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Ganesh Chaturthi 2022 : क्या है मोदक का पौराणिक महत्व? किन हालात में बनाया गया था इसे?

Ganesh Chaturthi Modak Related Stories: गणेश को मोदक का भोग लगाने का पौराणिक महत्‍व जानते हैं आप? गणेश चतुर्थी 31 अगस्‍त को है तो इस अवसर पर चलिए जाने कि किन हालात में मोदक को बनाया गया था और क्‍या है इसके पीछे की कथा.

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Ganesh Chaturthi 2022 : क्या है मोदक का पौराणिक महत्व? किन हालात में बनाया गया था इसे?

क्या है मोदक का पौराणिक महत्व? किन हालात में बनाया गया था इसे?

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डीएनए हिंदी:  गणपति जी का पसंदीदा भोग मोदक. क्‍या आपको पता है कि गणपत‍ि को मोदक क्‍यों इतना पसंद है और उन्‍हें 21 मोदक (Ganeshji Loves Modak) क्‍यों चढ़ाए जाते हैं. 

गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2022) की तैयारियां अंतिम स्‍तर पर हैं. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को ही गणपति जी का जन्‍म हुआ था और इस दिन का उत्‍सव 10 दिन तक मनाया जाता है और लोग घर और पंडालों में गणपति की स्‍थापना कर उनकी पूजा अर्चना करते हैं.. 10वें दिन बप्‍पा की प्रतिमा का विर्सजन किया जाता है. 

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गणपति उत्‍सव के दौरान भगवान का विशिष्‍ट भोग मोदक जरूर चढ़ाया जाता है. मोदक (Ganesh Bhog Modak) के बगैर तो पूजा अधूरी मानी जाती है. गणपत‍ि का प्रिय भोग मोदक है और इसके पीछे एक पौराणिक कथा (Why Modak is favourite Food of Ganesh) भी है. मान्‍यता है कि जब गणपति जी का एक दांत टूट गया था तो उन्‍हें कुछ भी खाने में बहुत परेशानी होती थी तब मुख्‍य रूप से उनके लिए मोदक बनाया गया था. नर्म और मुलायम मोदक इसी वजह से गणपति को प्रिय है. गणेश जी को 21 मोदक चढ़ाने का विधान है. मान्‍यता है कि अगर गणपति जी को 21 मोदक एक साथ चढ़ाएं जाए तो इससे सभी देवी- देवताओं का पेट भरता है. हालांकि मोदक से जुड़ी एक नहीं कई दंत कथाएं भी हैं, चलिए जानें. 

एकदंत कथा के मुताबिक एक बार गणपति जी माता पार्वती और भगवान शिव के साथ अनुसुइया के घर गए थे. माता अनुसुइया ने सोचा कि कि पहले बच्‍चे यानी गणपति जी को भोजन करा दें फिर बड़ों को खिलाएंगी लेकिन जब वह गणपति जी को खिलाने लगी तो वह खाते ही जा रहे थे. रुक ही नहीं रहे थे. गणपति की भूख खत्म ही नहीं हो रही थी. अनुसुइया ने सोचा कि कुछ मीठा खिला देती हूं तो शायद गणपति का पेट भर जाए. माता अनुसुइया ने गणेश जी को मोदक का एक टुकड़ा खिला दिया,जिसे खाते ही गणेश जी का पेट भर गया और उन्होंने जोर से डकार ली. इसके बाद भगवान शिव ने जोर-जोर से 21 बार डकार ली. तब से मोदक गणपति का प्रिय व्यंजन बन गया और इस कारण से ही उन्‍हें 21 मोदक चढ़ाने का विधान है.

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एक दूसरी दंतकथा के अनुसार एक बार भगवान शिव सो रहे थे और गणेश जी द्वार पर पहरा दे रहे थे. तभी परशुराम वहां पहुंचे तो गणेश जी ने उन्हें द्वार पर रोक दिया. परशुराम क्रोधित हो गए और गणेश जी से युद्ध करने लगे. युद्ध में परशुराम ने शिव जी द्वारा दिए गए परशु से गणेश जी पर प्रहार कर दिया, जिससे गणेश जी का एक दांत टूट गया. दांत टूटने से गणेश जी को खाने चबाने में परेशानी होने लगी तो उनके लिए मोदक तैयार करवाए गए. मोदक मुलायम होते हैं और इसे चबाना नहीं पड़ता है, इसलिए गणेश जी ने पेट भर कर मोदक खाए तभी से मोदक गणपति का प्रिय व्यंजन बन गया. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 
 

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