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Mundkatiya Temple Uttarakhand: यहां पूजे जाते हैं बिना सिर वाले गणपति, यह है मुंडकटिया मंदिर का किस्सा 

उत्तराखंड में भगवान गणेश का मुंडकटिया मंदिर स्थित है, यहां भगवान गणेश की बिना सिर वाली मूर्ति की पूजा की जाती है. यहां पढ़ें इस मंदिर का रहस्य.

Mundkatiya Temple Uttarakhand: यहां पूजे जाते हैं बिना सिर वाले गणपति, यह है मुंडकटिया मंदिर का किस्सा 

इस कारण भगवान शिव ने अलग किया था गणपति का सिर धड़ से अलग

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डीएनए हिंदी: देश भर में हर जगह भगवान गणेश का पावन उत्सव (Ganesh Utsava 2022) मनाया जा रहा है. जगह जगह भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना कर भक्त श्री गणेश की पूजा आराधना कर रहे हैं. इस वर्ष गणेश विसर्जन 9 सितंबर को किया जाएगा इससे पहले हर कोई भगवान गणेश का दर्शन करना चाहता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहता है. मान्यता है कि भगवान गणेश यदि किसी पर प्रसन्न हो जाएं तो उसके जीवन के सभी दुख और बाधाएं दूर होती हैं और उनके घर मे सुख समृद्धि का वास होता है. देश भर में भगवान गणेश के कई पवित्र मंदिर हैं जिनका अलग अलग महत्व है. ऐसे में भक्त बड़ी संख्या में इन मंदिरों में भगवान गणेश का दर्शन करने आते हैं.

मुंडकटिया (Mundkatiya Temple Uttarakhand) मंदिर में की जाती है भगवान गणेश के बिना सिर वाले मूर्ति की पूजा

देश भर में स्थित भगवान गणेश के मंदिरों में से यह एकलौता ऐसा मंदिर है जहां श्री गणेश के बिना सिर के मूर्ति की पूजा की जाती है. भगवान गणेश का यह विचित्र मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है. भगवान गणेश के इस मंदिर को मुंडकटिया मंदिर के नाम से जाना जाता है. धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी स्थान पर भगवान शिव ने गजानन के सिर को धड़ से अलग कर दिया था. इसलिए यहां भगवान गणेश के बिना सिर की मूर्ति की पूजा की जाती है.

इस कारण भगवान शिव ने अलग किया था गणपति का सिर धड़ से अलग. 

मान्यता है कि माता पार्वती ने पुत्र प्राप्ति के लिए अपने मैल और उबटन से एक प्रतिमा का निर्माण किया. उस प्रतिमा में माता पार्वती ने जान डाल दी जिससे भगवान गणेश की उत्पत्ति हुई. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एक दिन माता पार्वती गौरी कुंड में स्नान करने के लिए जा रही थीं तब उन्होंने भगवान गणेश को बाहर खड़े रहने को कहा और आज्ञा दी कि किसी को भी गौरी कुंड में प्रवेश न करने दिया जाए.

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कुछ समय बाद भगवान शिव वहां पहुंच गए और अंदर जाने लगे तभी माता गौरी की आज्ञा का पालन कर रहे भगवान गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोका. इससे भगवान भोलेनाथ क्रोधित हो उठे और भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया. भगवान शिव इस बात से बिल्कुल अंजान थे कि श्री गणेश उनके पुत्र हैं. जिसके बाद भगवान शिव ने हाथी का सिर लगा कर भगवान गणेश को पुनः जीवित कर दिया था.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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