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Ramayan और Mahabharata काल में पुरुष ही नहीं, ये 5 महिलाएं भी थी गजब की योद्धा, बुद्धि-बल के आगे नहीं टिक पाते थे दुश्मन

Mahila Yodha: पौराणिक ग्रंथों के अनुसार कई सारी ऐसी महिला योद्धाओं थी जो न केवल युद्ध के स्तर पर अच्छी थी बल्कि उनके अंदर और भी कई खुबियां थीं.

Ramayan और Mahabharata काल में पुरुष ही नहीं, ये 5 महिलाएं भी थी गजब की योद्धा, बुद्धि-बल के आगे नहीं टिक पाते थे दुश्मन

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार ये महिलाएं थी युद्ध में कुशल

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डीएनए हिंदी: हिंदू धार्मिक ग्रंथों (Dharmik Granth) के प्राचीन काल में कई सारे ऐसे योद्धा रहे हैं. रामायण से लेकर महाभारत काल तक कई योद्धाओं (Yodhao) के बारे में बताया गया है. हालांकि जरूरी नहीं जो अपने बल के जरिए युद्ध के मैदान में विजय प्राप्त करें वहीं योद्धा है. अपनी अक्ल, कूटनीति और शौर्य के जरिए आगे बढ़ना भी किसी योद्धा (Yodha) की कला से कम नहीं है. आज हम आपको पौराणिक ग्रंथों के अनुसार ऐसी ही महिला योद्धाओं (Mahila Yodha) के बारे में बताने वाले हैं जो न केवल युद्ध के स्तर पर अच्छी थी बल्कि उनके अंदर और भी कई खुबियां थीं. तो चलिए इन महिला योद्धाओं (Mahila Yodha) के बारे में जानते हैं. 

शिखंडी (Shikhandi)
महाभारत में द्रौपदी के पिता की सम्राट पुत्री शिखंडी काशी की राजकुमारी का पुनर्जन्म थी. शिखंडी को किन्नर भी माना जाता है. शिखंडी युद्ध कला में बहुत ही कुशल थी. उनके साथ युद्ध में कोई भी जीत नहीं सकता था. शिखंडी को लगभग सभी शस्त्र चलाने आते थे. शिखंडी ने महाभारत के युद्ध में भी हिस्सा लिया था. वह भीष्म पितामह की मौत का कारण भी थी. 

कैकेयी (Kaikeyi)
रामायण में प्रभु श्रीराम की सौतेली मां कैकयी युद्ध कला में बहुत ही पारंगत थी. वह युद्ध में राजा दशरथ के साथ गई थी. उन्होंने राजा दशरथ की जान बचाई थी. उसी समय राजा दशरथ ने कैकयी को तीन वचन दिए थे. कैकयी को इसलिए बहादुर माना जाता है क्योंकि उन्होंने अपवी जान की चिंता किए बिना राजा दशरथ की जान बचाई थी. 

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कुंती (Kunti)
पांडवों की मां कुंती को बहुत ही बेचारी दिखाया गया है हालांकि वह शास्त्रों के साथ-साथ शस्त्रों से भी निपुण थी. कुंती जंगलों में जाकर अपने तीर कमान से जानवरों की शिकारियों से रक्षा करती थी. कुंती में इतना साहस था कि वह अपने पति की मृत्यु के बाद भी जंगल में अपने पांच पुत्रों को पाल सकी थीं. 

द्रौपदी (Draupadi)
द्रौपदी का उनके पांचों पति के होते हुए भी भरी सभा में अपमान हुआ था. द्रौपदी ने अपने सम्मान के लिए लड़ाई लड़ी थी. वह शूर वीरों की पत्नी थी. द्रौपदी बुद्धिमान थी और उनके अंदर समर्पण भाव भी था. 

सावित्री (Savitri)
सावित्री अपने पति के प्राण बचाने के लिए यमराज से लड़ गई थीं. कोई भी मृत्यु की सच्चाई से नहीं लड़ सकता है लेकिन सावित्री ने अपने पति के प्राण के लिए यमराज से बैर कर किया था. इतना ही नहीं सावित्री ने अपने पति सत्यवान को जीवित कर लिया था. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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