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Bilkis Bano Case: गुजरात सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने फटकारा, पूछा 'बिलकिस केस में रिहाई से क्या संदेश दिया?'

Supreme Court News: बिलकिस बानो के साथ गुजरात दंगे-2002 के दौरान गैंग रेप किया गया था. इसके दोषियों को सजा मिली थी, लेकिन पिछले साल गुजरात सरकार ने सभी दोषियों को आम माफी देते हुए रिहा कर दिया था. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी.

Bilkis Bano Case: गुजरात सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने फटकारा, पूछा 'बिलकिस केस में रिहाई से क्या संदेश दिया?'

Supreme Court

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डीएनए हिंदी: Gujarat News- गुजरात के चर्चित बिलकिस बानो गैंगरेप केस में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को आरोपियों की रिहाई के लिए फटकार लगाई. दरअसल सुप्रीम कोर्ट तब नाराज हो गया, जब गुजरात सरकार ने रिहाई से जुड़ी फाइल दिखाने के आदेश का विरोध कर दिया. कोर्ट ने गुजरात सरकार को 2 मई को फाइल दिखाने का आखिरी मौका देते हुए चेतावनी दी कि ऐसा नहीं होने पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी. कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि इस मामले में दोषियों की रिहाई के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर 2 मई को दोपहर 2 बजे निर्णायक सुनवाई की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी लापरवाही दिखाने के लिए नाराजगी जताई

विशेषाधिकार के सहारे बच रही गुजरात सरकार

बिलकिस मामले की सुनवाई जस्टिस केएम जोसफ और जस्टिस बी वी नागरत्ना की बेंच ने की. इस दौरान बेंच ने रिहाई से जुड़े आदेश की फाइल दिखाने के बारे में पूछा. गुजरात सरकार ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिह दोषियों को रिहाई हुई है. राज्य सरकार ने विशेषाधिकार का हवाला देकर संबंधित दस्तावेज दिखाने से छूट पानी चाही. इस पर बेंच ने सीधे तौर पर कहा कि बार-बार कहने पर भी गुजरात सरकार दोषियों की समय से पहले रिहाई से जुड़े दस्तावेज पेश नहीं कर रही है. यदि आपने आज ही रिकॉर्ड पेश नहीं किया तो आपके खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही की जाएगी.

राज्य सरकार ने दिया ऐसा तर्क

गुजरात सरकार की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल वीएस राजू ने पहले खुद दस्तावेजों की रिव्यू की बात कही. उन्होंने कहा कई दस्तावेज गुजराती में है. इस पर जस्टिस जोसेफ ने उन्हें कहा कि आप रिव्यू करिए. हमने कहां रोका है? आप हमारे सामने रिकॉर्ड पेश कीजिए. बेंच ने दोषियों के नोटिस का जवाब देने तक आजाद ही रहने की बात कही. इस पर ASG राजू ने सोमवार तक राज्य सरकार से निर्देश लेकर रिकॉर्ड सौंपने की बात कही. इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई को 2 मई तक स्थगित करते हुए केंद्र और राज्य सरकार को दस्तावेज दिखाने से जुड़े आदेश पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के लिए 1 मई तक का समय दिया.  

'शक्ति का उपयोग जनता की भलाई के लिए हो'

सुप्रीम कोर्ट बेंच ने इस पर बेहद आश्चर्य जताया कि दोषियों को रिहा करने से पहले भी उन्हें लंबे-लंबे पैरोल दिए गए. किसी को 1,000 दिन तो किसी को 1,500 दिन का पेरोल दिया गया. उन्होंने गुजरात सरकार को नसीहत दी कि शक्ति का प्रयोग जनता की भलाई के लिए होना चाहिए. आप ऊंचे या बड़े हों तो भी आपका कामकाज जनता की भलाई के लिए और विवेकपूर्ण होना चाहिए. बेंच ने बिलकिस बानो की याचिका का जिक्र किया और कहा कि इस हिसाब से यह एक समुदाय और समाज के खिलाफ अपराध है. इससे 15 जिंदगियां बरबाद हो गईं. ऐसे दोषियों की रिहाई से आप क्या संदेश दे रहे हैं? 

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