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11वीं के छात्र ने नेत्रहीन लोगों के लिए बनाई 'जादू की छड़ी', ट्रैफिक से लेकर कीचड़ तक का देगी अलर्ट

इस मैजिक स्टिक में एक सेंसर लगाया गया है जो नेत्रहीन लोगों को हर एक तरह की जानकारी उपलब्ध कराता है.

11वीं के छात्र ने नेत्रहीन लोगों के लिए बनाई 'जादू की छड़ी', ट्रैफिक से लेकर कीचड़ तक का देगी अलर्ट

Magical stick for blinds

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डीएनए हिंदी: दृष्टिहीन दिव्यांगों की जिंदगी में उजाला लाने के लिए हजारीबाग के 11वीं के छात्र शहनवाज ने एक ब्लाइंड स्टिक का अविष्कार किया है. यह बेहद कमाल का है क्योंकि यह नेत्रहीन लोगों की हर एक काम में मदद करेगा. दरअसल हजारीबाग के 11वीं कक्षा के बाल वैज्ञानिक शहनवाज ने ऐसा उपकरण बनाया है जिससे दृष्टिहीन व्यक्तियों के जीवन में बदलाव आ जाएगा और वह खुद पर हो जाएंगे.

इस स्टिक में एक सेंसर लगाया गया है जो नेत्रहीन लोगों को हर एक तरह की जानकारी उपलब्ध कराता है. अगर उन्हें एक जगह से दूसरी जगह जाना है और बीच में गाड़ी आ जाए तो वह ब्लाइंड स्टिक के जरिए गाड़ी वालों को संदेश भी दे सकते हैं. इस छड़ी में एक बल्ब लगा हुआ है जो आने वाले व्यक्ति को यह बताएगा कि सड़क पर चलने वाला व्यक्ति दृष्टिहीन है. ब्लाइंड स्टिक के सेंसर को जीपीआरएस से भी जोड़ा गया है जिससे घर वालों को ब्लाइंड व्यक्ति के लोकेशन के बारे में जानकारी मिलती रहती है. सबसे अहम बात यह है कि इस स्टिक को बनाने में महज 8 हजार रुपये ही खर्च हुए हैं. अगर इसका बड़े पैमाने  पर उत्पादन होता है तो कीमत दो से ढाई हजार के बीच रहने की संभावना है.

छात्र ने जिस तरह अपनी सोच को धरातल पर उतारा है इसे इंस्पायर अवार्ड में भी जगह मिली है. जिला स्तर से वह राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा है. अब उसका प्रोजेक्ट नीति आयोग के पास विचाराधीन है. इनोवेशन सेल इस अविष्कार पर सोच रहा है कि कैसे आविष्कार को धरातल पर उतारा जाए जिससे दृष्टिहीन दिव्यांगों को मदद मिल सके. शहनवाज ने कहा, दृष्टिहीन व्यक्ति घर से बाहर नहीं निकल सकते. ऐसे में उनका जीवन उबाऊ हो जाता है और वे दूसरे पर निर्भर रहने लिते हैं. इस समस्या को देखते हुए हमने दृष्टिहीन व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उपकरण बनाया है.

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शिक्षक भी इस आविष्कार को लेकर उत्साहित हैं. उनका कहना है कि यह उपकरण व्यक्ति या गाड़ी को डिटेक्ट नहीं करता. बल्कि सड़क पर अगर कीचड़ भी है तो वह इसकी जानकारी दृष्टिहीन व्यक्ति को देता है. यह ब्लाइंड स्टिक कैमरा, जीपीआरएस, लाइट सेंसर से लैस है. शिक्षक के मुताबिक छात्रों को थोड़ा मदद और प्रोत्साहित करने पर वह अच्छा कर सकते हैं. शाहनवाज ने दृष्टिहीन व्यक्तियों के लिए उपयोगी उपकरण बनाया है. उपकरण बनाने से दूसरे छात्र भी प्रोत्साहित होंगे.

देश में दृष्टिहीन दिव्यांग अब सड़क पर बेधड़क होकर चल सकेंगे. उन्हें न तो किसी का सहारा लेना पड़ेगा और न ही उनके परिवार को अब उनके लिए चिंतिंत होने की आवश्यकता होगी. छात्र की खोज पर स्कूल ही नहीं हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा ने भी सराहना की है.

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