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किसी भी व्रत के बाद नहीं करते ये काम तो खंडित होगा उपवास, जान लें पूजा-पाठ के नियम

Vrat Udyapan Vidhi: कोई भी व्रत पूरे करने के बाद उद्यापन जरूर करना चाहिए. कई लोग जानकारी के अभाव में उद्यापन नहीं करते हैं. ऐसे में उन्हें व्रत करने का फल नहीं मिलता है.

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किसी भी व्रत के बाद नहीं करते ये काम तो खंडित होगा उपवास, जान लें पूजा-पाठ के नियम

प्रतीकात्मक तस्वीर

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डीएनए हिंदीः लोग भगवान को प्रसन्न कर मनोकामना पूर्ति के लिए कई व्रत करते हैं. एकादशी, पूर्णिमा, सोमवार व्रत और शुक्रवार को वैभव लक्ष्मी व्रत किया जाता है इन सभी व्रत को करने के बाद उद्यापन (Vrat Udyapan Vidhi) किया जाता है. कई लोग जानकारी के अभाव में उद्यापन नहीं करते हैं लेकिन व्रत करने के बाद उद्यापन (Vrat Udyapan Vidhi) करना बहुत ही जरूरी होता है. उद्यापन करने के बाद ही व्रत करने का फल मिलता है. बिना उद्यापन के व्रत निष्फल हो जाते हैं. आज आपको व्रत का उद्यापन (Vrat Udyapan Vidhi) करने के महत्व और विधि के बारे में बताते हैं.

उद्यापन का अर्थ (Udyapan)
किसी व्रत के विधिपूर्वक अच्छे से संपन्न होने के बाद धार्मिक कार्य किए जाते हैं जिसे उद्यापन कहते हैं. यह किसी व्रतादि की सफलतापूर्वक समाप्ति पर किया जाता है. व्रत करने के बाद हवन और पूजन आदि कार्य करना उद्यापन है. नंदी पुराण के अनुसार, उद्यापन के बारे में कहा गया है कि ‘उद्यापनं विना यत्रु तद् व्रतं निष्फलं भवेत’  इसका अर्थ है कि बिना उद्यापन के कोई भी कार्य सफल नहीं होता है. इसलिए कोई भी व्रत करें उसके बाद उद्यापन जरूर करना चाहिए.

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उद्यापन का महत्व (Udyapan Importance)
हिंदू धर्म में एकादशी, पू्र्णिमा, सोमवार, मंगलवार, बुधवार और मां लक्ष्मी की पूजा के लिए शुक्रवार का व्रत किया जाता है. इन सभी व्रतों को करने के बाद उद्यापन करना बहुत ही जरूरी होता है. ऐसी मान्यता है कि व्रत के दौरान कोई गलती हो गई हो या कोई व्रत छूट गया हो तो आप उद्यापन करके व्रत को संपन्न कर सकते हैं. चलिए जानते हैं कि उद्यापन कैसे करना चाहिए.

उद्यापन की विधि (Vrat Udyapan Vidhi)
- आप जिस व्रत का उद्यापन करना चाहते हैं उसी दिन उद्यापन करना चाहिए. उद्यापन के दिन सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत होने के बाद साफ कपड़े पहन लें.
- उद्यापन हमेशा व्रत पूरे करने के बाद ही किया जाता है. आपने जितने व्रत करने का संकल्प लिया था उसे पूरा होने के बाद उद्यापन करें.
- अगर आपने 11 व्रत का संकल्प लिया था तो 12 वीं तिथि पर उद्यापन करें.
- उद्यापन हमेशा किसी ब्राह्मण या पुजारी से कराना चाहिए. इस दिन व्रत करने वाले के साथ ही पूरा परिवार साथ में बैठकर पूजा और हवन करें.

- सोमवार के व्रत का उद्यापन कर रहे हैं तो शिव जी की अराधना करें. गुरुवार के व्रत का उद्यापन कर रहे हैं तो भगवान विष्णु की पूजा करें.
- शुक्रवार के वैभव लक्ष्मी व्रत का उद्यापन कर रहे हैं तो इस दिन उद्यापन के साथ मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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