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Gyanvapi Masjid: हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों खोजना? हमें झगड़ा नहीं बढ़ाना- मोहन भागवत

Gyanvapi Masjid मामले के बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत की तरफ से बड़ा बयान दिया गया है. माना जा रहा है कि RSS मंदिर-मस्जिद विवादों को शांत करना चाहता है.

Gyanvapi Masjid: हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों खोजना? हमें झगड़ा नहीं बढ़ाना- मोहन भागवत

संघ प्रमुख मोहन भागवत

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डीएनए हिंदी: पूरे देश में इन दिनों ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर जमकर चर्चा हो रही है. हिंदू संगठनों की तरफ से इस मामले और ऐसे अन्य मामलों पर जमकर बयानबाजी की जा रही है. इस बीच RSS प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) की तरफ से भी इस मुद्दे पर बात की गई है. गुरुवार को नागपुर में संघ के तृतीय वर्ष संघ सिक्षा वर्ग समापन समारोह में बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा कि रोज एक नया मामला नहीं निकालना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमको झगड़ा बढ़ाना नहीं है.

ज्ञानवापी मामले पर होते हुए संघ प्रमुख ने कहा, "प्रकरण निकल रहे हैं. ज्ञानवापी का मुद्दा चल रहा है. अब ऐसे मुद्दे हैं, एक इतिहास तो है. उसको हम बदल नहीं सकते. वो इतिहास हमने नहीं बनाया. ना आज के अपने आप हो हिंदू कहने वालों ने बनाया ना आज के मुसलमानों ने बनाया. उस समय घटा.इस्लाम बाहर से आया. आक्रमकों के हाथ आया. उस आक्रमण में भारत की स्वतंत्रता चाहने वाले व्यक्तियों का मनोधैर्य खर्च करने के लिए देव स्थान तोड़े गए. हजारों हैं. हिंदू समाज का विशेष ध्यान जिनपर है, विशेष श्रद्धा जिनपर है ऐसे कुछ हैं, उसके बारे में मामले उठते हैं. ये मुसलमानों के विरुद्ध नहीं सोचता है हिंदू. आज के मुसलमानों के उस समय पूर्वज भी हिंदू थे. उन सब को स्वतंत्रता से चिरकाल तक वंचित रखने के लिए उनका मनोधैर्य दबाने के लिए यह किया गया इसलिए हिंदू को लगता है कि इसका पुर्नउद्धार होना चाहिए."

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मोहन भागवत ने कहा, "हम तो कुछ नहीं कहते. हमने 9 नवंबर को कह दिया कि एक राम जन्मभूमि का आंदोलन था जिसमें हम अपनी प्रकृति के विरुद्ध किसी ऐतिहासिक कारण से उस समय की परिस्थिति में सम्मिलित हुए.हमने उस काम को पूरा किया. अब हमको कोई आंदोलन वगैरह करना नहीं है. लेकिन मुद्दे अगर कुछ मन में हैं तो उठते हैं. ये किसी के विरुद्ध नहीं है और विरुद्ध मानना नहीं चाहिए. मुसलमानों को नहीं मानना चाहिए, हिंदुओं को भी ये नहीं करना चाहिए."

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उन्होंने कहा, "अच्छी बात है ऐसा कुछ है आपस में मिल बैठकर कोई रास्ता निकालिए.लेकिन हर बार नहीं निकल सकता.इसमें कोर्ट में जाते हैं. कोर्ट जो निर्णय देगा उसको मानना चाहिए. अपनी न्याय व्यवस्था को पवित्र सर्वश्रेष्ठ मानकर उसके निर्णय हमको पालन करना चाहिए. उनके फैसलों पर हमें प्रश्न चिन्ह नहीं उठाना चाहिए."

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संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आगे कहा, "ठीक है प्रतीकात्मक हमारी कुछ विशेष श्रद्धा थी ऐसे स्थानों के बारे में हमने कहा. लेकिन रोज एक मामला निकालना नया, हमको ऐसा भी नहीं करना चाहिए. हमको झगड़ा क्यों बढ़ाना है. ज्ञानवापी के बारे में हमारी कुछ श्रद्धाएं हैं परंपरा से चलती आई हैं, हम कर रहे हैं ठीक है परंतु हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना. अरे भाई वो भी एक पूजा है ठीक है बाहर से आई है लेकिन जिन्होंने अपनाई है वो मुस्लमान वो बाहर से संबंध नहीं रखते ये उन्हें भी समझना चाहिए. यद्यपि पूजा उनकी उधर की है, उसमें वो रहना चाहते हैं तो अच्छी बात है. हमारे यहां किसी भी पूजा का विरोध नहीं. सबकी मान्यता और सबके प्रति पवित्रता की भावना है. परंतु पूजा वहां की होने के बाद भी वंशज हो हमारे प्राचीन सनातन काल से चलते आ रहे ऋषि मुनि राजा क्षत्रियों के पूर्वज हैं, वंशज हैं. समान पूर्वजों के हम वंशज हैं."

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