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'लक्ष्य एक, चुनौतियां अनेक,' कैसे इंडिया का अगुवा बन पाएगी कांग्रेस?

कांग्रेस के सहयोगी दल सीट बंटवारे पर जल्द से जल्द सहमति चाहते हैं. कांग्रेस को जितनी सीटें ऑफर हो रही हैं, उससे पार्टी के नेता संतुष्ट नहीं हैं.

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'लक्ष्य एक, चुनौतियां अनेक,' कैसे इंडिया का अगुवा बन पाएगी कांग्रेस?

INDIA गठबंधन की राह में अब भी हैं कई रोड़े. (तस्वीर-PTI)

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डीएनए हिंदी: कांग्रेस के लिए इंडिया गठबंधन का नेतृत्व कर पाना मुश्किल हो रहा है. क्षेत्रीय पार्टियां जितनी सीटें कांग्रेस को ऑफर कर रही हैं, उन्हें देखकर कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व किसी एक फैसले पर नहीं पहुंच पा रहा है. कांग्रेस ने गुरुवार को ऐलान किया है कि INDIA के सहयोगी दलों के साथ लंबे समय से प्रतीक्षित सीट-बंटवारे की बातचीत बिना किसी देरी के शुरू होगी और जब भी सहयोगी तैयार होंगे, इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी. इंडिया गठबंधन के घटक दलों में इतने मतभेद हैं कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले उसके टूटने के आसार नजर आ रहे हैं. 

कांग्रेस नेता मुकुल वासनिक, पांच सदस्यीय राष्ट्रीय गठबंधन पैनल के प्रमुख बनाए गए हैं. उन्होंने कहा है कि सीटों पर बातचीत राज्य में सहयोगी पार्टियों की स्थिति के आधार पर होगी. यही फॉर्मूला राज्यवार स्तर पर अपनाया जाएगा. उन्होंने कहा, 'हम जानते हैं कि हमें इसे जल्दी करना होगा. यह हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. कोई देरी नहीं होगी. जैसे ही अन्य राजनीतिक दल तैयार हो जाते हैं, हम उनके साथ सही समय पर बातचीत शुरू कर देंगे. राज्यों के आधार पर चर्चा करना महत्वपूर्ण है क्योंकि विभिन्न दलों की राज्यों में अलग-अलग स्थितियां हैं.'

कैसे गठबंधन की अगुवाई करेगी कांग्रेस?
पंजाब, पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्यों में कांग्रेस के साथ हो रहा बर्ताव चौंकाने वाला है. पंजाब और पश्चिम बंगाल में गठबंधन की राह में कई बाधाएं हैं. दोनों राज्यों के कांग्रेस चीफ सत्तारूढ़ दलों से बेहद नाराज हैं और जमकर आलोचना कर रहे हैं. अधीर रंजन चौधरी ने पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है, वहीं आम आदमी पार्टी के खिलाफ पंजाब में अमरिंदर सिंह बराड़ ने मोर्चा खोला है.

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मध्य प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच ऐसी अनबन हुई है कि उसका असर यूपी चुनाव में भी दिखेगा. यूपी में सपा मजबूत स्थिति में है ऐसे में इतनी सीटें कम ऑफर हो रही हैं कि कांग्रेस आलाकमान उसके लिए तैयार नहीं होगा. कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी के साथ बातचीत भी जटिल हो सकती है.

NDA के खिलाफ INDIA गठबंधन में नहीं दिख रही एकता
एक तरफ सत्तारूढ़ NDA है, जिसके घटक दलों की भाषा तक एक हो गई है, दूसरी तरफ इंडिया है जहां आज तक सहमति ही नहीं बन पाई है. सीट शेयरिंग पर अगर जल्द ही कोई बड़ा फैसला नहीं लिया जाता है तो स्थितियां उलट होंगी. राष्ट्रीय गठबंधन पैनल के सदस्यों ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व पार्टी प्रमुख राहुल गांधी और महासचिव केसी वेणुगोपाल को गुरुवार को कांग्रेस की राज्य इकाइयों के साथ उनकी चर्चा के नतीजे के बारे में जानकारी दी.

