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Electoral Bond से खूब मिला चंदा, JDU ने कहा, 'हमें नहीं पता किसने दिया'

Electoral Bond Donations: इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिले चंदे के सवाल पर जनता दल यूनाइटेड और तृणमूल कांग्रेस ने कहा है कि उन्हें पता ही नहीं है कि किसने उन्हें इलेक्टोरल बॉन्ड से पैसा दिया. हालांकि, इन दोनों ही पार्टियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड जमकर भुनाए हैं.

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Electoral Bond का डेटा सामने आते ही कई राजनीति पार्टियों ने गोलमोल बातें शुरू कर दी हैं. ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) और नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने तो यह तक कह दिया है कि उन्हें पता ही नहीं है कि किसने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए उन्हें पैसा दिया. JDU ने कहा है कि कोई उसके दफ्तर में लिफाफे छोड़ गया था जिसमें इलेक्टोरल बॉन्ड रखे थे. 

मिली जानकारी के अनुसार, चुनाव आयोग को दिए जवाब में TMC और JDU ने 2019 वाली बॉन्ड की जानकारी से इनकार कर दिया है.  JDU ने बताया है कि 2019 में किसी ने उनके कार्यालय में 10 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड के साथ एक लिफाफा दिया था लेकिन उनके पास इससे संबंधित कोई जानकारी नहीं है. चुनाव आयोग ने रविवार को विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा सौंपे गए सैकड़ों सीलबंद लिफाफों की जानकारी सार्वजनिक की थी. जानकारी के अनुसार, JDU को कुल 24 करोड़ रुपये से ज्यादा का चंदा चुनावी बॉन्ड के जरिए मिला है.  


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'10 करोड़ रुपये देने वाले का पता नहीं'
JDU का कहना है कि जो लोग हमारी पार्टी का समर्थन करना चाहते हैं उनमें से ज्यादातर लोगों ने बॉन्ड हमारे दफ्तर भेजे थे बाकी लोगों ने मैसेंजर के जरिए भेजे गए थे. इनमें से कई लिफाफों पर कोई नाम नहीं था, ऐसे में पार्टी के पास लोगों के नाम और जानकारियां नहीं हैं. जानकारी के मुताबिक, JDU ने चुनाव आयोग को बताया था कि 30 अप्रैल 2019 को कोई अज्ञात व्यक्ति उनके दफ्तर पटना आया और सीलबंद लिफाफे दे गया. जब उस लिफाफे को खोला गया तो उसमें 1-1 करोड़ के 10 इलेक्टोरल बॉन्ड मिले. इसके अलावा दानदाताओं के बारे में उनके पास कोई और जानकारी नहीं है.

JDU का कहना है कि न तो उन्हें इस बात की जानकारी है और न उन्होंने पता करने की कोशिश की क्योंकि तब सुप्रीम कोर्ट का कोई आदेश नहीं आया था. इसके साथ ही TMC ने 16 जुलाई 2018 से लेकर 22 मई 2019 के बीच इलेक्टोरल बॉन्ड के तहत करीब 75 करोड़ रुपये देने वाले दानदाताओं की जानकारी साझा की है. 

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