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मोटापे की वजह से डायबिटीज का शिकार हो रहे बच्चे, IAP ने जारी की गाइडलाइंस

इंडियन अकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक ने मोटापे को बीमारी की श्रेणी में रखा है, उसकी वजह भी साफ है मोटे बच्चे युवावस्था में डायबिटीज हाई ब्लड प्रेशर (BP) और दिल की बीमारी के शिकार हो रहे हैं.

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मोटापे की वजह से डायबिटीज का शिकार हो रहे बच्चे, IAP ने जारी की गाइडलाइंस

increasing obesity in children

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डीएनएन हिंदी: अब मोटापा केवल एक कंडीशन नहीं है. इसे बीमारी का नाम दे दिया गया है. इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने भारत में मोटे होते बच्चों की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए गाइडलाइंस जारी की है. जिसके मुताबिक अब मोटापा एक बीमारी कहलाएगा. ये परिभाषा बड़ों पर भी लागू होगी. लेकिन इस परिभाषा का आधार बच्चों की सेहत को बनाया गया है. 

साल 2020 में किए गए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 के मुताबिक, भारत में 5 साल से कम के 3.5 प्रतिशत बच्चे मोटे हैं. ये उससे 5 सालों पहले 2015 में किए गए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 4 के डाटा के मुकाबले  में 50 प्रतिशत की बढोतरी है. किशोरों में मोटापा 16 प्रतिशत बच्चों में पाया जाता है. कुछ स्टडी के मुताबिक भारत में पिछले 2 से 3 दशकों में मोटापे में 24 गुना का इजाफा हो गया है. 

बच्चे की Height के हिसाब से हो मोटापा
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के हिसाब से  बच्चों में हाइट (Height) की आधी होनी चाहिए. कमर की गोलाई इससे ज्यादा है तो बच्चों को मोटा समझा जाएगा. जैसे अगर बच्चे की हाइट 120 सेंटीमीटर यानी 4 फीट है तो उसकी कमर की गोलाई 60 सेंटीमीटर से कम यानी 24 इंच से कम होनी चाहिए.

साल 2021 में देश भर में किए गए स्पोर्टज विलेज स्कूल्स के सर्वे के मुताबिक, दिल्ली के 51 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे अस्वस्थ्य है. जबकि वर्ष 2020 में मोटापे के शिकार बच्चों की दिल्ली में संख्या 50 प्रतिशत थी.  दिल्ली से खराब हालत देश के दो अन्य शहर बैंगलोर और चेन्नई की है जहा ये आंकड़ा 53% है. 

जंक फूड और मोबाइल मोटापे के लिए जिम्मेदार 
हाल ही में एक मोबाइल फोन कंपनी के सर्वे के मुताबिक, 83% बच्चों को लगता है कि मोबाइल फोन उनकी जिंदगी का अभिन्न अंग है, जबकि उसी में 91% बच्चे मानते हैं कि वो माता पिता से फेस टू फेस बात करें तो उन्हें ज्यादा आनंद आता है.  बच्चे फोन पर औसतन साढे 6 घंटे बिता रहे हैं. इसका मतलब इतने समय वो खाली बैठे हैं और खेल कूद का समय मोबाइल को दे रहे हैं.  

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कुछ माता-पिता अपने बच्चों की सेहत को लेकर इतने सीरियस हैं की जन्म के 1 साल से ही उसकी हाइट और वजन पर ध्यान दे रहे हैं, लेकिन बच्चे थोड़े बड़े हुए नहीं कि घर के खाने से दूर और जंक फूड से नजदीकी बना लेते हैं. भारत में छोटे बच्चों में मोटापा इतना ज्यादा बढ़ने लगा है कि अब इंडियन अकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक ने मोटापे को बीमारी की श्रेणी में रखा है, उसकी वजह भी साफ है मोटे बच्चे युवावस्था में डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर (BP) और दिल की बीमारी के शिकार हो रहे हैं. इसलिए जरूरी है की मोटापे की बीमारी को शुरुआत में ही पकड़ लिया जाए.

मोटापे को लेकर क्या बोले डॉक्टर
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के रिसर्चर डॉ आयुष गुप्ता ने कहा कि स्टडीज में यह देखा गया है कि मोबाइल या टीवी देखते हुए खाना खा रहे बच्चे अक्सर भूख से ज्यादा खा जाते हैं जो मोटापे की वजह बनता है. वहीं क्लाउड नाइन अस्पताल के डॉक्टर सौरभ कटारिया ने कहा कि पश्चिमी देशों के मुकाबले एशियाई देशों में रहने वाले लोगों को मोटापा जल्दी बीमारी की तरफ ले जाता है, इसीलिए छोटे बच्चों में ही मोटापे की बीमारी को पहचानना जरूरी है. 

शुरुआती दौर में कम फैट और कार्बोहाइड्रेट वाला खाना खिलाकर भी मोटापा कम किया जा सकता है, लेकिन अगर मोटापा ज्यादा बढ़ जाए तो दवा और बेहद गंभीर हालत में सर्जरी की जरूरत भी पड़ सकती है.

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