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रिसेप्शनिस्ट से पेप्सिको की सीईओ तक का सफर इंद्रा नुई ने कैसे तय किया था, विवेक बिंद्रा से जानिए क्या थी स्ट्रेटेजी

इंद्रा नुई एक बिजनेस लीडर और रणनीतिक विचारक हैं, जो 12 साल तक पेप्सिको (PepsiCo) जैसी कंपनी की सीईओ रही थीं, लेकिन क्या आपको उनके शुरुआती स्ट्रगल के बारे में बता है? मोटिवेशनल स्पीकर और बिजनेस कोच डॉ विवेक बिंद्रा ने टायकून्स ऑफ इंडिया में इंद्रा नुई से जुड़ी कई रोचक जानकारी दी हैं.

रिसेप्शनिस्ट से पेप्सिको की सीईओ तक का सफर इंद्रा नुई ने कैसे तय किया था, विवेक बिंद्रा से जानिए क्या थी स्ट्रेटेजी

 Indra Nooyi and Dr Vivek Bindra 

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फॉर्च्यून मैगज़ीन में साल 2006 से 2010 तक लगातार दुनिया की मोस्ट पॉवरफुल बिजनेस वुमन का खिताब में शामिल रहीं इंद्रा नुई दुनिया सबसे पॉवरफुल बिजनेस विमेंस मानी गई हैं. वह सबसे लंबे समय तक PepsiCo की सीईओ रही थीं. आज इंद्रा अपनी बिजनेस लर्निंग्स को लोगों तक पहुंचा रही हैं लेकिन उनका इस सफलता तक पहुंचने का सफर थाली में सज कर नहीं मिला था बल्कि इसके लिए इंद्रा को बहुत कड़ी मेहनत और संघर्ष तक करना पड़ा था.

मोटिवेशनल स्पीकर और बिजनेस कोच डॉ विवेक बिंद्रा ने “टायकून्स ऑफ इंडिया” सीरीज की अगली कड़ी में देशभर के बिजनेसमैन और उनकी बिजनेस स्ट्रेटेजीज के बारे में बताते हुए चौथे एपिसोड में डॉ बिंद्रा ने भारत सरकार पदम भूषण से सम्मानित इंद्र नूई के बारे में बहुत ही रोचक जानकारियां दी हैं.

मद्रास की इंद्रा ने तय किया अमेरिका तक का सफ़र 

इंद्रा नूई का जन्म मद्रास के एक तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था और उनके पिता एक बैंक ऑफिसर थे. उनके पिता ने हमेशा इंद्रा को पढ़ाई- लिखाई करके आगे बढ़ने का मौका दिया. इंद्रा बचपन से पढ़ाई लिखाई में दूसरों से आगे थीं, उस ज़माने में जब लडकियां सिर्फ टीचिंग या फिर मेडिकल को करियर के तौर पर चुना करती थी तब उन्होंने मैनेजमेंट को चुना. 

कोलकाता आईआईएम से इंद्रा नूई ने अपनी मैनेजमेंट की पढ़ाई को पूरा किया और फिर दो साल तक जॉब भी की. इसके बाद उनके लिए शादी के रिश्ते आने लगे तब उन्होंने अमेरिका के येल स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में आगे की पढ़ाई के लिए अप्लाई किया. वहां इंद्रा का सिलेक्शन तो हो गया लेकिन फीस भरने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे. लेकिन उनकी काबिलियत इतनी ज्यादा थी कि यूनिवर्सिटी ने उन्हें स्कॉलरशिप और नौकरी दोनों ऑफर की ताकि वो पढ़ने अमेरिका आ सकें. जहां पर उन्हें यूनिवर्सिटी के अंदर ही रिसेप्शनिस्ट की जॉब मिल गई जहां वो नाइट शिफ्ट में काम करने लगीं क्योंकि नाइट शिफ्ट में उन्हें ज्यादा पैसे मिलते थे. 

