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Mangalwar Upay: मंगलवार के दिन बजरंगबली की पूजा के बाद जरूर करें ये काम, दूर हो जाएंगे जीवन के सभी दुख और संकट

Mangalwar Upay: मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित होता है. ऐसे में इस दिन पूजा के बाद कई खास उपायों को करने से बजरंगबली की कृपा प्राप्त होती है.

Mangalwar Upay: मंगलवार के दिन बजरंगबली की पूजा के बाद जरूर करें ये काम, दूर हो जाएंगे जीवन के सभी दुख और संकट

मंगलवार के उपाय

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डीएनए हिंदी: मंगलवार का दिन हनुमान जी (Hanuman Ji) की पूजा के लिए विशेष माना जाता है. भक्त मंगलवार (Mangalwar Upay) के दिन हनुमान जी की पूजा-अर्चना (Hanuman Ji Puja) कर उन्हें आसानी से प्रसन्न कर सकते हैं. सच्चे श्रद्धा भाव से बजरंगबली की पूजा (Hanuman Ji Puja) करने से वह अपने भक्तों के सभी संकट दूर करते हैं. बजरंगबली (Bajrangbali) को इसलिए संकटमोचन भी कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी (Hanuman Ji) चिरंजीवी हैं जो कलयुग में भी मौजूद हैं. ऐसे में वह अपने भक्तों के पुकारने पर उनकी मदद के लिए दौड़े चले आते हैं. मंगलवार का दिन हनुमान जी (Hanuman Ji) को समर्पित होता है. ऐसे में इस दिन पूजा के बाद कई खास उपायों (Mangalwar Upay) को करने से बजरंगबली आपके जीवन की सभी बाधाएं दूर करते हैं. तो चलिए मंगलवार के दिन (Mangalwar Upay) पूजा के बाद किए जाने वाले इन कार्यों के बारे में जानते हैं.

मंगलवार पूजा के बाद जरूर करें ये उपाय (Mangalwar Upay)
- मंगलवार के दिन भक्तों को हनुमान जी का व्रत करना चाहिए. व्रत के दौरान हनुमान जी की विधिवत पूजा करें. व्रत में पूरे दिन आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
- मंगलवार को हनुमान जी की पूजा के बाद अमृतवाणी और श्री हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए. हनुमान चालीसा का पाठ करने से हनुमान जी बहुत ही जल्द प्रसन्न होते हैं. वह प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.
- भगवान की पूजा के समापन से पहले आरती की जाती है. भगवान की आरती करने के बाद ही पूजा का समापन होता है. हनुमान जी की पूजा के बाद आपको हनुमान आरती करनी चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आरती करने के बाद ही पूजा का समापन होता है.

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हनुमान जी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके

अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए

लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे
पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े

बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे
 
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई
 
जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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