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Ashadha Gupt Navratri 2023: कब शुरू हो रही है आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि, जानें महत्व और कलश स्थापना मुहूर्त

Ashadha Gupt Navratri 2023: गुप्त नवरात्रि माघ और आषाढ़ माह में मनाई जाती है. अब आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि शुरू होने वाली है.

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Ashadha Gupt Navratri 2023: कब शुरू हो रही है आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि, जानें महत्व और कलश स्थापना मुहूर्त

Ashadha Gupt Navratri 2023

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डीएनए हिंदीः हिंदू धर्म में नवरात्रि (Navratri 2023) के पर्व का विशेष महत्व होता है. देवी मां को प्रसन्न करने के लिए यह खास त्योहार होता है. इन नौ दिनों देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. साल में कुल चार बार नवरात्रि (Navratri 2023) का पर्व मनाया जाता है. जिनमें से दो बार की नवरात्रि (Navratri 2023) सभी घरों में मनाई जाती है. दो बार की नवरात्रि गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri 2023) के रूप में मनाई जाती है.

गुप्त नवरात्रि माघ और आषाढ़ माह (Ashadha Gupt Navratri 2023) में मनाई जाती है. अब आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि (Ashadha Gupt Navratri 2023) शुरू होने वाली है. गुप्त नवरात्रि का तंत्र मंत्र साधकों के लिए विशेष महत्व होता है. चलिए गुप्त नवरात्रि (Ashadha Gupt Navratri 2023) की तिथि और मुहूर्त व महत्व के बारे में जानते हैं.

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि तिथि (Ashadha Gupt Navratri 2023)
आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि की शुरुआत शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से होगी. पंचांग के अनुसार यह तिथि 18 जून 2023 को सुबह 10ः06 से शुरू हो रही है. जिसका समापन 19 मई 2023 को सुबह 11ः25 पर हो रहा है. पूजा के लिए उदय तिथि को महत्व दिया जाता है ऐसे में गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 19 मई 2023 को होगी. जिसका समापन 28 जून 2023 को होगा.

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आषाढ़ गुप्त नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त (Ashadha Gupt Navratri 2023)
गुप्त नवरात्रि में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 19 जून 2023 को सुबह 5ः23 से 7ः27 तक रहेगा. इस दिन का अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11ः55 से लेकर 12ः50 तक होगा. आप सुबह न कर सके तो अभिजीत मुहूर्त में भी कलश स्थापना कर सकते हैं.

गुप्त नवरात्रि का महत्व (Gupt Navratri 2023 Significance)
आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि पर तंत्र-मंत्र के माध्यम से देवी को प्रसन्न किया जाता है. इन दिनों देवी की दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है. गुप्त नवरात्रि में महाकाली और भगवान शिव (शाक्त और शैव) की पूजा करने वालों के लिए विशेष समय होता है. इस दौरान तंत्र मंत्र साधक भूत-प्रेत और पिशाच आदि की भी साधना करते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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