Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

अगर BJP-RLD में हुआ गठबंधन तो किसे होगा नुकसान? समझिए चुनावी गणित

अगर राष्ट्रीय लोक दल और बीजेपी का गठबंधन हो जाता है तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की जमीन और दरक जाएगी. समझिए किन-किन मुद्दों पर इसका असर पड़ेगा.

Latest News
अगर BJP-RLD में हुआ गठबंधन तो किसे होगा नुकसान? समझिए चुनावी गणित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जयंत चौधरी. (फाइल फोटो)

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

TRENDING NOW

भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) का दिल जीत लिया है. केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार ने जब से चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का ऐलान किया है, BJP और RLD करीब आ गए हैं. दोनों पार्टियों के करीब आने से अखिलेश की टेंशन बढ़ गई है.

समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और कांग्रेस को (Congress) को डर सता रहा है कि कहीं बीजेपी और राष्ट्रीय लोकदल के बीच गठबंधन न हो जाए. जैसे ही पीएम मोदी ने भारत रत्न देने का ऐलान किया, जयंत चौधरी की ओर से सोशल मीडिया पर एक पोस्ट आया, 'दिल जीत लिया.'

क्यों सपा और कांग्रेस की बढ़ेगी चुनौती?
दिल की इस जीत ने सपा और कांग्रेस को टेंशन दे दी है. अगर यह गठबंधन अस्तित्व में आता है तो दोनों दलों को एक बार फिर रणनीति बदलने पर मजबूर कर सकता है.

इसे भी पढ़ें- क्या करती हैं Dehati Madam यशोदा लोधी जो Youtube बरसा रहे पैसे, दिल छू लेगी संघर्ष की कहानी

सियासी जानकारों का कहना है कि सपा और कांग्रेस के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है, क्योंकि उन्हें जाट बहुल सीटों पर मशक्कत करनी पड़ेगी. 2022 में इन सीटों पर दोनों दलों को काफी फायदा मिला था.

क्या कहते हैं चुनावी आंकड़े?
2022 के विधानसभा में मेरठ, मुरादाबाद और साहरनपुर मंडल में जाट मुस्लिम का गठजोड़ काफी कारगर साबित हुआ था. 2017 में BJP ने यहां 50 से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं 2022 के आंकड़ों को देखने से सामने आता है कि BJP को 40 सीटों पर ही कामयाबी मिली.

गठबंधन की वजह से विपक्ष की सीटें 20 से बढ़कर 31 हो गई. 2019 के संसदीय चुनाव में सपा, बसपा और रालोद के गठबंधन ने मोदी लहर होने के बाद भी सभी छह सीटों पर कब्जा किया था.

इसे भी पढ़ें- Doctor कपल ने Operation Theatre में कराया Pre Wedding Shoot, नौकरी से हो गई छुट्टी

इनमें बिजनौर, नगीना और अमरोहा सीटें बसपा को मिलीं, जबकि मुरादाबाद, संभल और रामपुर सीटों पर सपा काबिज हुई. रालोद किसी सीट पर नहीं लड़ी थी.

BJP के दोनों हाथों में लड्डू क्यों है?

राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में जाट वोट काफी महत्वपूर्ण है, इसलिए BJP रालोद के साथ गठबंधन करने के लिए आतुर है. यूपी की 18 ऐसी सीटें हैं, जिनमे इनकी काफी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है. 

- कैराना, मुरादाबाद, अलीगढ़, मुज्जफरनगर, मेरठ, साहरनपुर, बिजनौर, संभल, नगीना, इन पर मुस्लिम वोटर भी काफी प्रभावी भूमिका में हैं. इसी कारण इनका आपसी गठजोड़ भी काफी मुफीद होता है. 

- 2014 के बाद से जाट वोट बैंक पर BJP की पकड़ काफी मजबूत दिखाई दे रही है. रालोद के सपा के साथ न रहने से काफी मुश्किल हो सकती है.

- जयंत के आने से BJP में जाट वोट का विभाजन रुकेगा. जयंत के आने से पश्चिमी यूपी के साथ हरियाणा और राजस्थान की राजनीति साधेगी, क्योंकि चौधरी चरण सिंह के परिवार से बड़ा अभी तक कोई बड़ा जाट नेता नजर नहीं आ रहा है. 

