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Chanakya Niti: विद्यार्थी रखें आचार्य चाणक्य के इन 2 श्लोकों को ध्यान, पढ़ाई में नहीं आएगी बाधा

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने विद्यार्थियों के लिए कई ऐसी नीतियों का निर्माण किया था जिन से भविष्य में सफल हो सकते हैं.

Chanakya Niti: विद्यार्थी रखें आचार्य चाणक्य के इन 2 श्लोकों को ध्यान, पढ़ाई में नहीं आएगी बाधा
चाणक्य नीति

डीएनए हिंदी: Chanakya Niti- आचार्य चाणक्य को सभी विद्वानों में सबसे शिक्षित गुरु माना जाता है. उनके द्वारा रचित चाणक्य नीति आज भी पढ़ी जाती है. चाणक्य नीति में कई ऐसी बातें बताई गई हैं जिनसे जीवन की कई कठिनाइयों को आसानी से हल किया जा सकता है. राजनीति, कूटनीति, अर्थनीति के साथ-साथ आचार्य चाणक्य ने विद्यार्थियों के लिए कई ऐसी नीतियों का निर्माण किया था जिन से भविष्य में सफल हो सकते हैं. आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti in Hindi) की दी हुई विद्या के कारण ही चंद्रगुप्त मौर्य ने मौर्य वंश की स्थापना की और स्वयं आचार्य ने धनानंद के अहंकार को तोड़ा था. चाणक्य नीति में दो ऐसे श्लोक बताए गए हैं जिनसे विद्यार्थी सफल और पढ़ाई के प्रति अधिक जिज्ञासु हो सकते हैं. 

Chanakya Niti श्लोक- 1

विद्वान् प्रशस्यते लोके विद्वान् गच्छति गौरवम्।
विद्या लभते सर्वं विद्या सर्वत्र पूज्यते।।

चाणक्य नीति के इस श्लोक का अर्थ है कि विद्वान व्यक्तियों की संसार में खूब प्रशंसा होती है. साथ ही विद्वान को गौरव प्राप्त होता है. विद्या से सब कुछ प्राप्त होता है और विद्या को सभी पूजते हैं. 

आचार्य चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति विद्या रूपी धन को कमाता है उसे हर जगह पूछा जाता है साथ ही उसकी प्रशंसा की जाती है. इसके साथ विद्वान व्यक्तियों को सभी क्षेत्रों में अपनी विद्या और कुशलता के कारण गौरव प्राप्त होती है. आचार्य यह भी बताते हैं कि विद्या के कारण ही धन, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. जिस व्यक्ति के पास विद्या होती है उसे कहीं भी सम्मान के नजरों से देखा जाता है. 

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के इन श्लोकों में छिपे हैं जीवन में सफलता के रहस्य

Chanakya Niti श्लोक- 2

रूपयौवनसंपन्ना विशाल कुलसम्भवाः।
विद्याहीना न शोभन्ते निर्गन्धा इव किंशुकाः।।

चाणक्य नीति के श्लोक का भावार्थ है कि व्यक्ति रूप से संपन्न, यौवन से संपन्न और सभ्य कुल में पैदा हुआ क्यों न हो. अगर वह विद्या हीन है तो वह सुगंधरहित किंशुक फूल की भांति शोभा नहीं देता है. 

इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य ने बताया है कि जिस व्यक्ति के पास रूप है, यौवन है और वह विशाल कुल में भी जन्मा है लेकिन अगर वह विद्या से हीन है तो वह बिना सुगंध वाले फूल की तरह ही कहीं भी शोभा नहीं देता है. इसलिए व्यक्ति को विद्या अर्जित करते समय कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए. अगर वह ऐसा नहीं करता है तो उसे भविष्य में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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