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Stress Free Life: तनाव बाहर से नहीं आता, हम खुद अपने अंदर क्रिएट करते हैं- BK Shivani

Stress Free Life कैसे बनाएं, तनाव हमारे अंदर है, बीके शिवानी हमें इसके पीछे के कारण बता रही हैं साथ में समाधान भी. सुनिए बीके शिवानी की बातें

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Stress Free Life: तनाव बाहर से नहीं आता, हम खुद अपने अंदर क्रिएट करते हैं- BK Shivani
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डीएनए हिंदी: Stress Is Not From Outside, Its From Inside- BK Shivani-  तनाव (Stress) आज हमारे जीवन का एक हिस्सा बन गया है. हम सभी जानते हैं कि मानसिक समस्याओं (Mental Problem) के कारण ही आज कई बीमारियां हमारे जीवन का हिस्सा बन गई हैं लेकिन आखिर इस तनाव को ख़त्म कैसे किया जाए? आईए सुनते हैं ब्रह्माकुमारीज बीके शिवानी (BK Shivani) इस बारे में क्या कहती हैं 

मन को आराम कैसे दें (How to Give Rest to Your Mind)

मन को आराम देने के लिए हमें 15 दिन का हॉलिडे नहीं चाहिए, सिर्फ सारे दिन में बीच-बीच में एक मिनट का ब्रेक चाहिए क्योंकि यह मन ऐसा नहीं है कि पूरा समय आप ऐसे काम करते रहो और फिर 15 मिनट आराम दें. 15 दिन तो आप शरीर को आराम दे रहे हैं लेकिन मन को भी आराम देना चाहिए. इसमें हमें यह देखना है कि इन पंद्रह दिनों में मन ने किस प्रकार के संकल्पों की रचना की है. मनोरंजन एक अच्छी चीज़ है लेकिन यह तनाव को समाप्त नहीं कर सकता और यह इसका समाधान भी नहीं है. यह भले ही थोड़े समय के लिए आपको रिलेक्स कर सकता है लेकिन तनाव का समाधान हमारी संकल्प शक्ति में है. जब आप अपने कार्य को,अपनी पढ़ाई को अपने स्वाभाविक दिनचर्या को एन्जॉय करना शुरू कर देते हैं तो फिर हॉलिडे पर जाने की जरूरत नहीं पड़ती है. 

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हॉलिडे की फीलिंग कब आती है? जब मैं आराम चाहती हूं तब यह फीलिंग आती है. अब प्रश्न उठता है कि हम विराम क्यों लेते हैं, क्योंकि तब हम खुश नहीं होते हैं. अगर आप हर रोज़ को एन्जॉय करना शुरू कर देते हैं, हर रोज़ हल्के रहते हैं तो ब्रेक लेकर क्या करेंगे, जो कार्य आप कर रहें है और उसी के अंदर अगर आप सही सोच से उसको मजे से करते हैं तो आपका विराम लेने की जरूरत नहीं पड़ती है, आप वैसे ही रिलेक्स रहते हैं. 

तनाव का असली कारण? (What are the Actual Reason For Stress) 

तनाव (स्ट्रेस) को लेकर जो एक बहुत बड़ी मान्यता है कि वो बाहर से आता है, क्योंकि हमने दूसरी मान्यता बना ली है कि तनाव होना स्वाभाविक है लेकिन ये गलत है. टेंशन का कारण परीक्षा, पाठ्यक्रम, बॉस, समाज,सामाजिक ढांचा, सरकार नहीं है, जैसे ही मैंने इन सब चीज़ों को अपनी टेंशन का कारण बताया, मुझे दूसरी बात ये भी पता चली कि मेरे अनुसार ये सब चलने वाले नहीं हैं, ये होने वाला ही नहीं है, फिर मैंने कहा मेरे तनाव का कारण आप हैं. आप बदलते नहीं हो, तो फिर मुझे तनाव में तो रहना ही पड़ेगा, तो मैं कैसे आशा करूं कि तनाव होना सहज है?

क्या हमें तनाव में ही जीना पड़ेगा? (Should We live in Stress) 

यदि हम किसी से भी पूछें कि आपको टेंशन होती है? तब जवाब मिलेगा कि समय ही ऐसा चल रहा है. समाज ही ऐसा है, क्यों? क्योंकि मैंने मेरी टेंशन का कारण समाज को मान लिया है. समाज का मतलब वो हर वो व्यक्ति जिसके संपर्क में हम आते हैं. अब प्रश्न उठता है कि इस दुनिया में कई जगह है चहां टेंशन से बचा जा सके. यदि आप इस बीमारी से अपने-आपको मुक्त करना चाहते हैं तो सिर्फ इस विश्वास प्रणाली (बिलीफ सिस्टम) को बदलना होगा तो आपका कार्य स्वतः ही हो जाएगा. 

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'कोई नहीं और कुछ नहीं, हमारे स्ट्रेस का कारण परिस्थिति नहीं है बल्कि हम स्वयं हैं. हां, परिस्थिति चुनौतीपूर्ण है लेकिन आपको पता ही नहीं कि क्या हुआ. हमने कुछ दिन पहले ही हमारे परिवार में एक बच्चे की मृत्यु हो गई थी. इससे ज़्यादा बड़ी परिस्थिति किसी के जीवन में कोई हो ही नहीं सकती है लेकिन फिर भी वो बाहर है, वो परिस्थिति यहां है. उस परिस्थिति में हमें किस प्रकार से व्यवहार करना है, ये हमारे हाथ में है. एक ही चीज़ है जो मेरे हाथ में है और कुछ भी मेरे नियंत्रण में नहीं है  लेकिन उसी को मैंने सोचा कि यह मेरे हाथ में नहीं है, जिसके फलस्वरूप सब कुछ मेरे नियंत्रण से बाहर चला गया. इसलिए खुद पर काम करें और तनाव के लिए बाहर की चीजों को जिम्मेदार न ठहराएं बल्कि खुद को बदलें 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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