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चंद्रमा पर कहां है शिव-शक्ति और तिरंगा पॉइंट? पीएम मोदी ने बताई जगह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रमा पर दो जगहों का नामकरण कर दिया है. दोनों जगहें चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 से जुड़ी हुई हैं. जानिए ये जगहें कहां हैं.

चंद्रमा पर कहां है शिव-शक्ति और तिरंगा पॉइंट? पीएम मोदी ने बताई जगह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.

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डीएनए हिंदी: चंद्रयान-3, चंद्रमा की के दक्षिणी ध्रुव पर आजाद घूम रहा है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) के वैज्ञानिकों ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया है. चंद्रयान-3 की सफलता के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार इसरो के कमांड सेंटर पहुंचे और वैज्ञानिकों से बात की. प्रधानमंत्री मोदी ने चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 से जुड़ी जगहों का नामकरण किया है. पीएम नरेंद्र मोदी के नाम रखने की वजह भी बेहद दिलचस्प है.

बेंगलुरु में इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क मिशन कंट्रोल कॉम्प्लेक्स में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'जिस स्थान पर चंद्रयान-3 का मून लैंडर उतरा है, उस स्थान को 'शिवशक्ति' के नाम से जाना जाएगा.'

कहां है शिवशक्ति और तिरंगा पॉइंट?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'एक और नामकरण काफी समय लंबित है. चार साल पहले जब चंद्रयान-2 चंद्रमा के पास पहुंचा था. जहां उसके पद चिह्न पड़े थे. तब ये तय था कि उसका नाम दिया जाए. लेकिन उन परिस्थितियों को देखते हुए हमने तय किया था कि जब चंद्रयान-3 सफलता पूर्वक पहुंचेगा तब हम दोनों चंद्रयान मिशन को नाम देंगे. आज जब हर घर में तिरंगा है. इसलिए चंद्रयान-2 ने जिस स्थान पर पदचिह्न छोड़े हैं, वो स्थान अब तिरंगा पॉइंट कहलाएगा. जहां चंद्रयान-3 का मून लैंडर पहुंचा है, वो स्थान आज से शिवशक्ति कहलाएगा.

'अगर दृढ़ इच्छा हो तो सफलता मुमकिन'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'अगर दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो सफलता मिलकर रहेगी. आज भारत दुनिया का ऐसा चौथा देश बन गया है, जिसने चंद्रमा की सतह को छुआ है. ये सफलता तब और बड़ी हो जाती है, जब हम देखते हैं कि भारत ने अपनी यात्रा कहां से शुरू की थी. एक समय भारत के पास जरूरी तकनीकी नहीं थी. हमारी गिनती थर्ड वर्ल्ड यानी थर्ड रॉ में खड़े लोगों में होती थी. वहां से निकलकर आज भारत दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बना है. आज भारत की गिनती पहली पंक्ति में हो रही है. इस यात्रा में इसरो जैसी संस्थाओं की बड़ी भूमिका रही है. आपने आज मेक इन इंडिया को चांद तक पहुंचा दिया.'

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