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Apara Ekadashi Katha : प्रेत योनि से मुक्ति के लिए रखा जाता है यह व्रत, जानिए पूजा का समय भी

Apara Ekadashi को रखने से प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है. इस एकादशी में व्रत रखने के साथ कथा सुनने पर भी ज़ोर दिया जाता है.

Apara Ekadashi Katha : प्रेत योनि से मुक्ति के लिए रखा जाता है यह व्रत, जानिए पूजा का समय भी
चम्पक द्वादशी

डीएनए हिंदी : 26 मई को अपरा एकादशी(Apara Ekadashi) है. हिन्दू धर्म में अपरा एकादशी का काफी माहात्म्य है. माना जाता है कि इस एकदशी को रखने से प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है. इस एकादशी में व्रत रखने के साथ कथा सुनने पर भी ज़ोर दिया जाता है. यह कथा महीध्वज नाम के एक राजा और उसके मोक्ष की बात बताती है. 


महीध्वज की कथा 
किसी ज़माने में महीध्वज नाम का एक राजा हुआ करता था, वह बेहद तेजस्वी और धार्मिक प्रवृर्ति का राजा था. महीध्वज का एक भाई था, जिसका नाम वज्रध्वज था. वज्रध्वज का स्वभाव अपने भाई से एकदम उलट था. उसकी हरकतें आसुरी थीं इसलिए उसे महीध्वज का धर्म-ध्यान में लीन रहना खटकता था. वह हमेशा अपने भाई को नुकसान पहुंचाने की कोशिश में रहता था. 
एक दिन वज्रध्वज ने मौका पाकर अपने भाई का वध कर दिया. किसी को इसकी खबर न लगे, इसलिए उसने राजा महीध्वज का शव पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ दिया. मरने के बाद राजा महीध्वज की आत्मा उसी पीपल के पेड़ में रहने लगी.  वह परेशान आत्मा वहां से गुजरने वाले लोगों को परेशान करती. लोगों ने उस पीपल को भूतिया पेड़ घोषित कर दिया. 
बाद में लोगों के अनुरोध पर उस इलाके में वास के लिए आए एक ऋषि ने महीध्वज की आत्मा को अपने उपायों से मुक्त किया. ऋषि ने मुखर संवाद के बाद राजा की आत्मा को अपरा एकादशी(Apara Ekadashi) के दिन भगवान विष्णु की आराधना करने की सलाह दी. इस उपासना के फल फलस्वरूप महीध्वज की आत्मा को मुक्ति मिली. 


एकादशी व्रत मुहूर्त
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि का प्रारंभ: 25 मई 2022 दिन बुधवार को सुबह 10:32 से 

तिथि समापन: 26 मई गुरुवार सुबह 10:54 पर
अपरा एकादशी(Apara Ekadashi) व्रत का प्रारंभ: 26 मई 2022 दिन गुरुवार को
एकादशी व्रत पारण: 27 मई दिन शुक्रवार प्रातः काल 5:30 से 8:05 तक

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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