मुकुल वासनिक ने कहा है, 'हमने अलग-अलग राज्य के सहयोगियों के साथ चर्चा की है कि किन सीटों पर लड़ना चाहते हैं और हम उन्हें कौन सी सीटें दे सकते हैं. हमने खड़गे जी, राहुल गांधी जी और वेणुगोपाल जी को बातचीत पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी है. हम जल्द ही विभिन्न दलों के साथ सीटों पर चर्चा शुरू करेंगे. हम पता लगाएंगे कि वे बातचीत के लिए कब उपलब्ध होंगे और फिर आगे बढ़ेंगे.'

अब सीट शेयरिंग के लिए अधीर हो रहे ये दल
इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल सीट शेयरिंग को लेकर अधीर हो रहे हैं. टीएमसी, जनता दल यूनाइटेड, आप और शिवसेना (यूबीटी) कांग्रेस की देरी से अधिक अधीर हो रहे हैं. टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता ने गुरुवार को कहा कि सीट-बंटवारे का समझौता पूरा होने तक उनकी पार्टी गठबंधन की किसी भी संयुक्त रैली में शामिल नहीं होगी. उन्होंने कहा, 'हम अब किसी भी रैली में शामिल नहीं होने जा रहे हैं. ऐसी ही एक रैली जंतर-मंतर पर हुई थी और हमने केवल एक प्रतिनिधि भेजा था. जब तक सीट बंटवारे को अंतिम रूप नहीं दिया जाता तब तक कोई रैली नहीं की जानी चाहिए.'

TMC को जल्द चाहिए नतीजा
तृणमूल कांग्रेस को सीट शेयरिंग पर जल्द से जल्द फैसला चाहिए लेकिन पार्टी कांग्रेस को 10 सीटें भी पश्चिम बंगाल में देने के लिए तैयार नहीं है. पार्टी ने इंडिया ब्लॉक की बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे से स्पष्ट रूप से कहा था कि 179 दिनों में, गठबंधन ने अपने नाम के अलावा कुछ भी हासिल नहीं किया है. टीएमसी ने कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में सीट वार्ता को पूरा करने के लिए दिसंबर 2023 तक की समय सीमा भी दी थी. समय सीमा बीत चुकी है.  

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क्या है सीट शेयरिंग पर कांग्रेस का फैसला
कांग्रेस ने सीट शेयरिंग पर वार्ता के लिए मौका खुला रखा है. कांग्रेस यह भी नहीं बता रही है कि वह कितने सीटों पर अकेले चुनाव लड़ना चाहती है. मुकुल वासनिक ने कहा है, 'हमने अपनी पार्टी के लिए कोई गणना नहीं की है. हमारा लक्ष्य 2024 के चुनाव में भारत को जीत दिलाना है. जब भी वे उपलब्ध होंगे, हम सीट-दर-सीट चर्चा शुरू करेंगे. आप समझ सकते हैं कि हम कितनी जल्दी बातचीत शुरू कर रहे हैं.'

किन नेताओं के सिर है बड़ी जिम्मेदारी
कांग्रेस के 5 सदस्यीय पैनल में पूर्व सीएम अशोक गहलोत और भूपेश बघेल, वरिष्ठ नेता मोहन प्रकाश और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद भी शामिल हैं. इस पैनल ने गठबंधन के दायरे पर सभी कांग्रेस इकाइयों के साथ बातचीत की. इससे पहले दिन में, राज्य इकाइयों, महासचिवों और प्रभारियों के साथ बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि अगर इंडिया का संदेश अच्छी तरह से पहुंचाया जाए तो हम 2024 का चुनाव जीत सकते हैं. पार्टी महासचिवों, प्रभारियों, राज्य इकाइयों और विधायक दल प्रमुखों के साथ बैठक की अध्यक्षता करने वाले मल्लिकार्जिन खड़गे ने एक मजबूत गठबंधन के महत्व पर जोर दिया. इस बैठक से पश्चिम बंगाल कांग्रेस के मुखिया अधीर रंजन चौधरी संतुष्ट नहीं हैं, वे बैठक में शामिल ही नहीं हुए.

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