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मोदी सरकार ने क्यों बंद की MANF योजना, क्या अल्पसंख्यक छात्रों के लिए है ये बड़ा झटका?

Maulana Azad National Fellowship: UGC के आकंड़ों के मुताबिक, पिछले आठ साल में 6,722 छात्रों को 738.85 करोड़ रुपये की फेलोशिप दी गई थी.

मोदी सरकार ने क्यों बंद की MANF योजना, क्या अल्पसंख्यक छात्रों के लिए है ये बड़ा झटका?

Maulana Azad National Fellowship

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डीएनए हिंदी: केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाने वाली मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप  (Maulana Azad National Fellowship- MANF) को बंद कर दिया है. केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ने ईरानी गुरुवार को लोकसभा में इसकी जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि यह योजना दूसरी योजनाओं को ओवरलैप कर रही थी, इसलिए सरकार ने इसे बंद करने का फैसला लिया है. गौरतलब है कि इस योजना के तहत अल्पसंख्यक छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए 25,000 से 30,000 प्रति महा दिया जाता था.

दरअसल, संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में केरल के त्रिस्‍सूर से कांग्रेस सांसद टीएन प्रतापन ने मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप  को लेकर सवाल पूछा था. जिसके जवाब में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि एमएएनएफ योजना को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा दिया जाता था. UGC के आकंड़ों के मुताबिक, 2014-15 और 2021-22 के बीच 6,722 छात्रों को 738.85 करोड़ रुपये की फैलोशिप दी गई थी.

उन्होंने कहा कि MANF योजना केंद्र सरकार  द्वारा उच्च शिक्षा के लिए कई फेलोशिप  योजनाए ओवरलैप कर रही थी. इसलिए सरकार ने 2023 से MANF योजना को बंद करने का फैसला लिया है. सरकार के इस फैसले का टीएम प्रतापन ने विरोध किया. उन्होंने कहा, ‘यह अन्याय है. सरकार के इस कदम से कई शोधकर्ता आगे अध्ययन करने का मौका खो देंगे.’

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कब शुरू हुई मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप शिप योजना?
मिनिस्ट्री ऑफ माइनॉरिटी अफेयर्स द्वारा मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप  योजना 2009 में शुरू की गई थी. इसके तहत 6 अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों- मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी छात्रों के लिए PhD और M.Phil के लिए सरकार की ओर से 5 साल तक सहायता राशि दी जाती थी. देश में मुसलमानों की सामाजिक व आर्थिक स्थिति का अध्ययन करने वाली सच्चर कमिटी की सिफारिश के बाद इस योजना को लागू किया गया था. 

MANF के तहत कितनी दी जाती थी राशि
Maulana Azad National Fellowship Program के तहत उन्हीं छात्रों को सहायता राशि दी जाती थी जो साइंस, इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, सोशल साइंस या फिर ह्यूमैनिटी स्ट्रीम में MPhil या PhD कर रहे थे. इसके अंतर्गत JRF के तहत 2 साल के लिए 25,000 रुपये प्रति माह और SRF के तहत 28,000 रुपये प्रति माह की धनराशि मिलती थी.

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किन छात्रों को मिलती थी छात्रवृत्ति?

  • मास्टर्स प्रोग्राम में कम से कम 55% अंक हासिल करने वाले छात्र ही इस स्कॉलरशिप के लिए पात्र होते थे.
  • आवेदक के पास मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध  या पारसी समुदाय से होना और अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र होना चाहिए था.
  • इसके अलावा  CSIR-NET/CBSE-NET क्वालीफाई होना.
  • किसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी में M. Phil/PhD कोर्स में दाखिला लिया हो और NET-JRF or UGC परीक्षा पास की हो.
  • इस छात्रवृत्ति के लिए ट्रांसजेंडर समुदाय के उम्मीदवारों को समान रूप से प्रोत्साहित किया जाता था.
  • आवेदकों की फैमिली आय 2.5 लाख प्रति वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए थी.

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