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Dahi Handi 2024: आज श्रीकृष्ण के भक्तों की टोली फोड़ेगी दही हांडी, जानें क्या है त्योहार का महत्व से लेकर इतिहास

जन्माष्टमी के बाद नवमी तिथि को दही हांडी का उत्सव मनाया जाता है. इसके लिए कृष्ण भक्तों की टोली एकत्र होती है, जो दही हांडी फोड़कर भगवान गोविंदा के जयकारे लगाती हैं.

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Dahi Handi 2024: देश में जन्माष्टमी का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. इसके अगले दिन यानी  भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को दही हांडी का त्योहार उत्सव मनाया जाता है. यह उत्सव हर साल की तरह इस साल पर भी जन्माष्टमी से अगले दिन यानी आज मनाया जाएगा. इसके लिए कृष्ण भक्तों में एक अलग ही उत्साह होता है. इसकी वजह दही हांडी का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं पर आधारित है. इसमें दही की हांडी टांग कर भगवान श्रीकृष्ण के भक्त एक के ऊपर चढ़कर इस हांडी को फोड़ते हैं. इससे जो दही निकलता है. उसे श्रीकृष्ण का प्रसाद और अशीर्वाद स्वरूप स्वीकार किया जाता है. 
आइए जानते हैं कि दही हांडी का महत्व और इतिहास...

जानें क्या है दही हांडी का महत्व (Dahi Handi 2024 Significance)

दही हांडी का पर्व द्वापर युग से मनाया जा रहा है. यह भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं पर आधारित है. बताया जाता है कि कान्हा जी को माखन सबसे प्रिय था. वह अपने दोस्तों के साथ माखन चुराकर खाते थे. इससे उनकी मां यशोदा बेहद परेशान हो गई. हर दिन भगवान श्रीकृष्ण की माखन चोरी की शिकायतों आती थीं. कान्हा अपने घर में दही हांडी को रखा देखकर दोस्तों के साथ उसे चट कर जाते थे. इसी लिए मां यशोदा और उनके आसपास रहने वाली काकी ताई ने माखन और दही से भरी हांडी को ऊपर एक रस्सी पर लटकाना शुरू कर​ दिया. ताकि कान्हा जी का हाथ वहां न पहुंच पाये, लेकिन कान्हा ही अपने सखाओं के साथ ऊपर लटकी हांडी को भी फोड़ देते थे और चोरी से माखन खाकर निकल जाते थे. वह अपने सखाओं पर विशेष प्रेम दिखाते हुए उन्हें सबसे पहले माखन खिलाते थे. नटखट कान्हा जी की इसी बाल लीला को जन्माष्टमी के अगले दिन बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. हांडी फूटने पर निकलने वाली दही माखन प्रसाद के रूप में खाने के साथ ही ऊपर गिरना भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होना माना जाता है.  

जन्माष्टमी के बाद से ही शुरू हुई दही हांडी की प्रथा (Dahi Handi Festival) 

दही हांडी की प्रथा जब से जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. तब भी से अगले दिन दही हांडी का उत्सव होता है. दही हांडी के उत्सव को मनाकर भगवान की बाल लीलाओं को याद किया जाता है. यह द्वापर युग से चला आ रहा है. वहीं महाराष्ट्र से लेकर उत्तर प्रदेश में दही हांडी पर विशेष तैयारी होती है. बहुत ऊपर पर यहां दही या माखन से भरी हांडी लटकाकर कृष्ण भक्त इसे तोड़ते हैं. 

इन जगहों पर विशेष रूप से होता है दही हांडी उत्सव (Dahi Handi Importance)

जन्माष्टमी के अगले दिन दही हांडी का त्योहार महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से मनाया जाता है. यहां श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा से लेकर वृंदावन और गोकुल में दही हांडी का उत्सव बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. दही हांडी तोड़ने का कार्यक्रम घंटों तक चलता है. इसमें रंग गुलाल से लेकर पानी की बौछारें आती है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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