भारत रत्न ने बदल दिया पश्चिमी यूपी का समीकरण
भारत रत्न की वजह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सियासी समीकरण बदल गया. जयंत बीजेपी में आते हैं तो बड़े लाभ मिलने वाले हैं. एक तो उनकी सीटें बढ़ेंगी और कन्वर्जन रेट भी बढ़ेगा. अगर सरकार बनती है तो उनके मंत्री बनने का भी मौका है. 

इसे भी पढ़ें- Viral News: प्याज काटने का तरीका था गलत, गर्लफ्रैंड ने टोका तो हुआ मर्डर, गुनहगार की स्टोरी पर कन्फ्यूज पुलिस

चाहे अनुप्रिया हो या रामदास आठवले, सभी गठबंधन में हैं और मंत्री भी हैं. सरकार में रहने पर जाट राजनीति भी भरपूर तरीके से कर पाएंगे. BJP के पास वैसे भी जाट नेताओं की कमी हैं, जिसे जयंत के साथ पूरा किया जा सकता है.

क्या है सपा-कांग्रेस की असली टेंशन?
राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि अगर जयंत अखिलेश और कांग्रेस के साथ होते तो कांग्रेस को पांच से आठ से सीटों के बारे में सोचना न पड़ता, जहां पर रालोद का दबदबा है. यही वे सीटें थीं, जहां अखिलेश भी अपने को मजबूत नहीं समझते हैं. इसी कारण वे सात सीटें छोड़ने को तैयार थे. 

अब इन सीटों पर कांग्रेस और सपा को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि जाट बाहुल सीटों पर जयंत अपने लिए काम करेंगे. कांग्रेस पहले ही सीटों को लेकर परेशानी का सामना कर रही है. अब जयंत के जाने से उन्हें नए सिरे से माथापच्ची करनी पड़ेगी.

बीजेपी के लिए चौतरफा फायदा
रतनमणि कहते हैं कि जयंत के BJP के साथ जाने से जाट और मुस्लिम कॉम्बिनेशन का फायदा मिलेगा. पश्चिमी क्षेत्र में जयंत और मजबूत होंगे. BJP पश्चिम में मजबूत होगी. इसका असर अन्य इलाकों में भी होगा.

अभी बीजेपी से काफी दूर हैं जयंत
सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉक्टर आशुतोष वर्मा कहते हैं कि जयंत चौधरी ने अभी आधिकारिक कोई घोषणा नहीं की है कि वे BJP में जा रहे हैं. जिस प्रकार से पश्चिम में उन्होंने किसानों के मुद्दों पर कई लड़ाई लड़ी है, उनके ऊपर BJP ने लाठी बरसाई है, उसे भुलाया नहीं जा सकता. 

जयंत ने BJP के खिलाफ एक बड़ी मुहिम छेड़ रखी है. रालोद, सपा और कांग्रेस मिलकर BJP का रथ रोकने जा रही है. BJP, इंडिया गठबंधन से परेशान न होती तो हमारे गठबंधन में शामिल लोगों को तोड़ती नहीं. जनता सब कुछ जान चुकी है. इन्हें चुनाव मे जवाब देने को तैयार है.

कांग्रेस को क्या है आस?
कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी कहते हैं कि यूपी जातीय समीकरण में फिट है. राहुल गांधी की न्याय यात्रा जहां-जहां से गुजरेगी, BJP वहां साफ होती जाएगी. पश्चिमी यूपी में जाट और किसानों के मुद्दों पर कांग्रेस आगे रही है. जयंत अभी हमारे गठबंधन का हिस्सा हैं. BJP जानती है कि कांग्रेस ही उसे हरा सकती है, इसी कारण वह परेशान है.

BJP को क्या है रिएक्शन?
BJP प्रवक्ता आनंद दुबे कहते हैं कि इंडिया गठबंधन, BJP के डर के कारण बना है. इसमें शामिल सभी दल एक दूसरे को गाली देते थे. अब उन्हें कांग्रेस ने हार का साझीदार बनाने के लिए एक साथ जोड़ा है.

कांग्रेस नहीं चाहती है कि हार का ठीकरा सिर्फ राहुल गांधी के सिर पर फूटे, इसी कारण उन्होंने यह गठजोड़ तैयार किया है.

यह लोग अपने सहयोगियों को संभालने में खुद असमर्थ है. अब तरह तरह के बहाने बना रहे हैं. मोदी जी एक बार फिर से प्रचंड बहुमत से जीतने जा रहे हैं. इसी कारण इंडिया गठबंधन के लोग परेशान हैं. (इनपुट: IANS हिंदी)

​​​​​​​​​​​​​​देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement