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Chanakya Niti: सुख और विद्या को लेकर चाणक्य की इन महत्वपूर्ण बातों के बारे में जानते हैं क्या?

Chanakya Niti: चाणक्य नीति के इस भाग में आइए जानते हैं किस प्रकार की आदते जीवन को सुखमय बनाती हैं. 

Chanakya Niti: सुख और विद्या को लेकर चाणक्य की इन महत्वपूर्ण बातों के बारे में जानते हैं क्या?
चाणक्य नीति

डीएनए हिंदी: Chanakya Niti in Hindi- शिक्षा किसी भी व्यक्ति को जीवन में, समाज में या कार्यक्षेत्र में शीर्ष पर पहुंचा सकती है. जो व्यक्ति विद्वान होता है उसे किसी भी क्षेत्र में सम्मान और ख्याति प्राप्त होती है. जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए आचार्य चाणक्य ने ऐसे ही कई नीतियों को चाणक्य नीति में सम्मिलित किया है. बता दें कि आचार्य चाणक्य उन शिक्षकों में से थे जिन्होंने छात्रों को अर्थनीति और राजनीति के साथ-साथ कूटनीति की भी शिक्षा दी. उनके इन्हीं नीतियों के कारण मौर्य वंश की स्थापना हुई. साथ ही आचार्य के राजनीतिक निपुणता के कारण ही मौर्य साम्राज्य का विस्तार पाटलीपुत्र से लेकर कांधार तक हुआ था. चाणक्य नीति (Chanakya Niti) में कई ऐसी बाते बताई गई हैं जिनको जीवन में पालन करना बहुत आवश्यक है. चाणक्य नीति के इस भाग में आइए जानते हैं किस प्रकार की आदते जीवन को सुखमय बनाती हैं. 

चाणक्य नीति का ज्ञान (Chanakya Niti Motivation)

दरिद्रता धीरयता विराजते कुवस्त्रता स्वच्छतया विराजते । 
कदन्नता चोष्णतया विराजते कुरूपता शीलतया विराजते ।।

इस श्लोक में बताया गया है कि धीरज स्वभाव से निर्धनता भी सरल हो जाती है, साफ-सुथरा रहने से सामान्य वस्त्र भी नए लगते हैं. बासी भोजन भी गर्म करने पर अच्छा लगता है और नम्र अथवा शील स्वभाव से कुरूपता भी सूदर लगने लगती है. इसलिए व्यक्ति को जीवन में धीरज, साफ-सफाई, शील स्वभाव रखना चाहिए. यह व्यक्ति को उन्नति के मार्ग पर ले जाता है. 

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सुखार्थी चेत् त्यजेद्विद्यां त्यजेद्विद्यां विद्यार्थी चेत् त्यजेत्सुखम् । 
सुखार्थिनः कुतो विद्या कुतो विद्यार्थिनः सुखम् ।।

इस श्लोक में आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti Quotes) बताते हैं कि जो व्यक्ति केवल सुख की कामना कर रहा है उसे विद्या त्याग देनी चाहिए और वह अगर विद्या की इच्छा रखता है तो उसे सुख भूल जाना चाहिए. सुख-चाहने वाले को विद्या कहां और विद्या चाहने वाले को सुख कहां. इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य बता रहे हैं कि विद्या तप के समान है इसलिए व्यक्ति को विद्या अर्जित करते समय सुख के विषय में नहीं सोचना चाहिए. वह इसलिए क्योंकि विद्वान व्यक्ति ही सुख प्राप्त कर सकता. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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