डीएनए हिंदी: चाणक्य नीति जीवन के उस सत्य को बताती हैं जिन्हें समझने से व्यक्ति सफलता की राह पर खुद ब खुद चलने लग जाता है. आचार्य चाणक्य उन शिक्षकों में से एक थे जिन्होंने राजनीति, कूटनीति अर्थ नीति, के साथ-सथ जीवन की अन्य नीतियों के विषय में भी बताया था. आचार्य चाणक्य द्वारा रचित नीतियों ने व्यक्ति को सही राह पर चलने की शिक्षा दी है. आचार्य ने यह भी बताया था कि मूर्ख व्यक्ति कैसा होता है और इन से क्यों दूर रहना चाहिए. चाणक्य नीति के इस भाग में जानते हैं कि मूर्ख व्यक्ति की क्या परिभाषा है और क्यों इनसे बना लेनी चाहिए दूरी.
स्वगृहे पूज्यते मूर्खः स्वग्रामे पूज्यते प्रभुः।
स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान्सर्वत्र पूज्यते।।
इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य बताते हैं कि एक मूर्ख की पूजा सिर्फ उसके घर पर होती है, एक मुखिया की पूजा उसके गांव में और एक राजा की पूजा उसके समस्त राज्य में होती है. लेकिन एक विद्वान की पूजा इन सभी जगहों पर होती है. इसलिए व्यक्ति को विद्वान होना चाहिए और व्यक्ति को जब मौका मिले तो उसे विद्या ग्रहण करनी चाहिए.
मूर्खा यत्र न पूज्यते धान्यं यत्र सुसंचितम्।
दंपत्यो कलहं नास्ति तत्र श्रीः स्वयमागतः ।।
आचार्य चाणक्य इस श्लोक में बताते हैं कि जहां मूर्ख व्यक्ति का सम्मान नहीं होता, जहां अनाज का अनादर नहीं होता और जहां पति-पत्नी के बीच लड़ाई नहीं होती हो ऐसे स्थान पर ही माता लक्ष्मी स्वयं विराजमान होती हैं. इसलिए व्यक्ति को ना तो मूर्ख होना चाहिए ना उसे अन्न की बर्बादी करनी चाहिए और घर में कलेश से बच कर रहना चाहिए.
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काव्यशास्त्रविनोदेन कालो गच्छति धीमतां।
व्यसनेन च मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा।।
चाणक्य नीति के श्लोक में आचार्य चाणक्य ने बता रहे हैं कि बुद्धिमान लोग काव्य, शास्त्र, उपनिषदों का अध्ययन करने में अपना समय बिताते हैं. वहीं मूर्ख लोग निद्रा कलह में अपना समय बर्बाद करते हैं. इसलिए व्यक्ति को कहीं से भी विद्या अर्जित करनी चाहिए, साथ ही ज्यादा सोने और बुरी आदतों से बचना चाहिए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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