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Love In Dangerous Zone: पहले प्यार और फिर बेरहमी से हत्या, रोमांस क्यों होता जा रहा है इतना घातक

प्यार में अंधे होकर किसी पर विश्वास करना एक बड़ी गलती साबित हो सकती है. इसके हालिया उदाहरण साक्षी से लेकर श्रद्धा वालकर हैं, जिनकी प्रेमियों ने ही निर्ममता से हत्या कर दी. इन दोनों ही घटनाओं ने प्यार सवाल सवाल खड़े कर दिए हैं. 

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डीएनए हिंदी: बदले की भावना किस तरह लोगों के दिल और दिमाग पर हावी हो जाती है. उसका हालिया दिल्ली में हुई साक्षी की हत्या से सामने आया है. जहां एक मोहम्मद साहिल खान नाम के लड़के ने उसकी बेरहमी हत्या कर दी. इतना ही नहीं आरोपी ने उसे एक के बाद एक दर्जनों चाकूओं से घोंपकर मार डाला. इतने पर भी दिल नहीं भरा तो कई बार पत्थर से कुचला. यह सिर्फ हत्या नहीं किसी बात को लेकर बेहद गुस्सा था, जो गिरफ्तारी के बाद साहिल खाने ने पुलिस पूछताछ में बया किया है. आरोपी ने बताया कि वह 16 वर्षीय साक्षी से प्यार करता था, लेकिन उसका पूर्व प्रेमी प्रवीण उसकी जिंदगी में फिर से आया था. इसके बाद से साक्षी और साहिल में आए दिन बहस शुरू हो गई. साहिल में असुरक्षा की भावना पनपी और उसकी गुस्से में साक्षी को मौत के घाट उतार दिया. 

बता दें कि साहिल ने 28 मई को दिल्ली के शाहबाद डेयरी इलाके में साक्षी की बेरहमी से हत्या कर दी. पुलिस ने अगले दिन (29 मई) साहिल को यूपी के बुलंदशहर से गिरफ्तार किया. दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, साहिल ने खुलासा किया है कि उसकी प्रेमिका साक्षी कथित तौर पर अपने पूर्व प्रेमी प्रवीण से मिल रही थी. साक्षी चार साल पहले प्रवीण से अलग हो गई थी, लेकिन वे संपर्क में थे. साहिल ने कबूल किया कि वह साक्षी के नजरअंदाज करने से बहुत परेशान था.

सीसीटीवी में कैद हुई वारदात

साहिल के द्वारा की गई साक्षी की हत्या का सीसीटीवी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था, जिसमें साहिल को साक्षी पर एक के बाद एक कई बार चाकूओं से वार करते देख गया. आरोपी ने साक्षी की मौत के बाद भी उसके शव को पत्थर से कई बार वार करके कुचल दिया. 

हाल ही सामने आ चुके हैं ये कांड

प्यार में हत्याओं की यह पहली घटना नहीं है. हाल ही में साक्षी के अलावा दिल्ली में एक और दर्दनाक घटना घटित हुई थी. आफताब अमीन पूनावाला और श्रद्धा वाल्कर साल 2018 से रिलेशनशिप में थे. आफताब अमीन पूनावाला ने 18 मई 2022 को दिल्ली के महरौली इलाके में श्रद्धा की गला दबाकर हत्या कर दी. इसके बाद आफताब ने श्रद्धा के शरीर के कई टुकड़े कर दिए. आरोपी ने गिरफ्तारी से पहले ही श्रद्धा के शरीर के टुकड़ों को ठिकाने लगाया दिया था. 

दोनों लिव-इन रिलेशनशिप में थे और 8 मई 2022 को दिल्ली आए थे। वे पहाड़गंज के एक होटल में सात दिनों तक रहे और फिर श्रद्धा की हत्या के ठीक तीन दिन पहले 15 मई को किराए के मकान में शिफ्ट हुए थे। जांचकर्ताओं ने कहा कि जुनून के ऐसे अपराधों में हत्यारा कम से कम एक महीने तक थोड़ा परेशान रहता है और उसके बाद सामान्य स्थिति में वापस आना शुरू होता है. हालांकि, यह आफताब ने अपने अपराध के सबूत को मिटाने के लिए महीनों तक काम किया.

पिछले 5 साल में प्यार में मनमुटाव के बाद 3,139 हत्या

सरल शब्दों में, जुनून का अपराध, फ्रांसीसी अभिव्यक्ति 'अपराध जुनून' से लिया गया है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, 2017 से 2021 तक, देशभर में प्रेम संबंधों में मनमुटाव या अवैध संबंधों के कारण हुई हत्याओं की संख्या 2,706 से बढ़कर 3,139 हो गई.

हत्या के बाद शव कर दिए थे दो टुकड़े 

जुनून के अपराध की एक और घटना में, 7 मई 2008 को टीवी प्रोडक्शन फर्म सिनर्जी एडलैब्स की एक वरिष्ठ कार्यकारी नीरज ग्रोवर की मारिया सुसाईराज के अपार्टमेंट में कथित रूप से उनके मंगेतर एमिल जेरोम मैथ्यू ने चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी. इसके बाद आरोपी मारिया और जेरोम ने शव के कई टुकड़े किए और उन्हें दो थैलों में भरकर ठाणे के मनोर जंगल में जलाने के लिए ले गए. मुंबई सत्र न्यायालय ने मामले में मारिया को तीन साल कैद और जेरोम को 10 साल की जेल की सजा सुनाई थी.

नवोदित कवयित्री मधुमिता की हत्या

इसके अलावा साल 2003 में एक नवोदित कवयित्री मधुमिता शुक्ला की उनके घर पर हत्या कर दी गई थी. राजनेता अमरमणि त्रिपाठी की पत्नी मधुमणि त्रिपाठी, जिन्होंने अपने पति के साथ शुक्ला की भागीदारी को नापसंद करते हुए हत्या की साजिश रची थी. अदलात ने साजिशकर्ता और हत्यारों दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

1995 में हुआ तंदूर कांड

1995 के कुख्यात 'तंदूर मर्डर' केस में तत्कालीन यूथ कांग्रेस नेता सुशील शर्मा ने दिल्ली में अपनी साथी नैना साहनी को अफेयर के शक में गोली मार दी थी. इसके बाद उसने उसके शरीर को कई टुकड़ों में काट दिया था और उसके दोस्त द्वारा प्रबंधित एक रेस्तरां की छत पर एक तंदूर में शरीर के अंगों को जलाने की कोशिश की. उस वक्त का यह एक ऐतिहासिक मामला था, जिसमें आरोपी के अपराध को साबित करने के लिए सबूत के तौर पर डीएनए टेस्ट और दोबारा पोस्टमार्ट किया गया था. दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में आरोपी सुशील को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

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