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Holi 2022: झारखंड के संथाल आदिवासी समाज की अनूठी परंपरा, लड़की पर रंग डाला तो शादी करो या जुर्माना भरो

बाहा का मतलब है फूलों का पर्व. इस दिन संथाल आदिवासी समुदाय के लोग तीर धनुष की पूजा करते हैं और ढोल-नगाड़ों की थाप पर जमकर थिरकते हैं.

Holi 2022: झारखंड के संथाल आदिवासी समाज की अनूठी परंपरा, लड़की पर रंग डाला तो शादी करो या जुर्माना भरो
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डीएनए हिंदी: इस बार 17 और 18 मार्च को होली का त्योहार मनाया जाएगा लेकिन झारखंड के संथाल आदिवासी समाज में पानी और फूलों की होली लगभग एक पखवाड़ा पहले से ही शुरू हो गई है. संथाली समाज इसे बाहा पर्व के रूप में मनाता है. हालांकि यहां की परंपराओं में रंग डालने की इजाजत नहीं है. इस समाज में रंग-गुलाल लगाने के खास मायने हैं. यहां अगर किसी युवक ने किसी कुंवारी लड़की पर रंग डाल दिया तो उसे या तो लड़की से शादी करनी पड़ती है या फिर भारी जुर्माना भरना पड़ता है.

बाहा पर्व का सिलसिला होली के पहले ही शुरू हो जाता है. बाहा का मतलब है फूलों का पर्व. इस दिन संथाल आदिवासी समुदाय के लोग तीर धनुष की पूजा करते हैं. ढोल-नगाड़ों की थाप पर जमकर थिरकते हैं और एक-दूसरे पर पानी डालते हैं. 

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बाहा के दिन पानी डालने को लेकर भी नियम है. जिस रिश्ते में मजाक चलता है, पानी की होली उसी के साथ खेली जा सकती है. वहीं अगर किसी भी युवक ने किसी कुंवारी लड़की पर रंग डाला तो समाज की पंचायत लड़की से उसकी शादी करवा देती है. अगर लड़की को शादी का प्रस्ताव मंजूर नहीं हुआ तो समाज रंग डालने के जुर्म में युवक की सारी संपत्ति लड़की के नाम करने की सजा सुना सकती है. यह नियम झारखंड के पश्चिम सिंहभूम से लेकर पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी तक के इलाके में प्रचलित है. इसी डर से कोई संथाल युवक किसी युवती के साथ रंग नहीं खेलता. परंपरा के मुताबिक, पुरुष केवल पुरुष के साथ ही होली खेल सकता है.

पूर्वी सिंहभूम जिले में संथालों के बाहा पर्व की परंपरा के बारे में देशप्राणिक मधु सोरेन बताते हैं, हमारे समाज में प्रकृति की पूजा का रिवाज है. बाहा पर्व में साल के फूल और पत्ते समाज के लोग कान में लगाते हैं.

उन्होंने बताया कि इसका अर्थ है कि जिस तरह पत्ते का रंग नहीं बदलता, हमारा समाज भी अपनी परंपरा को अक्षुण्ण रखेगा. बाहा पर्व पर पूजा कराने वाले को नायकी बाबा के रूप में जाना जाता है. पूजा के बाद वह सुखआ, महुआ और साल के फूल बांटते हैं. इस पूजा के साथ संथाल समाज में शादी विवाह का सिलसिला शुरू होता है. 

(इनपुट- आईएएनएस)

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