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अल्फा, बीटा, गामा नहीं अब ऐसे पहचाने जाएंगे Greater Noida के रिहायशी सेक्टर

इस प्रस्ताव को अमलीजामा पहनाने के लिए प्राधिकरण ने कमेटी भी गठित कर दी है.  

अल्फा, बीटा, गामा नहीं अब ऐसे पहचाने जाएंगे Greater Noida के रिहायशी सेक्टर
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डीएनए हिंदीः ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) के लोगों के लिए उनके अपने सेक्टर के नाम ही परेशानी का सबब बने हुए है. सेक्टर के नाम अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा आदि हैं. कई बार लोगों को इन्हें लेकर परेशानी होती है. लोग इनकी लोकेशन का भी अंदाजा नहीं लगा पाते हैं. ग्रेटर नोएडावासियों से सुझाव लेकर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण इन सेक्टरों के नाम बदलने पर विचार कर रहा है. ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ (CEO) नरेंद्र भूषण की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस प्रस्ताव को अमलीजामा पहनाने के लिए प्राधिकरण ने कमेटी भी गठित कर दी है.  

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1991 में हुआ था ग्रेटर नोएडा का गठन 
ग्रेटर नोएडा का जब 1991 में गठन हुआ था, तब यहां के सेक्टरों का नाम यूनानी वर्णमाला अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा, ओमीक्रॉन, म्यू, ज्यू, चाई-फाई, पाई के आधार पर रखा गया था. इन नामों के आगे वन, टू थ्री और जोड़ दिए गए. इन नामों रखे गये सेक्टरों से आम आदमी के लिये सेक्टरों के लोकेशन का अंदाजा लगाने परेशानी हो रही थी, इसके बजाये नोएडा में रखे सेक्टर के नाम संख्यात्मक अंकों होने की वजह से आसानी सेक्टरों के लोकेशन का अंदाजा लग जाता है. नोएडा के तर्ज पर अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा के स्थान पर सेक्टर एक, दो, तीन, चार..., संख्यात्मक अंकों से रखने की तैयारी है.   

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कई सेक्टर नोएडा की तर्ज पर   
ग्रेटर नोएडा में कई जगह इन सेक्टरों के आसपास संख्यात्मक अंकों वाले सेक्टर भी बसा दिए गए हैं. मसलन, रिहायशी सेक्टर स्वर्णनगरी के पास ही सेक्टर -36 व 37 बसा दिए गए. इसी तरह सेक्टर एक, दो, तीन, सेक्टर-10, 12 ग्रेटर नोएडा वेस्ट में हैं. इनके बीच के कई अंक वाले सेक्टर हैं ही नहीं. इस वजह से लिखने, बोलने और समझने में बहुत असमंजस की स्थिति रहती है. कमेटी से शीघ्र प्रस्ताव देने को कहा गया है। कमेटी इसे अंतिम रूप देने से पहले ग्रेटर नोएडावासियों से भी सुझाव लेगी उसके बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा. 

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