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दफना दी गई थी पत्नी, 2 बेटियां, 1 साल बाद तीनों जिंदा घर वापस आईं, जानें कैसे घटा ये अचंभा?

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ से अजीबो-गरीब मामला सामने आया है. यहां के एक जिले में दो बेटियां और पत्नी को मरा हुआ समझकर दफना दिया गया था लेकिन तीनों लोग एक साल बाद घर वापस आ गए हैं.

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दफना दी गई थी पत्नी, 2 बेटियां,  1 साल बाद तीनों जिंदा घर वापस आईं, जानें कैसे घटा ये अचंभा?
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छत्तीसगढ़ के बलरामपुर (Shocking incident in Balrampur) जिले से हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है. जिले का एक टेलर जिसने एक साल पहले अपनी पत्नी, दो बेटियों को दफना दिया था आज वे तीनों जिंदा घर वापस लौट आई हैं. इस घटना को देखकर परिवार और इलाका अचंभे में है. सभी ये सोच रहे हैं कि ये घटना घटी तो घटी कैसे?

आखिर मामला है, क्या समझिए
दरअसल पेशे से टेलर अबुल हसन और उनकी पत्नी राबिया के बीच साल 2023 में झगड़ा हो गया था. नाराज पत्नी अपनी दोनों बेटियां लेकर काम की तलाश में घर से निकल गई थी. अबुल हसन ने अपनी पत्नी और बेटियों को ढूंढ़ने की कोशिश की लेकिन असफल रहा.  इसी बीच  अबुल को सोशल मीडिया के जरिए जानकारी मिली कि 14 अगस्त, 2023 को रायगढ़ जिले के खरसिया थाना क्षेत्र के देजहरी गांव में एक महिला और दो बच्चियों की लाश मिली है, जिसके बाद अबुल को पहचान के लिए वहां बुलाया गया. अबुल ने पुलिस को बताया कि ये तीनों ही उसके ही परिवार के सदस्य हैं, जिसके बाद तीनों को दफना दिया गया था. 

तीनों जिंदा वापस आईं
मामले में पेंच तब आया जब तीनों जानें जिंदा वापस अपने घर को आईं. टेलर अबुल का कहना है कि शव एक हफ्ते पुराने थे और पहचानने में कंफ्यूजन हो गया था. पर बच्चियों के शवों को देखने के बाद अबुल ने उन्हें अपने परिवार के रूप में पहचाना, जिसके बाद रायगढ़ पुलिस ने मेडिकल कॉलेज में शवों का पोस्टमार्टम करवाकर शव अबुल को सौंप दिए थे और उसने उन्हें दफना दिया था. इस घटना के एक साल बाद राबिया अपनी दोनों बेटियों के साथ अपने पति के वापस लौट आईं. 

राजस्थान से लौटीं तीनों जानें
मिली जानकारी के अनुसार, राबिया अपनी दोनों बेटियों के साथ राजस्थान काम की तलाश में चली गई थीं. वहां उनके साथ बदलसूकी हुई. उनकी एक बेटी ने बताया कि वहां आदमी मारता-पीटता था. अत्याचार से परेशान राबिया अपने मायके वालों के पास झारखंड चली आई और बाद में अपने पति के पास.


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पुलिस पर उठ रहे सवाल
मामले को लेकर रायगढ़ एडीएसपी आकाश मरकाम ने बताया कि साल भर पहले खरसिया थाना क्षेत्र में मिली तीनों लाशों की पहचान खुद अबुल हसन ने की थी, जिसके बाद पुलिस ने शवों को उन्हें सौंप दिया था. अब जब वे वापस लौट आई हैं और परिजनों का कहना है कि तब अबुल हसन की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए उससे पहचान में गलती हो गई. तीनों के घर वापस आने पर रायगढ़ पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं. सवाल ये भी है कि जिन तीन लोगों का अंतिम संस्कार पहले किया गया था वे तीन महिलाएं कौन थीं. अब पुलिस उन शवों की फिर से शिनाख्त करेगी. ताकि तीनों शवों के असली परिजनों का पता लगाया जा सके. 

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