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Supreme Court के वकील विनीत जिंदल को धमकी, 'अल्लाह का पैगाम-तेरा भी सर होगा तन से जुदा'

Sar tan se juda: सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील विनीत जिंदल को जान से मारने की धमकी मिली है. उन्हें एक चिट्ठी भेजी गई है जिसमें लिखा गया है कि 'अल्लाह का पैगाम है विनीत जिंदल, तेरा सिर भी तन से जुदा होगा.' दिल्ली पुलिस ने इस मामले में शिकायत दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है. पढ़ें हमारे रिपोर्टर सुमित कुमार की रिपोर्ट...

Supreme Court के वकील विनीत जिंदल को धमकी, 'अल्लाह का पैगाम-तेरा भी सर होगा तन से जुदा'

सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील विनीत जिंदल

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डीएनए हिन्दी: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)के वकील विनीत जिंदल (Vineet Jindal) को 'सर तन से जुदा की धमकी' मिलने के मामले में दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई करते हुए NCR दर्ज कर ली है. दरअसल, विनीत जिंदल को धमकी भरी चिट्ठी भेजी गई थी जिसमें लिखा गया था कि 'अल्लाह का पैगाम है विनीत जिंदल, तेरा सिर भी तन से जुदा होगा.' जिसके बाद विनीत जिंदल ने दिल्ली के आदर्श नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी.

दरअसल, इससे पहले भी विनीत जिंदल को देश-विदेशी के नंबरों से जान से मारने की धमकी मिली थी. उस वक्त भी विनीत जिंदल ने अजमेर दरगाह से जुड़े खादिम और अंजुमन कमिटी के सचिव आदील चिश्ती के खिलाफ दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. विनीत जिंदल ने हिन्दू देवी देवताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में आदील चिश्ती के खिलाफ शिकायत दी थी और मणिमकलि पर भी FIR दर्ज करवाई थी. माना जा रहा है कि इन्हीं वजहों से विनीत जिंदल को धमकियां मिल रही हैं.

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क्या होती है NCR
असंज्ञेय अपराध (Non Cognizable Offense) का मतलब होता है, ऐसे अपराध जिनमें किसी के साथ हुए मामूली झगड़े, गाली-गलौज या कोई दस्तावेज आदि खो जाने की शिकायत दर्ज कराई जाती है. शांति भंग करने के मामले भी इस गैरसंज्ञेय अपराध की श्रेणी में आते हैं. इस प्रकार के अपराध होने पर पीड़ित व्यक्ति पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने जाता है तो वहां पुलिस ऐसे मामले को एफआईआर में दर्ज नहीं करती बल्कि इसके लिए एनसीआर दर्ज कर ली जाती है. इसमें सबसे अहम बात यह होती है कि एफआईआर कोर्ट में पेश की जाती है, लेकिन एनसीआर सिर्फ और सिर्फ पुलिस स्टेशन के रिकॉर्ड तक ही सीमित रहती है.

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दरअसल, यह इसलिए होता है कि किसी के साथ मामूली झगड़े या शांति भंग करने के मामले की जानकारी पुलिस को मिल जाए और उसे आरोपी को चेतावनी भी मिल जाए. यानी पुलिस के संज्ञान में आ जाए. ऐसे मामलों में अगर आरोपी दोबारा उसी तरह से मारपीट या लड़ाई करते हैं तो पुलिस एनसीआर के बजाय एफआईआर दर्ज कर जेल भी भेज देती है. पुलिस द्वारा FIR दर्ज करने के बाद उन्हें तमाम कानूनी शक्तियां मिल जाती है, जिससे पुलिस बिना वॉरंट के गिरफ्तार कर सकती है, जबकि NCR दर्ज करने के बाद पुलिस को गिरफ्तार करने का अधिकार प्राप्त नहीं होता है.

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