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यूक्रेन से लौटे छात्रों को 'वॉर विक्टिम' मानने से केंद्र सरकार का इनकार, सुप्रीम कोर्ट में दिया ये तर्क

सुप्रीम कोर्ट में छात्रों के वकील राजीव दत्ता ने कहा कि जिनेवा कन्वेंशन के हिसाब से देंखे तो यूक्रेन से लौटे छात्र वॉर विक्टिम की श्रेणी में आते हैं.

यूक्रेन से लौटे छात्रों को 'वॉर विक्टिम' मानने से केंद्र सरकार का इनकार, सुप्रीम कोर्ट में दिया य��े तर्क

सांकेतिक तस्वीर

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डीएनए हिंदी: रूस के हमले बाद यूक्रेन से लौटे हजारों मेडिकल छात्रों को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में उन्हें 'वॉर विक्टिम' मानने से इनकार कर दिया.सरकार ने कहा कि अब तक नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) की ओर से किसी भी इंडियन मेडिकल यूनिवर्सिटी में एक भी विदेशी मेडिकल छात्र को ट्रांसफर करने या समायोजित करने की अनुमति नहीं दी गई है. वहीं, छात्रों के वकील राजीव दत्ता ने सर्वोच्च न्यायालय में कहा कि जिनेवा कन्वेंशन के हिसाब से देंखे तो ये छात्र वॉर विक्टिम की श्रेणी में आते हैं.

जिसके जवाब में केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि तीन तरह के छात्र हैं, जिन्हें यूक्रेन से लाया गया था. इनमें एक तो वे छात्रा हैं जिनकी डिग्री पूरी हो गई थी, सिर्फ सर्टिफिकेट लेना बाकी था. हमने राजनयिक चैनलों के जरिए अनुरोध किया कि उनकी डिग्री जल्द दी जाए जिससे वे निवास कर सकें. दूसरा, जो फाइनल ईयर के छात्र हैं. हमने उनके के लिए एक प्रावधान किया है जिससे वह अंतिम वर्ष की पढ़ाई ऑनलाइन कर सकते हैं. तीसरे वो जिन्होंने हाल ही में एडमिशन लिया था या फिर एक या दो साल की पढ़ाई कर ली थी लेकिन उनकी पढ़ाई ऑनलाइन नहीं हो सकती. उनको प्रैक्टिस का ज्ञान जरूरी है.

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यूक्रेन सरकार ट्रांसफर देने को तैयार
तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार ने छात्रों की पढ़ाई के लिए अपने चैनल के जरिए व्यवस्था की और कर भी रही है लेकिन किसी देश पर इन छात्रों को जबरन लाद नहीं सकते. हम उनसे राजनयिक स्तर पर अनुरोध कर रहे हैं. हम उन देशों से भी बात कर रहे हैं जिन्होंने यूक्रेन की यूनिवर्सिटीज के साथ तालमेल और कई तरह के करार कर रखे हैं. यूक्रेन सरकार भी इन छात्रों को उन चिह्नित देशों में ट्रांसफर देने पर राजी है.

भारतीय मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन देने का नहीं कोई प्रावधान
केंद्र सरकार ने कहा है, "यह विनम्रतापूर्वक प्रस्तुत किया जाता है कि जहां तक ​​ऐसे छात्रों का संबंध है, भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट 1956 (Indian Medical Council Act, 1956) या नेशनल मेडिकल कमिश्न एक्ट 2019 के साथ-साथ मेडिकल छात्रों को किसी भी संस्थान से समायोजित या स्थानांतरित करने के साथ विदेशी मेडिकल कॉलेजों से भारतीय मेडिकल कॉलेजों में स्थानांतरण के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं हैं.' 

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NMC ने जारी किया नोटिस
हालांकि, इसने कहा है कि यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी न कर पाने वाले विद्यार्थियों को सहायता और सहयोग के लिए एनएमसी ने विदेश मंत्रालय के परामर्श से 6 सितंबर को एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया गया है, जिसमें संकेत दिया गया है कि आयोग यूक्रेन की मूल संस्था की अनुमति से अन्य देशों में अपने शेष कोर्स को पूरा करने वाले छात्रों के प्रमाणपत्र को स्वीकार करेगा.

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