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Lakkha Mela 2024: काशी में इस दिन से शुरू होगा भगवान जगन्नाथ का लक्खा मेला, 40 तरह की नानखटाई का लगेगा भोग

भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह है. इस बार भगवान जगन्नाथ की यात्रा 7 जुलाई को निकाली जाएगी. इसके साथ ही काशी में 3 दिवसीय लक्खा मेला लगेगा. 

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Lakkha Mela 2024: काशी में इस दिन से शुरू होगा भगवान जगन्नाथ का लक्खा मेला, 40 तरह की नानखटाई का लगेगा भोग
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Kashi Lakkha Mela 2024: भगवान जगन्नाथ की पूजा देश में दक्षिण से लेकर पश्चिम तक में की जाती है. भगवान की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए लोग हर तरह से उनकी सेवा और भोग लगाते हैं. अपने भक्तों के प्यार में भगवान जगन्नाथ इतने डूब जाते हैं कि बीमार पड़ जाते हैं. यही वजह है कि 14 दिनों तक उनकी अनवरत सेवा की जाती है. स्वस्थ होने पर भगवान जगन्नाथ काशी की गलियों से निकलते हैं. इसी बीच 3 दिवशीय लक्खा मेला लगाया जाता है. इस बार भगवान 7 जुलाई को काशी से निकलेंगे और इसी दिन से 3 दिवसीय लक्खा मेले की शुरुआत होगी. मेले की शुरुआत भगवान की रथयात्रा से होगी. वहीं इसके बाद भगवान को एक या दो नहीं, बल्कि 40 तरह की उनकी प्रिय नान खटाई का भोग लगाया जाएगा. 

भगवान को लक्खा मेले में लगाया जाता है नानखटाई का भोग

हिंदू धर्म में भगवान की पूजा अर्चना के बाद भोग का विशेष महत्व है. भगवान को बिना भोग लगाएं. सभी पूजाओं को अधूरा माना जाता है. भगवान को उनका प्रिय भोग दिया जाता है. विशेष अवसर पर और भी खास इंतजाम किये जाते हैं. ठीक इसी तरह लक्खा मेले पर भगवान जगन्नाथ को नान खटाई का भोग लगाया जाता है. 

इस बार 40 तरह की नानखटाई का लगाया जाएगा भोग

इस बार लक्खा मेले में भगवान जगन्नाथ को भोग लगाने लिए एक या दो नहीं, बल्कि 40 तरह की नान खटाई तैयार की जा रही है. इनमें नारियल से लेकर काजू पिस्ता, चॉकलेट, स्ट्रॉबेरी, आम, सेब समेत अलग अलग प्रकार की नानखटाई शामिल हैं. बताया जाता है कि भगवान नानखटाई बेहद प्रिय है. यहा 3 दिन में भगवान की नानखटाई के लिए व्यापारी और श्रद्धालु पूरे साल इंतजार रकते हैं. 

भगवान विष्णु के अवतार हैं जगन्नाथ

भगवान जगन्नाथ विष्णु भगवान के ही अवतार हैं. उनके नाम अर्थ ही है कि पूरे जगत यानी संसार के नाथ. काशी में भगवान जगन्नाथ की विशेष पूजा की जाती है. यहां सालों से रथयात्रा के अवसर पर लक्खा मेला लगता है. रथरयात्रा में भगवान जगन्नाथ के साथ ही उनकी भाई दाऊ बलभद्र और बहन सुभद्रा भी होती है. यह रथ यात्रा काशी की गलियों से निकाली जाती है, जिसमें भक्त भगवान के दर्शन करते हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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