trendingNowhindi4019398

Grah Gochar: जानिए ग्रह गोचर क्या होता है, कैसे ये आपके जीवन पर डालता है प्रभाव?

ज्योतिष शास्त्र में ग्रह गोचर के विषय में कई बार पढ़ा और सुना है. किन्तु क्या आप इसका सही मतलब जानते हैं?

Grah Gochar: जानिए ग्रह गोचर क्या होता है, कैसे ये आपके जीवन पर डालता है प्रभाव?
ग्रह गोचर

डीएनए हिंदीः ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में ग्रह गोचर के विषय में आपने कई बार पढ़ा और सुना होगा लेकिन क्या आप इसका सही मतलब जानते हैं? बता दें कि गोचर (Grah Gochar) शब्द का सीधा मतलब ग्रहों की चाल से है. ग्रह जब राशि परिवर्तन (एक राशि से दूसरी राशि में जाना) करता है तो उस कार्य को गोचर कहा जाता है. ज्योतिष में नौ ग्रहों (9 Grah Astrology) का वर्णन है वह हैं सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु एवं केतु. ये ग्रह अपनी गति के अनुसार एक अवधि काल में राशि परिवर्तन करते हैं. हर राशि पर ग्रह गोचर से सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव (Effect of Grah Gochar) पड़ता है, इससे आपके स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति, कार्यक्षेत्र अदि पर प्रभाव पड़ता है. 

ग्रहों के गोचर की अवधि

बता दें कि सभी ग्रहों के राशि परिवर्तन की अवधि अलग-अलग निर्धारित है. इसलिए सूर्य ग्रह कि गोचर अवधि 1 माह है, इसी प्रकार चंद्र ग्रह राशि परिवर्तन के लिए लगभग सवा दिन लेता है. मंगल ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में जाने के लिए करीब डेढ़ माह का समय लेता है. बुध ग्रह 14 दिन और बृहस्पति ग्रह एक साल में गोचर करते हैं. बात करें शुक्र ग्रह की तो यह लगभग 23 दिन का समय लेता है. सबसे प्रभावी ग्रह शनि ग्रह गोचर के लिए ढाई साल का समय लेता है और राहु-केतु एक से डेढ़ वर्ष मे राशि परिवर्तन करते हैं.

सूर्य का गोचर

स्वामी राशि-  सिंह राशि 
कारक- आत्मा
इस गोचर का शुभ फल- लग्न राशि से तीसरे, छठे, दसवें और ग्यारहवें भाव में शुभ फल
अशुभ फल- बाकी बचे भावों में अशुभ फल

चंद्रमा का गोचर

स्वामी राशि-  कर्क राशि 
कारक- मन 
इस गोचर का शुभ फल- कुंडली में लग्न राशि से पहले, तीसरे, सातवें, दसवें, और ग्यारहवें भाव में शुभ फल
अशुभ फल- चौथे, आठवें और बारहवें भाव में अशुभ परिणाम प्राप्त होता है।

मंगल का गोचर

स्वामी राशि- मेष और वृश्चिक 
कारक- ऊर्जा, साहस और बल
इस गोचर का शुभ फल- कुंडली में लग्न राशि से तीसरे, छठे और ग्यारहवें भाव में
अशुभ फल- बाकी बचे भावों में अशुभ फल

यह भी पढ़ें: जानिए किस दिन मनाई जाएगी Hanuman Jayanti, और क्यों शुभ होती है बजरंगबली की पूजा

बुध का गोचर

स्वामी राशि- मिथुन और कन्या राशि का स्वामी 
कारक- बुद्धि, तर्कशास्त्र, संवाद का कारक
इस गोचर का शुभ फल- कुंडली में लग्न राशि से दूसरे, चौथे, छठे, आठवें, दसवें और ग्यारहवें भाव में
अशुभ फल- शेष भावों में परिणाम अच्छे नहीं

गुरु का गोचर

स्वामी राशि- धनु और मीन राशि का स्वामी

कारक- ज्ञान, संतान एवं परिवार का कारक
इस गोचर का शुभ फल- दूसरे, पाँचवें, सातवें, नौवें और ग्यारहवें भाव में शुभ फल
अशुभ फल- बाकी भाव में अशुभ फल

शुक्र का गोचर

स्वामी राशि-  वृषभ और तुला राशि का स्वामी 
कारक- प्रेम, रोमांस, सुंदरता और कला
गोचर का शुभ फल- पहले, दूसरे, तीसरे, चौथे, पांचवें, आठवें, नौवें, ग्यारहवें और बारहवें भाव में शुभ फल
अशुभ फल- बाकी भाव में अशुभ फल

शनि का गोचर

स्वामी राशि-  मकर और कुंभ राशि का स्वामी
कारक- कर्म का कारक
इस गोचर का शुभ फल- तीसरे, छठे, ग्यारहवें भाव में शुभ फल
अशुभ फल- बाकी भाव में अशुभ फल

यह भी पढ़ें: Rudraksha: भगवान शिव के प्रिय रुद्राक्ष को धारण करने से पहले जान लें महत्वपूर्ण नियम

राहु का गोचर

स्वामी राशि- कोई नहीं ( छाया ग्रह)
कारक- चतुरता, तकनीकी और राजनीति
इस गोचर का शुभ फल- तीसरे, छठे, ग्यारहवें भाव में शुभ फल देता है।
अशुभ फल-  बाकी भाव में अशुभ फल।

केतु का गोचर

स्वामी राशि- कोई नहीं ( छाया ग्रह)
कारक- वैराग्य, आध्यात्म और मोक्ष 
इस गोचर का शुभ फल- लग्न राशि से पहले, दूसरे, तीसरे, चौथे, पाँचवें, सातवें, नौवें और ग्यारहवें भाव में शुभ फल
अशुभ फल - बाकी भाव में अशुभ फल।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

गूगल पर हमारे पेज को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें. हमसे जुड़ने के लिए हमारे फेसबुक पेज पर आएं और डीएनए हिंदी को ट्विटर पर फॉलो करें