डीएनए हिंदी: Jagannath Rath Yatra 2022- आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है. यह यात्रा 1 जुलाई को शुरू हो चुकी है. दस दिनों तक चलने वाले इस पर्व का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है. मान्यता है कि जो लोग इस यात्रा में शामिल होते हैं उनके तमाम पाप दूर हो जाते हैं और वे पुण्य के भागी बनते हैं. इस वजह से हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) के दर्शन के लिए ओडिसा के पवित्र पुरी शहर में एकत्रित होते हैं. इन दस दिनों में भगवान जगन्नाथ को प्रसन्न करने के लिए कई रस्में निभाई जाती हैं. आइए जानते हैं.
यह रथ यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण रस्म है. पहले दिन भगवान जगन्नाथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा तीन भव्य रथों पर सवार होते हैं और फिर इन्हें अपनी मौसी के घर गुंडीचा मंदिर ले जाया जाता है. यहां वे कुछ दिन आराम करते हैं और फिर वापस लौट आते हैं.
आषाढ़ मास के ही दशमी तिथि को भगवान जगन्नाथ और उनके भाई बहन एक साथ रथों पर सवार होकर अपने घर वापस लौटते हैं. इस साल वे 9 जुलाई को घर लौटेंगे. लेकिन घर वापस आने के बाद एक दिन तक वे रथ पर ही आसीन रहेंगे.
हिन्दू धर्म में देवशयनी एकादशी का बहुत महत्व है. इसी दिन सुना बेश रस्म पूरी की जाएगी. इस दिन तीनों रथ सिंह द्वार पहुंचेंगे और यहां उन्हें आभूषण पहनाए जाएंगे. यह रस्म 10 जुलाई को होगी.
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यह दिन बहुत खास होता है क्योंकि इस दिन कुएं से निकाले गए पानी में पनीर, शक्कर, मक्खन, केला, जायफल, काली मिर्च और दूसरे खास मसालों को डालकर पना बनाया जाता है और भगवान को अर्पित किया जाता है. यही कारण है कि इसे अधर पना रस्म के नाम से जाना जाता है. इस साल यह रस्म 11 जुलाई को होगी.
बता दें कि भगवान जगन्नाथ की पूजा का यह आखिरी रस्म होता है. जिसके बाद इस भव्य पर्व का समापन हो जाता है. इस दिन भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र जी श्रीमंदिर में अपने रत्नसिंहासनों पर वापस विराजमान होते हैं. यह रस्म 12 जुलाई 2022 को निभाई जाएगी.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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