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Hijab Row: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा- अनावश्यक विवाद को बढ़ावा नहीं देना चाहिए 

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हिजाब प्रतिबंध को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है. 

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Hijab Row: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा- अनावश्यक विवाद को बढ़ावा नहीं देना चाहिए 

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डीएनए हिंदी: उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शनिवार को कर्नाटक में हिजाब विवाद का जिक्र करते हुए राज्य में पैदा हुए "अनावश्यक विवाद" की निंदा की. उन्होंने कहा कि इसे लेकर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. छात्रों को स्कूलों में यूनिफॉर्म द्वारा निर्देशित होना चाहिए.

ग्रीनवुड हाई इंटरनेशनल स्कूल में इंडोर स्पोर्ट्स एरिना का उद्घाटन करने के बाद एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा, अनावश्यक विवाद को प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए. जैसे कि कर्नाटक में अभी विवाद चल रहा है. एक स्कूल में आपको स्कूल की यूनिफॉर्म द्वारा निर्देशित किया जाना चाहिए. जो भी यूनिफॉर्म हो. अनुशासन, भक्ति, समर्पण भी आपके राष्ट्र और शिक्षा को बढ़ावा देगा. 

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जाति और धर्म के बावजूद सभी भारतीयों की एकजुटता को लेकर उपराष्ट्रपति ने कहा कि कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा, जाति, पंथ, लिंग, धर्म के बावजूद हम सभी एक हैं. हम सभी पहले भारतीय हैं. इसे सभी को याद रखना चाहिए. नायडू ने हमारी मातृभाषा के महत्व पर भी बात की. उन्होंने छात्रों को अपनी मातृभाषा सीखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कहा. 

इधर दक्षिण दिल्ली के सरकारी स्कूलों में धार्मिक पोशाक नहीं पहनने का सर्कुलर जारी किया गया है वहीं कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है. 

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कर्नाटक में हिजाब का विरोध इस साल जनवरी में शुरू हुआ जब राज्य के उडुपी जिले के सरकारी गर्ल्स पीयू कॉलेज की कुछ छात्राओं ने आरोप लगाया कि उन्हें हिजाब पहनने के बाद कक्षाओं में जाने से रोक दिया गया है. विरोध के दौरान कुछ स्टूडेंट्स ने दावा किया कि उन्हें हिजाब पहनने के लिए कॉलेज में प्रवेश से वंचित कर दिया गया था. 

इस घटना के बाद विजयपुरा स्थित शांतेश्वर एजुकेशन ट्रस्ट में विभिन्न कॉलेजों के छात्र भगवा स्टोल पहनकर पहुंचे. यही स्थिति उडुपी जिले के कई कॉलेजों में भी रही. प्री-यूनिवर्सिटी शिक्षा बोर्ड ने एक सर्कुलर जारी किया था जिसमें कहा गया था कि छात्र केवल स्कूल प्रशासन द्वारा अनुमोदित यूनिफॉर्म पहन सकते हैं और कॉलेजों में किसी भी अन्य धार्मिक प्रथाओं की अनुमति नहीं दी जाएगी. 

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