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Astrology Secret: मंदिर में प्रवेश करने से पहले सीढ़ियों को क्यों किया जाता है स्पर्श, जानिए क्या है इसके पीछे की वजह

Astrology Secret: मंदिर में प्रवेश करने से पहले मंदिर की सीढ़ियों को छू कर प्रणाम किया जाता है, यहां जानिए क्या है इसके पीछे की वजह..  

Astrology Secret: मंदिर में प्रवेश करने से पहले सीढ़ियों को क्यों किया जाता है स्पर्श, जानिए क्या है इसके पीछे की वजह

मंदिर में प्रवेश करने से पहले सीढ़ियों को क्यों किया जाता है स्पर्श

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डीएनए हिंदी: सनातन धर्म में मंदिर में प्रवेश करने से पहले कुछ चीजों का खास ध्यान रखा जाता है. मंदिर में प्रवेश करने और पूजा पाठ को लेकर कई परंपराएं प्रचलित है (Hindu Tradition Or Niyam), इनमें से कुछ परंपराएं अनिवार्य नहीं है, बल्कि स्वेच्छा से लोग इसे निभा रहे हैं.  मंदिर (Hindu Temple) में प्रवेश करने से पहले लोग जूते-चप्पल और चमड़े का बेल्ट व पर्स बाहर रख देते हैं. इसके अलावा लोग (Hindu Tradition) मंदिर में जाकर परिक्रमा भी करते हैं. इसके अलावा कुछ लोग मंदिर में प्रवेश करने से पहले सीढ़ियों को छूकर प्रणाम करते हैं (Astrology Secret). लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस परंपरा के पीछे क्या कारण है? अगर नहीं, तो आज हम आपको इस परंपरा से जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में बता रहे हैं, आइए जानते हैं इसके बारे में.

अंहकार छोड़कर मंदिर में करते हैं प्रवेश 

मंदिर में प्रवेश करने से पहले सीढ़ी को झुककर प्रणाम करना यह  दर्शाता है कि हम जहां आए हैं वो ईश्वर का घर है और यहां अपने अंहकार को बाहर छोड़कर ही अंदर जाना होता है, तभी हम ईश्वर की कृपा प्राप्त कर सकते हैं. क्योंकि अंहकाररहित व्यक्ति ही ईश्वर की कृपा का पात्र बन सकता है. यही कारण है कि मंदिर में प्रवेश करने से पहले सीढ़ियों को छूकर प्रणाम किया जाता है. 

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आत्मसमर्पण का प्रतीक

मंदिर की सीढ़ियों को छूना ईश्वर के प्रति आत्मसमर्पण का प्रतीक माना जाता है. इसका सीधा अभिप्राय ये होता है कि 'हे ईश्वर मैंने स्वयं को आपके अधीन कर दिया है अब आप ही मेरे रक्षक हो' मेरा मार्गदर्शन करें और मुझे सही रास्ता दिखाने की कृपा करें. ऐसे में ये भाव मन में आते ही ईश्वर भी आपको अपनी शरण में ले लेते हैं और आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. 

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ईश्वर के पैरों का प्रतीक है सीढ़ियां

मंदिर को साक्षात ईश्वर का ही स्वरूप माना जाता है. कहा जाता है कि मंदिर का शिखर ईश्वर का मुख है और गर्भगृह, दीवारें, प्रांगण आदि शरीर. वहीं, मंदिर की सीढ़ियां ईश्वर के पैरों के समान होती हैं. ऐसे में मंदिर की सीढ़ियों को छूकर ये माना जाता है कि हमने ईश्वर के चरणों को स्पर्श कर लिया है. इस परंपरा के अंतर्गत यही भाव निहित है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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