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Russia Ukraine War: जंग के बीच फंसा नादिया जिले का 'दिबास', यूक्रेन से कैसे होगी वापसी? 

रूस-यूक्रेन ने अपने भारी हथियारों से एक दूसरे पर हमला किया है. बर्बादी का आलम ऐसा है कि लोगों के घर राख में तब्दील हो गए.

Russia Ukraine War: जंग के बीच फंसा नादिया जिले का 'दिबास', यूक्रेन से कैसे होगी वापसी? 

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डीएनए हिंदीः यूक्रेन-रूस में छिड़ी जंग (Russua Ukraine War) का खामियाज़ा न केवल वहां की जनता बल्कि भारतीय लोगों को भी भुगतना पड़ रहा है. रूस-यूक्रेन ने अपने भारी हथियारों से एक दूसरे पर हमला किया है. बर्बादी का आलम ऐसा है कि लोगों के घर राख में तब्दील हो गए. लोग अपनी जान बचाने के लिए पड़ोसी देशों का सहारा ले रहे हैं और भारी तादाद में पलायन कर रहे हैं. भारतीय मूल के भी सैकड़ों लोग यूक्रेन से अपनी जान बचाने में लगे हैं. अभी तक भारत सरकार 17 हजार से अधिक भारतीयों को उनके वतन वापस लेन में सक्षम हो चुकी हैं हालांकि अभी भी कुछ भारतीय वहां पर फंसे हुए हैं. ऐसे ही एक भारतीय दिबास सरकार भी यूक्रेन में फंस गए हैं. पढ़ें के टी अल्फी की रिपोर्ट

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गेहूं से भरा एक कार्गो जहाज़ जो इटली की तरफ जा रहा था वो यूक्रेन में फंस गया और इसी जहाज़ में पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के चकदह इलाके के दिबास सरकार भी फंस गए. दिबास सरकार ने उस जहाज से ही रूस-यूक्रेन के युद्ध के उस अद्भुत नज़ारे को अपने कैमरे में कैद कर लिया. बमबारी की इस भयानक आवाज़ को जब दिबास ने अपने कानों से सुना और देखा हो उनके होश उड़ गए. दूसरी तरफ यहां उनके घर न लौटने पर दिबास की मां कृष्णा देवी और उनकी पत्नी झरना सरकार और 3 साल का बेटा उनके लौटने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं. घर में इस बात की चिंता है कि उनका बेटा कब घर लौटेगा. परिवार के एक मात्र कमाई का जरिया दिबास ही हैं.  

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दिबास इस जहाज़ में चीफ कुक का काम करते है और 2021 के अगस्त महीने में अपने घर से सपनों को उड़ान देने निकले थे. कनाडा से अपनी समुद्री सफर की शुरुआत करते हुए ब्राज़ील, अर्जेंटीना से होकर 23 फरवरी  को दिबास यूक्रेन के निकोलेव बंदरगाह पर पहुंचे. गेहूं से लदे जहाज़ को इटली ले जाते समय रूसी हमले के चलते दिबास का सफर वहीं थम गया और वो आगे नहीं बढ़ सके. हर रोज़ ही दिबास जहाज़ में बैठकर युद्ध का नज़ारा देख रहे है. इस वक्त हालात इतने गंभीर हैं कि यूक्रेन में कोई गाड़ी या दूसरा साधन भी नहीं मिल पा रहा है. अब पैदल चलकर निकोलेव से 85 किलोमीटर का रास्ता कैसे तय करेंगे. कैसे वह अपनी जान बचाएंगे और अपने वतन वापस लौटेंगे, इसकी चिंता उन्हें सताने लगी है. उनकी मां कृष्णा सरकार का कहना है कि किसी भी तरह उनका बेटा अब घर वापस आ जाए. उन्होंने सरकार से अपील की कि उनके बेटे को सही सलामत वापस लाया जाए.  

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