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Chandrayaan-3 अब लैंडिंग से एक कदम दूर, चांद का Latest Video भेजा, ऐसा दिखा चंदामामा का चेहरा

Chandrayyan-3 Landing: चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम अब धीरे-धीरे चांद के करीब पहुंच रहा है. इसे 23 अगस्त तक चांद पर उतरना है. इससे पहले यह लगातार सतह की तस्वीरें भेजेगा.

Chandrayaan-3 अब लैंडिंग से एक कदम दूर, चांद का Latest Video भेजा, ऐसा दिखा चंदामामा का चेहरा

Chandrayaan-3 Lander Vikram से मिली चांद की ताजा तस्वीर.

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डीएनए हिंदी: Chandrayaan-3 Latest News- भारत का चांद पर उतरने का सपना अब पूरा होने के करीब है. इससे पहले चांद की एक ताजा तस्वीर चंद्रयान-3 से आई है. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO ने शुक्रवार को चांद के ताजा हालात दिखाने वाली इन तस्वीरों को वीडियो फॉर्मेट में जारी किया है. ये तस्वीरें ISRO को चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने भेजी हैं. इन तस्वीरों में चंदामामा की सतह पर बहुत सारे गहरे गड्ढे दिखाई दिए हैं. विक्रम लैंडर कल यानी गुरुवार को ही चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन सिस्टम से अलग हुआ है और अब चांद पर उतरकर इतिहास रचने की तरफ बढ़ रहा है. उधर, इसरो ने तय कार्यक्रम के हिसाब से शुक्रवार शाम को चांद पर लैंडिंग का अहम हिस्सा शुरू कर दिया है. विक्रम लैंडर की डी-बूस्टिंग शाम 4 बजे शुरू की गई है, जिससे वह धीरे-धीरे आर्बिट में चांद के करीब होता जाएगा. चंद्रयान-2 मिशन के दौरान लैंडर इसी फेज में चूकने के कारण चांद पर गिर पड़ा था. फिलहाल चंद्रयान-3 का लैंडर अपना मिशन पूरा होने से महज एक कदम दूर रह गया है.

15 अगस्त को क्लिक की गईं तस्वीरें लैंडिंग में आएंगी काम

ISRO के मुताबिक, विक्रम लैंडर की तरफ से भेजा गईं तस्वीरें 15 अगस्त को क्लिक की गई थीं, जिनमें चांद की सतह पर बड़े-बड़े गहरे गड्ढे दिख रहे  हैं, जिन्हें क्रेटर कहा जाता है. ये क्रेटर ही लैंडिंग करते समय सबसे खतरनाक साबित होते हैं. विक्रम लैंडर 23 अगस्त तक चांद की सतह पर उतरेगा. उससे पहले वह लगातार चंद्रमा की सतह की तस्वीरें क्लिक करेगा. ये तस्वीरें खासतौर पर 10 वर्ग किलोमीटर के उस इलाके में क्लिक की जाएंगी, जिसे इसरो ने लैंडिंग साइट के तौर पर चुना है. लैंडर से मिली तस्वीरों के आधार पर इसरो के वैज्ञानिक लैंडिंग का सही जोन तय करेंगे ताकि चंद्रमा की सतह से टकराने के बाद किसी तरह की दुर्घटना की कम से कम गुंजाइश हो.

क्यों अहम हैं ISRO के सॉफ्ट लैंडिंग प्लान में ये तस्वीरें

दरअसल Chandrayaan-2 के लैंडर ने लैंडिंग में फेल होने से पहले चंद्रमा की सतह की कई तस्वीरें और डाटा भेजा था. चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम की लैंडिंग साइट इन तस्वीरों और डाटा के आधार पर ही प्लान की गई है. इसरो ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट को चंद्रयान-2 की लैंडिंग साइट के करीब ही रखा है, लेकिन इस बार इलाका ज्यादा बड़ा तय किया है ताकि ऐन मौके पर लैंडिंग साइट बदलनी हो तो दिक्कत ना आए. इसके लिए इसरो चंद्रयान-2 से मिले Data और तस्वीरों की मदद ले रहा है. डाटा और तस्वीरें मौजूद होने से इस इलाके की कई अहम जानकारियां ISRO के पास इस बार पहले से ही मौजूद हैं. इन्हीं की मदद से ISRO ने इस Landing Site पर Soft Landing का फुलप्रूफ प्लान तैयार किया है. अब ताजा तस्वीरें भी लैंडिंग से पहले सामने आने पर उन्हें चंद्रयान-2 की तस्वीरों से मिलान कर सतह में आए बदलाव का आकलन हो पाएगा. इससे चंद्रयान-3 के लैंडर की लैंडिंग फेल होने के चांस और कम हो जाएंगे.

ऑर्बिट में 113 किमी की दूरी तक लाएगी पहली डी-बूस्टिंग

चंद्रयान-3 के विक्रम लैंड की डी-बूस्टिंग प्रक्रिया शुक्रवार शाम 4 बजे शुरू कर दी गई. यह लैंडर को चंद्रमा के ऑर्बिट में नीचे लेकर जाने की प्रक्रिया है, जो बेहद धीमी गति से होती है. इस प्रक्रिया के पूरी होने पर चंद्रमा का निकटतम बिंदु (Perilune) 30 किलोमीटर रह जाएगा, वहीं सबसे दूरस्थ बिंदु (Apolune) 100 किलोमीटर रह जाएगा. इसरो ने बताया है कि फिलहाल पहली डी-बूस्टिंग में लैंडर को 113X157 किलोमीटर के अनुपात तक लाया जाएगा. इसके बाद 19-20 अगस्त की दरम्यानी रात 2 बजे दूसरी डी-बूस्टिंग शुरू की जाएगी, जो फाइनल फेज होगा.

लैंडिंग के साथ दुनिया का चौथा देश बनेगा भारत

चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था. इसरो चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग करने की कोशिश कर रहा है. अगर चंद्रयान-3 की लैंडिंग सफल रही तो भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा. अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण के लिए एक GSLV मार्क 3 (LVM-3) हेवी-लिफ्ट लॉन्च व्हीकल का इस्तेमाल किया गया था. 

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