डूबती हुई PepsiCo की नैया की पार 

पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने कई सारी बड़ी कंपनीज में काम किया और साल 1994 में इन्होंने PepsiCo को ज्वाइन किया. PepsiCo तब काफी मुसीबत में था और उनका कॉम्पीटीटर कोका कोला बहुत आगे निकल गया था. PepsiCo के तब तीन बिजनेस थे एक Beverage जिसमें Pepsi और Dew जैसे ड्रिंक्स थे. दूसरा स्नैक्स जिसमें Doritos और Cheetos जैसे स्नैक्स थे और तीसरा बिजनेस था रेस्ट्रों चेन का जिसमें तब Pizza Hut, KFC और Taco Bell सभी PepsiCo के ब्रांड्स हुआ करते थे.

इतने सारे बिजनेस और प्रोडक्ट्स के बाद भी PepsiCo पर तब साढ़े आठ बिलियन डॉलर का कर्ज़ था. तब इंद्रा नुई ने इस समस्या को समझने के लिए काम करना शुरू किया. उन्होंने बोर्ड रूम में बैठकर समस्या के बारे में सोचने की बजाय ग्राउंड पर जाकर समस्या की जड़ को समझा. सारे रेस्टोरेंट चेंस को उन्होंने एक कस्टमर के तौर पर विजिट किया और वहां काम करने का तरीका समझा. 

इस रिसर्च के बाद उन्होंने वे समझा के PepsiCo के तीनों ब्रांड रेस्टोरेंट आपस में ही लड़ रहे हैं. साथ मिलकर काम करने की बजाय वो कॉम्पिटिशन कर रहे हैं. तब ये सब देखकर इंद्रा नुई ने एक बहुत बड़ा फैसला लिया उन्होंने कम्पनी के सभी घाटे में जा रहे प्रोडक्ट्स को कंपनी से अलग कर देने की बात कही. बेहतर परफॉर्म कर रहे प्रोडक्ट्स पर फोकस करने का सुझाव दिया और जिस जगह कंपनी की पहुंच नहीं है वहां एक्सप्लोर करने का प्लान बनाया. 

इंद्रा के तीन तरीकों ने बदला PepsiCo का भविष्य

उन्होंने सारे रेस्टोरेंट बिजनेस को PepsiCo से अलग करने का फैसला किया, तीनों रेस्टोरेंट बिजनेस को अलग कर इन्होंने Tricon नाम की एक कंपनी बनाई और उसे Yum Brand को बेच दिया. इस डील से आए पैसों से PepsiCo ने अपना आधे से ज्यादा कर्ज़ चुका दिया और लगातार हो रहे नुकसान में जाने से भी खुद को बचा लिया. जिसके बाद कंपनी ने बेवरेज और स्नैक्स के बिजनेस पर ही फोकस किया. 

साल 2006 में ये PepsiCo की पहली महिला सीईओ बनी और साल 2018 तक वो अपनी इसी पोजीशन पर बनी रहीं. लेकिन PepsiCo का कॉम्पिटिशन कोका कोला हमेशा उसके लिए एक बड़ा चैलेंज रहा है. इंद्रा नुई वो पहली सीईओ बनी जिन्होंने अपने कॉम्पीटीशन को सीधा सीधा चैलेंज किया. उन्होंने दुनिया भर के 100 मिलियन लोगों के साथ एक सर्वे किया. जिसमें उन्होंने उनकी आंखों पर पट्टी बंधी और कोका कोला और पेप्सी दोनों को टेस्ट कराया, इस सर्वे में 75% लोगों ने कहा कि पेप्सी का टेस्ट कोका कोला से बेहतर है. ऐसा पहले किसी ने नहीं किया था.

आज इंद्रा नुई भारत की सबसे सफल बिजनेस विमेंस में शामिल हैं. भारत के ऐसे ही 52 सफल बिजनेस टायकून्स की कहानी और बिजनेस स्ट्रेटेजीज को डॉ विवेक बिंद्रा अपनी इस “टायकून्स ऑफ इंडिया” की सीरीज में शामिल करने वाले हैं. इस सीरीज के सभी एपिसोड्स को उनके यूट्यूब चैनल पर देखा जा सकता है.

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