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Basant Panchami 2024:14 या 15 कब है बसंत पंचमी, जानें विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और विधि

बसंत पंचमी माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है. इस दिन विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती हैै. हिंदू धर्म में इसका बड़ा महत्व है.

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डीएनए हिंदी: साल की शुरुआत के बाद अब बसंत पंचमी आने में कुछ ही समय ही शेष रह गया है, लेकिन इसको लेकर असमंजस की स्थिति देखने को मिल रही है. हालांकि बसंत पंचमी माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है. इस दिन विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती हैै. हिंदू धर्म में इसका बड़ा महत्व है. सरस्वती माता को बुद्धि और विद्या का कारक माना जाता है. उनकी बिना कृपा के कोई काम नहीं हो सकता. यही वजह है कि बसंत पंचमी का बड़ा महत्व होता है.

यह है बसंत पंचमी की सही तारीख

पंचांग के अनुसार, इस बार बसंत पंचमी 14 या 15 फरवरी नहीं बल्कि 14 फरवरी को मनाई जाएगी. हालांकि माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचकी तिथि की शुरुआत 13 फरवरी को दोपहर 2 बजकर 41 मिनट से शुरु हो जाएगी. यह अगले दिन 14 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी. ऐेस में उदयातिथि को देखते हुए बसंत पंचमी का त्योहार 14 फरवरी को ही मनाया जाएगा. इस दिन माता रानी की पूजा अर्चना की जाएगी. 

यह है शुभ मुहूर्त

किसी भी त्योहार और तिथि में एक शुभ मुहूर्त होता है. उस शुभ मुहूर्त में सच्चे मन से भगवान की पूजा अर्चना करने पर उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. ठीक इसी तरह बसंत पंचमी पर शुभ मुहूर्त 14 जनवरी की सुबह 7 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा. इस दौरान माता सरस्वती की पूजा अर्चना करना बेहद शुभ होता है. 

ऐसे करें मां की पूजा अर्चना

बसंत पंचमी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें. इसके बाद पीले कपड़े धारण करने चाहिए. माता को यह रंग विशेष रूप से पसंद होता है. मंदिर की साफ सफाई कर जल का छिड़काव करें. इससे सभी चीजें शुद्ध हो जाती हैं. अब मां सरस्वती की प्रतिमा को स्थापित करें. माता का पीले रंग के कपड़े अर्पित कर सकते हैं. साथ ही पीले रंग की रोली, पीले फूल, अक्षत और मिठाई अर्पित कर दीपक जलाये. माता सरस्वती की आरती और चालीसा का पाठ करें. पूजा पूर्ण होने के साथ ही माता से मनोकामना मांगकर प्रसाद का वितरण कर दें. 

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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