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Dhanteras Kuber Devta Puja: धनतेरस में क्यों होती मां लक्ष्मी के साथ कुबेर की पूजा, क्या है नियम और मंत्र पाठ

धनतेरस के दिन Kuber देवता की पूजा करने से क्या लाभ मिलता है, कैसे करें पूजा, नियम और क्या है महत्व, मां लक्ष्मी के साथ क्या है रिश्ता

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Dhanteras Kuber Devta Puja: धनतेरस में क्यों होती मां लक्ष्मी के साथ कुबेर की पूजा, क्या है नियम और मंत्र पाठ
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डीएनए हिंदी: Kuber Puja Niyam, Mantra- दिवाली से पहले धनतेरस (Dhanteras 2022) का त्योहार मनाया जाता है, इस दिन खास आरोग्य के देवता धन्वंतरि और धन कुबेर (Dhan Kuber) की पूजा की जाती है. भगवान कुबेर को भी देवी लक्ष्मी (Devi Lakshmi) का भाई माना जाता है क्योंकि वह देवताओं के धन-संपत्ति के खजांची हैं, इसलिए धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी के साथ इनकी भी पूजा होती है ताकि आप पर इनकी भी कृपा बरसती रहे. धनतेरस को धन त्रियोदशी के नाम से भी जाना जाता है. इस बार धनतेरस पर्व 23 अक्टूबर के दिन मनाया जा रहा है. मान्यता है कि इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजा-उपासना (Dhanteras Shubh Muhurat) करने से पैसों में बढ़ोतरी होती है. आईए जानते हैं कौन हैं कुबेर देवता, धनतेरस पर कैसे करें पूजा और क्या है नियम 

भगवान कुबेर की पूजा के लिए कई चरण अपनाए जाते हैं, इनमें सबसे पहले आचमन,फिर ध्यान,इसके बाद जप तप आहुति और फिर आरती की जाती है. इस पांच प्रकार पूजन से कुबेर देवता प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं.

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जानिए कुबेर का धन कहां होता है (Kuber Dhan) 

मां लक्ष्मी के धन के साथ मंगल का भाव जुड़ा हुआ है,  वह धन अपने पास नहीं रखते बल्कि दूसरों को धन देते हैं. कुबेर का धन खजाने के रूप में कहीं गड़ा या स्थिर पड़ा रहता है. महर्षि पुलस्त्य के पुत्र महामुनि विश्रवा ने भारद्वाज जी की कन्या इलविला का पाणिग्रहण संस्कार किया था, उसी से कुबेर की उत्पत्ति हुई थी. भगवान ब्रह्मा ने इन्हें समस्त सम्पत्ति का स्वामी बनाया था. उत्त्तर दिशा का लोकपाल भी इन्ही को नियुक्त किया गया था. कैलाश के पास इनकी अलकापुरी है. श्वेतवर्ण तुन्दिल शरीर अष्टदन्त एवं तीन चरणों वाले गदाधारी कुबेर अपनी सत्तर योजन विस्तीर्ण वैश्रवणी सभा में विराजते हैं. 

क्यों धनतेरस के दिन होती है कुबेर की पूजा (Kuber Puja) 

धनतेरस के दिन इनकी पूजा विधि विधान के साथ होती है, इस दिन धन की और मां लक्ष्मी की पूजा होती है, कुबेर की पूजा करने से मां लक्ष्मी भी खुश होती हैं और धन की वर्षा भी होती है. 

कैसे करें कुबेर की पूजा और क्या है नियम (Kuber Puja Niyam in Hindi) 

धनतेरस के दिन शुभ मुहूर्त में धन्वंतरि देव की पूजा के बाद कुबेर देव की पूजा का विधान है लेकिन कुबेर देव की पूजा के समय कुबेर यंत्र जरूर स्थापित करें

बेर यंत्र को दक्षिण दिशा में रखना चाहिए, हाथों में गंगाजल लेकर विनियोग मंत्र का उच्चारण करें.

इसके बाद हाथ का जल भूमि पर छिड़क दें और फिर कुबेर मंत्र का जाप करें. इस दौरान इस बात का खास ख्याल रखें कि मंत्रों का उच्चारण साफ हो. 

कुबेर देव को आहुति देने के लिए इस मंत्र का प्रयोग करें (Mantra) 

जपतामुं महामन्त्रं होमकार्यो दिने दिने.
दशसंख्य: कुबेरस्य मनुनेध्मैर्वटोद्भवै.

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