज्यादा मामले लंबित हैं.

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

डीएनए हिंदी: कुछ दिन पहले कानून मंत्री किरण रिजिजू (Kiren Rijiju) और मुख्य न्यायधीश एन वी रमन्ना (NV Ramana) एक ही मंच पर मौजूद थे. इस मौके पर जहां कानून मंत्री (Law Minister) ने कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या पर चिंता जताई. वहीं मुख्य न्यायधीश एनवी रमन्ना ने इसका कारण कोर्ट में रिक्तियों को भरा न जाना बताया. पूरे मामले में अगर आंकड़े खंगाले तो जहां पता चलता है कि निचली अदालतों में जहां जजों की संख्या औसतन 20 प्रतिशत पद खाली है. वहीं हाईकोर्ट के जजों की रिक्तियों का प्रतिशत 35 फीसदी है.

सरकार और न्यायपालिका की रस्मी चिंताओं की बीच देश की अदालतों में कुल लंबित मामलों की संख्या 4.8 करोड़ पार कर गई है.पिछले कई सालों से ये संख्या बढ़ती ही जा रही है. जहां साल 2019 के अंत में ये कुल लंबित मामले 3.7 करोड़ थे. अगले 3.5 सालों में लंबित मामलों की संख्या 35 फीसदी की बढ़ गई है.

Gyanvapi Case: एएसआई सर्वे कर शिवलिंग की हो कार्बन डेटिंग, ज्ञानवापी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल


चार सालों से जजों की रिक्तियां मे बदलाव नहीं, पर लंबित मामले 33 फीसदी बढ़े

मगर इन सबका जिम्मेदार कौन है ? सरकार लंबित मामलों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताती है और न्यायपालिका इसके लिए मुख्य तौर पर जजों की रिक्तियों का हवाला देती है. तो आईए देखते हैं कि पिछले 4 सालों में जजों की रिक्तियों का ट्रेंड किस ओर इशारा कर रहा है.

Nupur Sharma को सुप्रीम कोर्ट ने दी बड़ी राहत, पैगंबर मोहम्मद विवाद में नहीं होगी गिरफ्तारी

सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल कुल 34 जजों में से 2 के पद ही खाली हैं. वहीं हाईकोर्ट में पिछले 4 सालों से एक तिहाई से ज्यादा जजों के पद भरे नहीं गए हैं.  वहीं निचली अदालतों का हाल थोड़ा ही बेहतर है यहां भी जजों के मामले में औसतन 5 में से एक पद खाली ही है. आकड़ों को खंगालने से पता चलता है कि जजों की संख्या में पिछले चार सालों में कोई खास अंतर नहीं आया लेकिन लंबित मामलों की संख्या में 35 फीसदी बढ़ गए.

'पत्नी को ATM की तरह इस्तेमाल करना है मानसिक शोषण', कर्नाटक हाई कोर्ट ने दे दी तलाक की मंजूरी


हाईकोर्ट में एक तिहाई पद खाली

देश के अलग अलग हाईकोर्ट में जजों की संख्या कुल 1104 है. जिनमे से 387 पद रिक्त हैं. औसतन हर तीसरा जज की कुर्सी खाली हैं. बिहार और राजस्थान में तो जजों के करीब करीब आधे पद खाली हैं. इलाहबाद हाईकोर्ट में देश में सबसे ज्यादा जजों के पद हैं. यहां पद 160 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 41.3 प्रतिशत खाली हैं. वहीं दक्षिण भारत के राज्यों की स्थिति अन्य मानव विकास सूचकांकों की तरह बाकी राज्यों से बेहतर हैं.

Agneepath scheme: दिल्ली हाईकोर्ट करेगा अग्निपथ योजना पर फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसफर की याचिकाएं 


हर पांच में से एक जज का पद खाली

देश की निचली अदालतों का हाल हाईकोर्ट से थोड़ा बेहतर हैं. यहां पर पांच में से एक जज की सीट खाली है. साल 2022 में देश कुल जजों के स्वीकृत पदों की संख्या 24521 हैं. जिसमें से 21.2 प्रतिशत यानि 5180 पद खाली है. जजों की रिक्तियों के मामले में दक्षिणी भारत के राज्यों की औसत देश से बेहतर हैं. उत्तर प्रदेश में कुल 3634 जजों के पद हैं, जो कि देश में सबसे ज्यादा है. मगर इनमें से 30.43 प्रतिशत खाली हैं.

अंडरट्रॉयल की संख्या में भी लगातार बढ़ोतरी

मुख्य न्यायधीश ने इस मौके पर ये भी कहा कि देश में करीब 80 प्रतिशत कैदी अंडरट्रायल हैं. साल 2018 से देखें तो ये आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. लोकसभा में गृह मंत्रालय द्वारा दिए गए जवाब से पता चला कि 2019 में अंडरट्रॉयल कैदियों की संख्या 70 प्रतिशत से कम थी जो साल 2020 तक बढ़कर 75 प्रतिशत हो गई है.

Hindu Minorities in India: भारत में मुस्लिमों के अलावा कौन-कौन अल्पसंख्यक? इसको लेकर क्यों छिड़ा है विवाद

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement