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Guru Grah Upay: भाग्योदय के लिए करें गुरु के ये खास उपाय, कारोबार में होगी खूब तरक्की

Guru ke Upay: व्यापार और कारोबार में तरक्की के लिए गुरु ग्रह को कारक माना जाता है. गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत कर व्यक्ति व्यक्ति खूब तरक्की कर सकता है.

Guru Grah Upay: भाग्योदय के लिए करें गुरु के ये खास उपाय, कारोबार में होगी खूब तरक्की

प्रतीकात्मक तस्वीर

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डीएनए हिंदी: लोग जीवन में सफल होने और खूब सारा पैसा कमाने के लिए कई उपाय करते हैं. कई बार लोग कड़ी मेहनत के बाद भी सफल नहीं हो पाते हैं. अगर व्यक्ति को कड़ी मेहनत के बाद सफलता हाथ नहीं लगती है तो ऐसे में उसके जीवन पर ग्रहों का प्रभाव हो सकता है. व्यापार और कारोबार में तरक्की के लिए गुरु ग्रह (Guru Grah) को कारक माना जाता है. व्यक्ति की कुंडली में गुरु कमजोर स्थिति में हो तो व्यक्ति को व्यापार में घाटा होता रहता है. ऐसे में आपको गुरु ग्रह (Guru Grah) को मजबूत करने के इन उपायों (Guru ke Upay) को अपनाना चाहिए. कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत (Guru ke Upay) करके आप व्यापार और नौकरी में तरक्की कर सकते हैं.

गुरु को मजबूत करने के उपाय (Guru ke Upay)
व्यक्ति के भाग्य, यश, सम्मान और धन में वृद्धि के लिए गुरु का मजबूत होना बहुत ही जरूरी होता है. व्यक्ति की कुंडली में गुरु अशुभ प्रभाव में है तो उसे हाथ की अंगुली में पुखराज रत्न धारण करना चाहिए. इस उपाय को करने से व्यापार और शिक्षा क्षेत्र में तरक्की मिलती है. पुखराज काफी महंगा होता है ऐसे में आप इसे धारण नहीं कर सकते हैं तो सुनहला रत्न भी धारण कर सकते हैं. यह पुखराज का उपरत्न होता है. 

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पुखराज धारण करने के लाभ (Benefits Of Wearing Pukhraj Stone)
यह रत्न बृहस्पति ग्रह गुरु के अनुकूल होता है. व्यापार, नौकरी और शिक्षा में लाभ के लिए यह रत्न बहुत ही शुभ होता है. जो लोग खुद का नया व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं उन्हें पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए. इसे धारण करने से पढ़ाई लिखाई और करियर में आ रही सभी बाधा भी दूर हो जाती हैं.

पुखराज धारण करने की विधि (Wearing Method Of Pukhraj Stone)
पुखराज रत्न गुरु ग्रह के अनुकूल होता है ऐसे में इसे बृहस्पति के दिन धारण करना शुभ होता है. यह दाएं हाथ की तर्जनी अंगुली में धारण करना चाहिए. पुखराज रत्न की अंगूठी को दूध और गंगाजल से शुद्ध करके धारण करना चाहिए. यह बृहस्पति के दिन देव गुरु बृहस्पति की पूजा करने के बाद इस मंत्र "ऊं ब्रह्म ब्र्हस्पतिये नमः" का जाप करके धारण करना चाहिए.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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